राखी पर प्रवीण शुभकामना
ई रक्षा सूत्र अपने सभक वास्ते!
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अपि बद्ध्नामि रक्षे मा चल मा चल:!!

ओना त आजुक पाबनि धीरे-धीरे बहिन-भाइ केर पाबनि बनिकय रहि गेल अछि, मुदा हम-अहाँ जाहि जड़िक शाखा थिकहुँ ओ वेदविहित बात-विचार बेसी करैत आ करबाक लेल प्रेरित करैत अछि। तेँ, राजा बलिक प्रति कयल गेल पौराणिक चलन आ रक्षा सूत्र बन्धनक ई अदौकाल सँ प्रचलित पद्धति बतेनाय, बेर-बेर मोन मे रखनाय हमरा सभ लेल आवश्यक अछि। हमहुँ सब वैह परमात्माक बनायल एक एहेन जीव छी जेकरा मे विवेक रहबाक सत्य कहल गेल अछि, उचित-अनुचित, नीक-बेजाय, धर्म-अधर्म, सब बात केँ निराकरण कय सकैत छी हम सब। आर, जे बुझय वला होइत छैक ओकरा ऊपर जिम्मेदारी बेसी रहैत छैक। बस जिम्मेदारी बुझू। प्रणाम!
भाइ-बहिन प्रति रक्षा बन्धनक बदले अपन कर्तव्यनिर्वहनक शपथ लैत छथि। से सभक मनोकामना पूर्ण हुअय। हमहुँ अपन जेठ बहिन सँ राखी बन्हायब। कोरोनाकाल मे सब कियो भयमुक्त आ सुरक्षित रहबाक जिम्मेदारी से निभायब, सच मे ई बड़ा भयावह स्थिति अछि। व्यायाम सँ शरीर केँ मजबूत राखब, कोरोना केँ हरेबाक अछि। ॐ तत्सत्!!
सभक रक्षा हो जानकी जी!
हरिः हरः!!