चेतना झा।
#गाछक_सुरक्षा
हमर दादी मां कहैत रहलीह जे ऐक टा गाछ सौ टा बेटा के समान होइ छै।समय के साथ बेटा भले साथ छोइर दै लेकिन गाछ कहिओ साथ नै छोडै छै।अपन संस्कृति मे खास क के मिथिला मे गाछ के देवी देवता स कम नै बुझल जाइत छैक।
गाछ छै त मानवजीवन छै।मानवजीवन लेल सबस जरूरी ओक्सीजन गाछे स त मिलै छै।गाछ वातावरण मे स काबॅन डाइओक्साड ल के ओक्सीजन छोरै छै तब जाके हम अहाँ आसानी स सांस ल पाबय छी।कतेको तरह के फल,फुल,औषधी गाछ स प्राप्त होइ छै।गाछ वातावरण मे नमी बढा के गरमी के स्तर कम करैत छै,आ बरसात आनै मे सहयोग करै छै।गाछ क सुखल लकड़ी ऐखनो गाँव-घर मे जारैन लेल उपयोग कएल जाइत छै।तरह तरह के फनीॅचर सेहो बनै छै गाछ के लकड़ी स।
विडम्बना त इ छै जे गाछ क एतेक उपयोग आ एहमियत जानैतो अंधाधूध गाछ के कटाइ होइ छै।सरकार खुद शहरीकरण, मेट्रो ट्रेन ,बुलेट ट्रेन आ विकास के नाम पर लाख क लाख गाछ काटै के आदेश द दै छै।जै के दुष्परिणाम पृथ्वी ग्लोबल वामिॅग के रूप मे भोगैत छै।
लेकिन मात्र सरकार के दोष देला स हम सब अपना उत्तरदायित्व स बची नै सकै छी।गाछ क सुरक्षा धरती पर रहै वला एक एक मानव के जिम्मेदारी छै।जब तक बहुत जरूरी नै हुए गाछ नै काटबा के चाहि।अगर काटै परै त ऐक गाछ के बदला मे दुगो गाछ लगाबै के चाहि। घर के आँगन मे यदी गाछ लगबै के सुविधा ऐछ त जरूर लगेबाक चाहि।स्कुल सब मे महिना मे कम से कम एक दिन विद्यार्थी सब स वृक्षारोपण करेबाक चाहि आ गाछ क महत्व समझेबाक चाहि।खाली मैदान या जमीन पर जतेक भ सकै ओतेक संख्या मे गाछ लगेबाक चाहि।मोसमी फल आ फुल क गाछ के खेती के बढावा दै के चाहि।हर व्यक्ति के अपना जीवन मे कम से कम ऐक गाछ त जरूर लगेबाक चाहि।
याद रहै जे गाछ क सुरक्षा मानवजाती के सुरक्षा छै।बिना गाछ-वृक्ष के मानवजीवन के कल्पना असंभव छै।गाछ बचाउ अपनाआप के बचाउ।
धन्यवाद
चेतना झा।