शिव कुमार सिंह।
मिथिला सँ पलायन एकटा गंभीर समस्या अछि। बड़ लोक गाम सँ बाहर रहैत अछि।गाम में त लोक बुझेबे नै करत।सबहक आंगन में देखबै जे बेसी महिला आ धिया पुता रहै छै,पुरूख वर्ग त टो टा क मिलत।
कतेक त पूरा परिवारे बाहरे रह’लगै छै। कतेक त ओहिठाम के बसिंदे भ जाई छै।
एकर मूल कारण छै बेरोजगारी।रोज़गार के कारण लोक के मजबूर भऽ पलायन कर’ पड़ै छै।जखन लोक पढाई लिखाई पूरा क रोजगार के लेल सोचैत अछि त परदेश आ विदेश जाय लेल मजबूर भ जाई छै।कारण छै जे मिथिला में रोजगारक ओहन व्यवस्था नै छै। कारखानाक अभाव छै।जेहो दू चारि टा चीनी मिल सब छेलै सेहो बन्द पड़ल छै। सरकारो दिश सँ ओहन मदत नै मिलै छै जाहि सँ स्वरोजगार करय।जकर आर्थिक स्थिति कमजोर अछि तकरा त अपन बिजनेस केनाय मुश्किले छै।
कतेक के स्थिति नीको छै त रिस्क नै लेब’ चाहै छै।
जकरा सरकारी नौकरी छै तेकरो बहुत कमे के अपना क्षेत्र में ड्यूटी रहै छै। मुदा जिविकोपार्जन लेल त घर छोरही पड़ै छै।
ज मिथिलो में कम्पनी सब के विस्तार होय ।स्वरोजगार के लेल मदत भेटैय,उचित शिक्षा आ स्वास्थ्यय के सुविधा होय त बहुत हद तक पलायन रूकि सकै या।
एहि समूह में सेहो देखैत होयब जे बहुत गोटा मिथिला सँ बाहर रहै छै।एना अपन प्रयास रहक चाही मिथिला आ बिहारे में कतो रोजगार करी।नै सम्भव हुए तखने कोनो दोसर रास्ता देखक चाही।हँ कतेक के इहो होई छै जे कोनो ठाम निक नौकरी भेट रहल छै त जाही पढ़ैत छै आ जेबाको चाही। मुदा अपन मातृभाषा, संस्कृति, परम्परा के कखनो नै बिसरक चाही।गाम के सदखनि अपना दिल में बैसा क राखक चाही।
हम जँ गाम सँ एना लोक के पलायन करैत देखै छी त बड़ दुख होइया।गाम के गाम सून लगैत रहै छै।कोनो भोज भात चाहे कोनो कार्यक्रम रहल त आदमिक अभावक कारण ओतेक शोभा नै रहै छै।कतेक के देखै छियै जे गाम में नै रह’ चाहल ।गाम छोड़ि शहर में किराया ल क रह’ लागल।कतेक सोचलक जे शहर में जमीन लय घर बनाबी,आ गाम छोड़ि शहर में रही।एना एकहि बेर गाम सँ मोह भंग नै हेबाक चाही। चिन्तक विषय छै जे सबहक सोच शहर में रहय के होय त गाम में के रहितथि।सोचक बदलाव के जरुरत छै।
हमर सौभाग्य अय जे अखन मिथिला में छी। पहिले किछ दिन बाहर रही,भ सकैया जिविकोपार्जन लेल फेर बाहर जा पड़य मुदा प्रयास रहत जे मिथिले में रही।बेसी लोक के सोच रहै छै जे आर्थिक स्थिति निक हुए त शहर में जमीन ल कऽ घर बनाबी,मुदा हमर सोच गाम में रह’ के अय।हमरा गाम बड़ निक लगैया।
जय मिथिला जय मैथिली