मिथिला सं मैथिल के पलायन।के जिम्मेदार?

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दीपिका झा।                                       

“मिथिला सं मैथिल के पलायन और तकर समाधान”

अपन देश-कोस सबके नीक लगै छै। कहबी छै अपना घर में लोक राजा जकां रहैयै जाहे ओ धनीक रहै अथवा गरीब। लेकिन, तैयो ई २०-३० वर्ष सं जेना उजाहि उठल होई, जकरा नौकरी करै के छै सेहो, आ जकरा ओ नौकरी बला संग रहै के छै सेहो सब गाम छोड़ि शहर भागि गेल। कुलदेवता के फोटो खींच क संगे राखै लागल, तुलसी सुखा गेल, अंगना घर ढ़नमना गेल,कोठी-ढ़क बिला गेल।मूरण, उपनेन, ब्याह, श्राद्ध, वर्षी सब बाहरे होबै लागल।

आब एकर कारण पर जों विवेचना करी त हमरा जनतबे नीचा लिखल गेल कारण प्रमुख अछि :-
• नौकरी के अभाव
• जनसंख्या में वृद्धि
• खेती के आधुनिक साधन के अभाव
• आवश्यकता आ महत्वाकांक्षा में वृद्धि
• देखौंस
• शिक्षा व्यवस्था में धांधली
• स्वास्थ्य सुविधा के अभाव
• प्राकृतिक आपदा सं सम्हरै में असमर्थता
• सामाजिक शोषण
• सोच में बदलाव
• परिवहन और सड़क मार्ग, बिजली इत्यादि के उचित व्यवस्था के अभाव

#नौकरीकेअभाव:- ई सर्वप्रथम कारण अछि पलायन के।कियैकि समय के संग महंगाई बढ़ल गेलै आ खेती-बाड़ी सं गुजारा भेनाई मुश्किल छै। उच्च शिक्षा प्राप्त केला के बादो युवावर्ग के ओकर क्षमता योग्य नौकरी नहिं भेटि रहल छै।

#जनसंख्यावृद्धि :- एकरो एकटा प्रमुख कारण मानल जा सकै छै।पैघ परिवार के गाम पर बैसि खुएनाई आ ओकर आवश्यकता के पूर्ति केनाई मुश्किल भेल जा रहल छै।

#खेतीकेआधुनिकसाधनकेअभाव :- मिथिलांचल ओहिना बाढ़ि सं ग्रस्त रहलै आ तै सं उबरै के सरकार एखन धरि कोनो ठोस कदम नै उठेलकै।ताहि संग सिंचाई व्यवस्था के अभाव, खेती के नव तकनीक के अभाव इत्यादि।

#आवश्यकताऔरमहत्वाकांक्षामेंवृद्धि :- पहिने के लोक मेहनती रहै छलै आब कम स कम मेहनत क सब सुविधा चाही लोक के। जखने सुविधा आ शौक-सेहन्ता बढ़ैत जेतै त महत्वाकांक्षा बढबे करते।

#देखौंस :- फल्लां चिल्लां बाहर रहै छै त हम कियै गाम पर रहब?

#शिक्षाव्यवस्थामेंधांधली:- शिक्षा व्यवस्था हमरा जनतबे अपना सब दिस सबदिन सं बढ़िया रहलै। मिथिला में गरीब सं गरीब बच्चा में यदि पढ़ै के ईच्छा छै त ओ पढ़ि सकैयै एकर उदाहरण स्वरूप हम अपना आप के दै छी। लेकिन आब अई में ततेक धांधली होबै लागल जे शिक्षा व्यवसाय बनि क रहि गेल अई।

#स्वास्थ्यसुविधाकेअभाव :- अधिकांशतः नीक डाक्टर बाहर चलि गेला, जे छैथ से खाली पाई चूसै में लागल रहै छैथ(सब नै)।
नव तकनीक के अभाव अछि। और सबसं पैघ बात जे विश्वास के अभाव अई लोक तुरंत दिल्ली बम्बई चैल जाईयै ईलाज करबै।

#प्राकृतिकआपदासंसम्हरैमेंअसमर्थता :- बाढ़ि, भुकंप, रौदी सबसं उबरनाई साधारण परिवार के लेल बहुत मुश्किल भेल छै।

#सामाजिकशोषण :- पहिने कोनो नीक बेजै काज में ककरो पर दबाब नहिं देल जाई मुदा आब से बात नै छै, तैं लोक में अलगाव के भावना उत्पन्न भेल जा रहल छै।

#सोचमेंबदलाव :- आब ई सोच भेल छै जे बहरिया के बड़ सुख छै। गांव में कतबो कमाबि लेकिन लोक हेय दृष्टि सं देखै छै। विवाह में बाधा उत्पन्न होई छै।

#परिवहनऔरसड़कमार्गबिजलीइत्यादिकेउचितव्यवस्थाकेअभाव :- ईहो एकटा पैघ समस्या में सं अछि। कोनो काज रोजगार, पढ़ाई- लिखाई, स्वास्थ्य संबंधी समस्या इत्यादि में यातायात के सुविधा आ साधन एकटा मुख्य भूमिका निभाबैयै।

एकर सभक संग एकटा और मुख्य समस्या अछि।जकर नाम छै #आजादी ।

#आजादी कथी सं ?

#आजादी मोन मुताबिक कपड़ा पहिरै लेल, अभक्ष खै पीबै लेल, कतौ मोन मोताबिक छिछियै लेल, सामाजिक अनुशासन सं, अपन संस्कृति सं, अपन संस्कार सं, अपन संबंधिक सं।

आगू की कहू। ई सब हम अपन अनुभव सं लिखलौं, संभव छै हम गलत होई।

निवारण के उपाय :- एकर निवारण के उपाय जेना हमर लिखल एतेक बात सं अहां सब अनुभव केने हेबै जे ७०% सरकार के हाथ आ ३०% हमर अहांके हाथ अई।

आब हम विराम लै छी।यदि कोनो बात अनुचित लागल हुऐ त क्षमाप्रार्थी छी ।🙏🙏

दीपिका झा