बनगांव केर अनुपम होली

सुभाषचन्द्र झा, बनगांव, सहरसा। मार्च १५, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!
 
कहरा प्रखंड अंतर्गत बनगांव चर्चित गाम अछि। बनगांवक धरती पर 18वीं सदी के संत लक्ष्मीनाथ गोसाई अपन कर्मस्थली चुनलनि । संत श्री गोसाई बनगांव में भगवान श्रीकृष्ण जकॉ हिन्दू-मुस्लिम के साथ घुमौर होली मनायब प्रारंभ कयलनि एहिठामक होली ब्रज स सुन्दर व निराली मानल जाइत अछि ।
 
सहरसा जिला मुख्यालय स महज 9 किलोमीटर पश्चिम कहरा प्रखंड अंतर्गत बनगांव स्थित अछि । तीन पंचायत के मिलाकय बनल ई गाम कहरा प्रखंडक सबस पैघ गाम अछि। एहि गाम में सभ जाति व धर्मक लोक रहैछ ।बनगांवक आबादी सेहो विशाल अछि । ताहि कारण कहल जाइछ जे बनगांवक अपनी संस्कृति व पहचान कायम अछि ।
 
मथुरा में भगवान श्रीकृष्णक लठमार होली त बनगांव में घुमौर होली केर अनुपम परम्परा अछि । एहि मौका पर बनगांव के युवा दू भाग में बाटल जाइछ । उघारे देह सम्पूर्ण गांव में घूमैत छथि गांव घूमय वाला हुजूम के लोग जीरह कहल जाइछ । हुजूम सम्पूर्ण गांव में घूमि कय दुर्गा स्थान पहुंचैत अछि । जाहिठाम रंग-बिरंगक पानि क फव्वारों के बीच लोक मानव श्रृंखला बना होली खेलैत अछि आ शक्ति प्रदर्शन करैत छथि । होली समिति द्वारा दुर्गा स्थानक कोठा पर रंग-बिरंगक पानिक फव्वारा लगायल जाइछ जकरा नीचा उपस्थित समुदाय एक दोसरा के कान्ह पर चढ़िकय मानव श्रृंखला बनाओल जाइछ । एहि अवसर पर गामक माय बहिन सब खिड़की व झरोखा स रंग फेकि सराबोर करैछ ।विषहरी स्थान में मानव श्रृंखला बना कय शक्ति प्रदर्शन करैत अछि । एहि क्रम में लोक सब संत लक्ष्मीपति रचित भजन गबैत छथि । आ बाबा जी कुटी में होली केर समापन कयल जाइछ ।
 
एक सप्ताह पुर्व स शुरू होइछ कार्यक्रम
 
होली के एक सप्ताह पूर्व स शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत के संग संग जगह-जगह गामक बंगला पर सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू होइत अछि । जखन कि ललित झा बंगला पर वाराणसीक कलाकारक तरफ स शास्त्रीय संगीतक सुर निरंतर बिखेरल जाइत अछि । शास्त्रीय संगीतक रंग देबाक लेल बनारस घराना स कलाकार आबैत छथि । बनगांव के युवा सब संत लक्ष्मीनाथ गोसाईकघुमौर होली केर परम्परा के साल दर साल बरकरार रखने छथि । होली के दिन सचमुच हिन्दू-मुस्लिम केर बीच कोनो भेदभाव नहीं रहैत अछि राजनीतिक लाभ लेबय केर वास्ते होली में जनप्रतिनिधि बनगांवक होली मनैबाक मौका नहि गमबैत छथि ताहि कारण स होली रौनक आर बढि जाइछ । बनगांवक होली में नय केयो पैघ व छोट में कोनो भेद व अन्तर नहि देखलहू सब एक समान ।