विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः मैथिली कवि दिनेस रसिया
– बिन्देश्वर ठाकुर, दोहा, कतार।
गा.वि.स. मौवाहा, सप्तरी(नेपाल) घर रहल दिनेश रस्या जी हाल सिरहा जिल्लाक लहानमे सौगात एफ. एम लहान -८८.१ मेगाहर्जमे कार्यरत छथि । मैथिली साहित्य सनेश कार्यक्रम चला’ रहल रस्या जी प्रस्तोताके साथ-साथ पत्रकारिता एवं शिक्षण पेशामे सेहो लागल छनि । एकर अतिरिक्त एक कुशल सर्जक तथा ‘मिथिलाक विकास लेल एक डेग’ अभिप्रायसँ स्थापित संस्था ‘मिथिला स्टूडेन्ट युनियन नेपालक अध्यक्ष पदमे सेहो कार्यरत छथि । सिरहा लहान अन्तर्गतके समुच्चा मैथिल सर्जकसबके एकजुट क’ हरेक विद्यालयमे जा’ मैथिली भाषाक विकास लेल “अपन पहिचान” शीर्षकके वादविवाद प्रतियोगिता लगायत अन्य सांस्कृती कार्यक्रमसब करैत रहै छथि । तहिना विद्यालय स्तरेसँ मैथिली भाषाक विकास सम्भव हेतु समुच्चा शिक्षालयमे ५० पूर्णाङ्कके मैथिली पाठ्यक्रम लागू होएबाक लेल अति अग्रसर छथि । तहिना बीच-बीचमे सरसफाइ,खेलकूद लगायतक आन आन समाजिक कृयाकलापसबमे सेहो सकृय रहनिहार व्यक्तित्व छथि दिनेश रास्या जी ।
तहन आबू हिनक २ गोट रचना पढल जाओ ।
१. बेटीके करुण पुकार
माय गे तोहे किया हमराले कसाइ बनल छि
हम त किछो नै कहलयौ तोरा तैइयो किये पराइ बनल छि ।
भगवानक रचना इ सुन्दर संसार छै
इष्ट मित्र लग हमरे भेदभाव छै
हम अपने नै बन्लयौ ओहन
भगवान के आदेश तोइर बताह बनल छि
हम त किछो नै कहलयौ तोरा तैइयो किये कसाइ बनल छि ।
संसार छै हमरे सं,
तोरोमे छौ कमरे रुप
बेटा होइछै सुरजक किरण
हामरे अचरा हरयर धूप
तैयो किये हमरा फेक क अबै छि
हम त किछो नै कहलयौ तोरा तैइयो किये कसाइ बनल छि ।
सागर त एक दिन सुइख जेतै
सुरुज उगनाइ रुइक जेतै
हमरा जौँ अहिना गर्भैमे कारबे माय गे
धरतीपर बंश बाइहर रुइक जेतै
फेरो किये हमरा हकन कन्बै छि
हम त किछो नै कहलयौ तोरा तैइयो किये कसाइ बनल छि ।
हर घरमे हरा उपास्ना होइछै
भगवतीके रुपमे बन्दना हाइ छै
जौ घर जनम लै बेटी गे माय
आते कपार धैर बापक बिडम्बना होइ छै
अपनो जाग माय हमरा बचाले
दहेजमे हौलसैत प्राण जोगादे
पेटेमे किये मारौछे हमरा
बाहार निकलके एकटा रस्ता बनादे
सुन्दर संसार देखाके नैना जुरादे ।
सुन्दर संसार देखाके नैना जुरादे ।
२. हमर बिचार
जन्ता किये अत बन्ल लाचार
भुइल गेल सब सिस्टाचार
सब कुछ अइछ एत खराब
आब कि कहु हम अपन बिचार
नेता अइछ कुर्सीमे झुल्ल
जन्तासब बिरोधमे भुलल
घुसखोरके दैय हकार
आब कि कहु हम अपन बिचार
विद्यार्थीके किताब नै पुगैय
गरीब सबके भात नै पुगैय
शोषित सबके हात नै पुगैय
मिली भगतके नखरा हजार
आब कि कहु हम अपन बिचार
पत्रकार अछि घुषमे तुल्ल
दिन राइत अइछ फिसमे भूल्ल
कहैय पुगबै छी असल संचार
मुदा पत्रकारिता बन्लय एत व्यापार
आब कि कहु हम अपन बिचार
नारी अइछ वेदनामे डुबल
दहेजक फूल अइछ धरधर फूलल
घर घर अइछ भेदभावक दलाल
के उठायत एकर सवाल
कतौह नै होइय एकर प्रचार
आब कि कहु हम अपन बिचार
शहीदक सपना सकार करु
समाजक बात पर बिचार करु
दिदी बहिन अइछ बड पछुवायल
जागु युवा एकर प्रतिकार करु
सब संदेशक इहे अइछ सार
एह अइछ आब हमर बिचार