— पीताम्बरी देवी।
हम सब जखनि नेना रहि ते गाम घर में सुकराती बहुत परंपरिक ढंग से मनौल जाईत छल ।सबसे पहिने घर दुआरी के साफ सफाई होई छल आर सौसे घर चूनेठल जाई छल।तहिया पेन्ट के प्रथा ते रहे नै तै जन बाल्टी में चूना घोरी के सौसे घर दूआरी में पोचारा के दै छले।एक दिन पहिनहि खढ़ के उक बनै छले घर मे जतेक नेना से बूढ़ तक पुरुष रहै छला सब के लेल उक बनै छले ।आर सब चार पर सेहो ऊक देल जाई छले ।सुखराती दिन भोरे भोर घर आंगन निपल जाई छले । कुम्हार माटिक दीप आर चूकिया छिट्टा में भैर के बेचय अबै छल सब अंगना में सब दीप आर चूकिया किनै छले ।आर कुम्हार के पाई आर सिधा देल जाई छलै ।सब दीप आर चूकिया के पानी में किछु काल डूबा के राखल जाई छले फेर दीप में सरीसो तेल बाति देल जाई छले आर चूकिया में मटिया तेल भरल जाई छले । भाई सब सुपती के करची में गाथि के रखै छला ।आर एकटा तार में पुरान कपरा के लपेट के गेद जेका गोला बनबैत रहथि ओकरा भरि दिन मटिया तेल में भिजा के राखथि । मां भगवती सीर से देहरी तक एरपन दै छलै देहरी पर चाउर राखल रहै छलै ओतय नब पाचटा दीप जराओल जाई छलै असोरा पर देहरी लग ऊखरी आर ताहि पर सुप आर सुप में तामा तामा में धान पान सुपारी सिन्दुर दुभि चांदी के सिक्का राखल जाई छले। ओतै मां असोरा पर पचिसि के खोरहा पिठार से लिखै छले आर ओत पचिसि के गोटी कौड़ि राखि
दै छले ।जखनि सब खा के चैन होईत छल तखनि हम सब पचिसि खेलाईत छलौ । पहिले साझ सबसे पहिने मां तामा उठाके गोसौनि सीर लग रखै छले ओतय पूजा करै छले पान मखान मधुर नारियल के प्रशादी भोग लगै छले सीर लग सेहो घी के दीप जरै छले । फेर मां आचर ल के गोसौन घर करै छले आर बाबू देहरि पर के दीप से उक पजारै छला तीन बेर ऊक के घर बाहर करै छला आर मंन्त्र पढ़ै छला धन धन लक्ष्मी घर जाउ आर दारिद्रा बाहार आउ ।फेर उक ल के बाहर दरवजा पर जल जाई छला ओतहि सब भाई सब अपन अपन उक भाजै छला ।उक के मिझेलाक बाद तीन बेर नघई छला ।आर भाई सब सुपती गोला सब नचबै छला ।हम सब सौसे घर आंगन देवाल पर दीप जरबै छलौ ।दरवजा पर केरा के थम्भ में बांस चिर के लगौल जाई छलै ओहि पर सेहो दीप चूकिया जरौल जाई छले। तहिया एतेक रंग बिरंगी पटाखा सब के चलन नै रहै छूरछूरी ,भूई पटाखा, चीनिया पटाखा आर फूलझरी रहै छलै ।हम सब फूलझरी जरबै छलौ आर भाई सब पटाखा छोरै छला। बाबू जे उक भजै छला ओकर संठी आनि के मां के दै छलखिन ओहि संठी से मां भोरबा में उठि के सुप डेंगबैत छले आर फेर मंन्त्र पढ़ै छल धन धन लक्ष्मी घर जाउ दरिद्रता बाहार आउ ।फेर ओहि संठी के पछवरीया असोरा में चार में खोईस के राखि लै छलै ।अहि संठी से लवान दिन आगि पजारल जाई छले ।सुखराती के परात हुरा हुरी होई छले चरवाहा के नबका कपरा देल जाई छलै ।खुब के तेल चरबाहा के देल जाई छलै ।माल जाल के गरदामी डोरी सबटा नब बदलल जाई छलै ।कैर में पखेब पियौल जाई छलै ।लाल पियर हरीयर रंग से गाय बरद के रंगल जाई छलै ।जेकरा नब गाय महिस बियाल रहै छलै ओ हुरा हुरी खेलबै लेल बेरू पहर ल जाई छलै ।हुरा हुरी में एकटा सुगर के बच्चा के पैर में डोरी बान्हि के गाय महिस के आगु में दय दै ओकरा गाय सिंघ पर ल के पठकि दै ओ बच्चा जोर जोर से किकियाय लागल ।ई खेल बहुत देर तक चलय ।बाद में डोमबा सुगर के बच्चा के लय के चल जाई छल । दीवाली दिन राती में भात दैल तरूआ कोबि आलू के तरकारी दही लड्डू भोजन होई छल ।फेर समय बदलल गाम घर छूटि गेल बिजली बत्ती के जवाना आबि गेल बेसि लोक के गामो में कोठा के घर भ गेलै सब बिजली बला लरी छत पर लटकाबय लागल ।माटिक दीप चूकिया कम बिकाई अछि ।उक ते गिनले चूनल लोक जे गाम में छथि ओ भजै छथि।आब सब सहरूआ भ गेल ।आब खतरनाक पटाका सब आबि गेलै अछि।आब ते घर से बाहरो होती डर होई छै कखनि कत से राकेट आबि जेत कखनि बम आगु में कियो फोरी देत अहि नै सकै छि ।आब ते सबटा बदलि गेलै ये।
पीताम्वरी देवी