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“मिथिला में पानक महत्व”

रेखा झा।                           

मिथिला मे पानक महत्व
अपन मिथिला मे एक बहुत पैघ विशेषता रहल की अपन ज्ञान स ओ खान पान द्वारा आरोग्य आ धर्म दुनु के संरक्षण सदैव करैत रहलाह🙏
पानक खेती लेल नमी युक्त भूमि के काज सदैव होइत अछि जे की मिथिला के बेसीतर क्षेत्र मे पानिक अधिकता या बाढिक विभीषिका के कारण रहल,जाहि स इ रोजगार के साधन सेहो बनल,अखनो पानक खेती बहुतो लोग करैत छथि आ अगर एकरा नीक स अपनायल जाइ त रोजगार वृहत रूप मे आयत कियाक त सब दिन आ सब संस्कार मे सब जगह पान स्थान बनौने अछि, अपन सबहक सब पूजा आ संस्कार के विध मे पानक पात के महत्व अखन तक बनल अछि 😊
हिंदू मान्यता के अनुसार पानक सबस उपरी भाग में इन्द्र एवं शुक्रदेव, बीच में सरस्वती, आ सबस नीचा वाला भाग मे महालक्ष्मी के वास मानल जाइत अछि, शिव के बास पानक पात के भीतर मानल जाइत अछि
अहि धार्मिक मान्यता हेतु हरेक देवी देवता के वास के कारण सब पूजा मे पानक पात के विशिष्ट स्थान प्राप्त अछि,
पानक पात मे औषधीय गुण सेहो देखल गेल अछि,
पानक पात चिबेला स लार प्रचुर मात्रा मे बनैत अछि जे की पाचन क्रिया मे सहायक होइत अछि, मसूढा के सूजन मे पान के रस सहायक बनल
गाव घर मे घाव घूस मे पानक पत्ता के इस्तेमाल होइत अछि पानक पात मे विटामिन ए प्रचुर मात्रा मे होइत अछि हरियर रहलाक बावजूदो जे की प्राय:पियर फल सब्जी मे पैल गेल,
मुख शुद्धि मे पानक व्यवहार त इलायची चून कत्था लौंग ल क कयल जाइत छल जे की आब लोक तम्बाकू के संग करैत छथि आ पानक गुण के अवगुण मे बदलि रहल छथि,
मिथिला के भोजन आ व्यवहार सब दिन प्रधानता रखने अछि भोजन के बाद पान देनाइ एकटा महत्वपूर्ण शिष्टाचार व्यवहार मे जुरल अछि सब दिन स
पान के उत्पादन जाहि जगह होइत अछि ओहि बगान मे सांप बहुत देखल जाइत अछि कारण इ जे सांपक जिहवा दू भाग मे बंटल रहैत अछि आ ओ पानि पिबै लेल पानक उपरका नुकीला छोर के मुंह मे राखि पानिक बूंद ग्रहण करैत अछि, अहि लेल पान के इस्तेमाल खयबा में करैत काल उपरका नुकीला भाग तोरि क फेंक देल जाइत अछि
पान के बिना मिथिला कहां आ मिथिला के बिना पान कहां 😊🙏🙏

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