“आॅनलाइन”

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~ वंदना चौधरी।                     

आय कैल्ह सुनै छियै जे,
सब चीज ऑनलाइन भ गेलै।
बच्चा के पढ़ाई स,नोकरी तक।
बेटा बेटी के विवाह स मंगनी तक।
ककरो पास आय समय नै छै,
जे दु शब्द ककरो स बात करै।
कि कियो सोचै छियै ओई,
माय के बारे में जे हरदम ,
ऑफ़लाइन ड्यूटी करैत अछि
अहाँ जखन ऑनलाईन रहै छि।
ओ माय जे बड्ड शख मनोरथ स ,
अहाँक जन्म देलनि आ पोषलनी
ओ माय जे अपन सन्तान लेल,
व्रत,पूजा पाठ,त करबे केली,
राति राति भरि जागिक अहाँक,
पलथा पर लक,सुतबैत रहली,
ध्यान रहे जे,ओ सब ऑफ़लाइन छल।
अहाँक नींद नै टुइट जे,ते
अपन कोरा स अहाँक,
नीचा नै उतारली,
अपने भरिक राति ,अहाँक
मलमूत्र स भीजल,ओछैन पर,
बैसल रहली,मुदा अपन आँचर,
बिछा अहाँक ,ममता के गर्माहट,
भरल सेज पर सुतोउने रहली।
अपन छाती स दूध बहैत देखि,
अहाँ लग दौड़ल आबथि,
जे हमर बौवा के भूख लैग गेलै।
ओ सबटा बात ऑफ़लाइन छल।
आय जखन अहाँ ऑनलाइन,
रहैत छि ओ बाट तकै छैथ,
अहाँक,पसंद के व्यंजन सब बनाक,
जे अहाँ कखन,दु कर किछ ,
जल्दी स खा लेब।
हुनकर बेर बेर पुछला पर,
अहाँ जोर स बैज उठै छि,
जे तूँ त किछ बुझबे नै करै छिही।
हुनका तखन याद अबैत छैन्ह,
ओ दिन,जखन अहाँक बोलियो,
नै फुटल छल,आ ओ,बूझि जाथिन,
अहाँक सबटा बात।
आय ओ माय, बौक बनल,
ठाढ़ छैथ,जिनका स अहाँ,
एकेटा बात के दस बेर पूछी,
आ ओ,हर बेर,ओतबे प्रेम स,
जवाब दैत छेली।
ओ माय जे अहाँक,पूरा देह के,
तेल स मालिश करैत छेली,
जे बौवा जल्दी स ठाढ़ हेतै,
आय ओ माय, अपन पैर,
भरि भरि राति,ओछैन पर,
पटकैत रहैत छैथ,दर्द स,
मुदा हुनका लेल त आय,
हुनकर देहो नै साथ द रहल छैन्ह।
किये,किये त ओ सब दिन,
ऑफ़लाइन ड्यूटी केलेंन।
ने कोनो छुट्टी,ने कोनो तनखा,
लेकिन ओ खटैत रहली,
अहीँ लेल,जाबत ओ जिली।
मुदा मरला के बाद सेहो ,
आय कैल्ह सब किछ ऑनलाइन,
होइ छै,से सुनै छियै।
किये त,आय कैल्ह सुनै छियै,
जे सबटा,ऑनलाइन भ गेलै।
✍️✍️वंदना चौधरी ।