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“चकफतेहा : बागमती नदी के सान्निध्य में बसल मिथिलाक सुप्रसिद्ध गाम”

बेबी झा।                           

अप्पन गाम – चकफतेहा
कहल जाईत अछि कोनो महिला के बिबाहक बाद ओकर मूल, गोत्र, रुप,अभिभावक इत्यादि के संग – संग अप्पन गाम सेहो बदलि जाईत छैक तहिना हम्मर गाम बदलिआब “चकफतेहा”भय गेल |आब एहि गाम स जुड़ल किछु बात –
ई गाम सीतामढ़ी ( पुनौराधाम) स लगभग २०- २२ की० मी० पर अवस्थित बागमती नदी के सान्निध्य में मिथिलाक ब्राह्मणक प्रसिद्ध गाम में गिनल जाईछ | ई गाम अत्यधिक बाढिक कारणे पुनर्वासित अछि तेय एक्को टा पोखरि नहि अछि |एहि गाम में दु टा देवी ,एकटा महादेव, बजरंगवली आ लक्ष्मी नारायण मंदिर अछि |एकटा देवी मंदिर जे जंगल में वास करैत छथि जकरा बारे में कहल जाईछ जे लोक बीच गाम में अनबाक बहुत प्रयत्न कयल मुदा, भगवती स्वप्न देलैथ जे हम जंगले में वास करब | दोसर देवी मंदिर जे कतेको वर्षक बाद २००२ में गाम में आनल गेलिह मुदा हुनकर पीडी जयकारा पर स्वत: देखैत गेल जखन की, अनेकों बेर बाढि आयल छल | एतुका भाषा में किछु अन्तर देखैत अछि | एतुका रोपनी बाढि अयले पर होईत अछि आ माटि हरदम हलगर रहैत अछि जाहि कारण उपजा अत्यधिक होईत अछि |एतय बाढि में बालू के पांक अबैत अछि आ ओहियो पर नदी किनार में ककड़ी, खीरा, लौकी, तरबूज , करैला इत्यादि मनसंप्पे उपजैत अछि |एतुका चाऊर में अत्यधिक स्वाद आ भोजन बहुत नीक स पचैत अछि | गाछ – बृक्षक संख्या सेहो बहुत देखना जाईछ |
एहि गाम में पुरुष सामाजिकता बहुत अछि भोज – भात में सेहो बहुत उत्कृष्टता | गामक लड़की सब मिलि तरकारी – तीमन कटैत छथि संगहि महिला लोकनि बडी – भूजिया बहुत रूचि स बनबैत छथि एतुका आलू भूजिया बहुत प्रसिद्ध अछि जे छोट – छोट घानी में कम आंच पर बनैत अछि | कर्मकांड, पूजा – पाठक बहुत उत्कृष्टता अछि दुर्गापूजा में दसोदिन चौबीस घंटा पाठ, सामूहिक होम आ कुमारी भोजनक संग समापण होईत अछि |एतय कुलदेवी कोनो घर में अपूज नहि रहैत छथि जाहि ठाम घरबैया नहि छथि ओहियो घर में पूजाक लेल महिला नियूक्त छथि |पितृपक्ष में आ पांच वरषी बादो पितृकर्म होईत रहैत अछि |एतुका धी – बेटी सब अत्यधिक लुईरगर, ढंगर रहैत चुटकी पर महादेव बनबैत छथि | जाहि कारण ” लखराव” बहुत होईत अछि | शैक्षणिक दृष्टि में सेहो एहि गामक अप्पन महत्व अछि, एतय एक स एक प्रकाण्ड विद्वान – नवोनारायण झा, ईश्वरनाथ झा, नेवालाल झा, प० झिंगुर झा जे काशीतक में जानल जाईछ |गाम में स्कूल , लाइब्रेरी , बिजली आ पक्का सडकक संग आवश्यकताक लगभग सब सुविधा उपलब्ध अछि |
मिथिलाक पौराणिक पावनि – तिहार, सामा – चकेवा, चौठचन्द्र, छठि इत्यादि स कोनो घर बांचल नहि अछि | सामा – चकेवा जे मधुबनी, दरभंगा ताहत में बिलुप्त भेल जाईत अछि से पावनि एतुका महिला, लड़की सब छठिक खडना स पूर्णिमा तक खेलैत छथि जाहि में पिछला वर्ष हम पुरस्कृत सेहो भेल रही |छठि पावनि के सेहो नव रुप देखेत अछि जे, संझुका अर्ग भेलाक बाद आंगन में सेहो हाथों कुसियार ठार्ह कय डाला जगाओल जाईत अछि संगहि घाट पर सेहो हाथीक स़ग कुसियार ठार्ह कय दीप जरैत दृश्य अत्यंत मनमोहक आ पावन लगैत अछि |मधुश्रावणी में सेहो रंग – बिरंगक साडी पहीर आ ललाट पर विषहाराक छवि पूरव स हटि कय देखैत छी |द्विरागमण आ अनदिनो बेटीक घुमि खोईछ , सिन्दूर नव देखैत छी संगहि खैक सेहो बरकरार अछि |
सब शोभनीय बातक संग किछु अत्यंत अशोभनीय बात सेहो देखना जाईछ | ग्रामीण सब अत्यंत आलसी भय ताश पिशैत अप्पन बहुमूल्य समयक दुरूपयोग करैत आ अपना – आप में अहं के स्वाभिमान बुझैत छथि | भगवती स प्रार्थना 🙏🙏जे हुनका सब के सद्बुद्धि प्रदान करैथ |
जय मिथिला जय जानकी 🙏🙏

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