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“महान कवि चंदा झा समेत अनगिनित विभूति के गाम : पिंडारुछ”

भावेश चौधरी।                               

“गांव पिंडारुच बड़ जग जानी, जहां बसैथ कवि चंदा।बागमती – कमला के संगम, जेता बहई छथि गंगा।”
लगभग ५०० वर्ष पूर्व मुगल बादशाह हुमायूं द्वारा पिंडारूच परगना के जमींदारी “चौधरी”के ज्ञान,तर्क,विद्वता आओर बुद्धिमता के पुरस्कार रूप में देल गेल रहन।साढ़े तीन कोस में पसरल जमींदारी के सुचारू रूप स संचालन व निर्वहन के प्रशंसक अंग्रेज सरकार सेहो रहल।गांव में उच्च पढ़ाई लिखाई के महत्व शुरू स रहल। ब्रिटिश सरकार द्वारा श्री बाबू मित्रलाल चौधरी जी के शिक्षा व गुण देख हुनका मजिस्ट्रेट के पावर देल गेल रहन।पिंडारुच के माईट पाइन स उगल कतेक रास विभूति भेला जे मात्र मिथिलांचल में नै अपितु राज्य,देश और विदेश में अपन विद्वता के महक स सबके सुगंधित केलैथ। मैथिली रामायण के अनुवादक सुप्रसिद्ध कविवर चंदा झा,रामायण के अंग्रेजी में अनुवादक श्री वैद्य नाथ जी,पांच फूल व पाञ्चजन्य के लेखक श्री गोविंद झा जी ,मैथिल साहित्य अकादमी पुरस्कार स सम्मानित श्री प्रभाष चौधरी जी, मिथीला दर्पण के श्री इन्द्रनाथ झा जी,विनय सुधा के श्री सुदर्शन चौधरी जी,प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य श्री बचकुन ठाकुर,बाबूलाल जी चौधरी,पंडित योगी झा, मिथिलांचलक पहिल कानून स्नातक श्री हरिकांत चौधरी,पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री रति कांत चौधरी,खनन विभाग के निदेशक श्री नमो नाथ झा जी सहित अनेकानेक नाम अहि माला के मोती के रूप में सुशोभित छैथ।गामक बेटी निरुपमा कुमारी जी के २०२० में राष्ट्रपति शिक्षक सम्मान स सम्मानित कायल गेलन।गांव के बीच में अवस्थित बागमती नदी द्वारा गांव पुआरी आ पछवारी भाग में विभाजित अई।नदी के कलकल धारा मोन के आह्लादित करैत रहैत अई।नदी के अलावा बहुत रास पोखैर आ डबरा व्यवसायिक रूप स बहुत तरहे योगदान दईत अई।आम,लीची, कटहर, सपेता, धात्री,जामुन आदि फल प्रचूर मात्रा में होई छै जाहि स ग्रामीण के व्यवसाय आ रोजगार के रूप में सहायक होईत छनि।बाकी जगह स संपर्क के लेल एरोड्रम, रेलवे स्टेशन,बस आदि के सुविधा सर्वसुलभ अई।शिक्षा के लेल गांव में मध्य विद्यालय,उच्च विद्यालय, उपशास्त्री महाविद्यालय स्तिथि अछि।डाकघर आ ग्रामीण बैंक के सुविधा ग्राम के संपूर्ण करैत अई।प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तात्कालिक सामान्य चिकित्सा सुविधा उपलब्ध अछि।खेल प्रेमी लेल नवनिर्मित स्टेडियम आ संस्कृतिक कार्यक्रम लेल नाट्य परिषद युवा वर्ग के सर्वोनुमुखी विकास में महत्वपूर्ण योगदान द रहल अई।विभिन्न शैक्षणिक संस्था द्वारा समयांतराल पर “क्विज” के आयोजन स बच्चा सब में नीक प्रतियोगिता के भावना आ खूब पढ़ाई के प्रेरणा बनल रहैत छनि ।धार्मिक स्थल के रूप में राधा कृष्ण मंदिर,काली मंदिर,दुर्गा मंदिर, ब्रह्म स्थान,कोयला महाराज डीह,मस्जिद सर्वधर्म समभाव के अटूट बंधन प्रदर्शित करैत अछि।स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम के लेल”अनादि फाउंडेशन ” संस्था द्वारा आस पास के बाकिओ ग्रामीण के रोजगार के अवसर प्रदान होई छनि। विशिष्ट खान पान आ रहन सहन के लेल गांव पूरा मिथिला में प्रसिद्ध अई।भोज भात में स्वादिष्ट भोजन आ अथिति स्वागत सत्कार के चर्चा प्रायः सुनल जा सकै अई। खोआ के बनल पुरुकिया ता हरदम मांग में रहैत अछि।शब्द सीमा के बंधन के कारण पिंडारुच गांव के संपूर्ण वर्णन आ विवरण मुश्किल।।युवा वर्ग स उम्मीद अई जे गांव के गौरवशाली इतिहास,परंपरा आ प्रतिष्ठा के आगू बढ़बैत रहता। जय मिथिला,जय मैथिली।

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