माघी सप्तमी के अनुना करबाक विधान अछि

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लेख

प्रेषित : सुनीता झा

माघी सप्तमीक महत्व
माघी सप्तमी कही वा अचला सप्तमी दुनू नाम एहि दिनक कहल जाइत अछि।
वैदिक काललहिसं जाहि प्रदेशक प्रतिष्ठा,ब्रम्हग्यानक केन्द्रक रूपमे इतिहासक पृष्ठ -पृष्ठमे अंकित अछि।एकर स्वतंत्र संस्कृति रहल अछि। मिथिलाक विशेषता अछि जे सालो भरि कोनो ने कोनो पाबनि होइत अछि आ देवी-देवता कें अराधना होइत अछि।माघ मास धर्म मास कहल जाइत अछि।कल्पवास वा यग्य, अनुष्ठान ,दान पुण्य, पूजा पाठ आदि एहि मासक विशेष फलदाई अछि। सनातन धर्मक विभिन्न आचार जेना वेदाचार, वैष्णवाचार्य,सिद्धांताचार,योगाचार आदिक संकेत देखबामे अबैत अछि। मिथिलाक संस्कृतिमे बच्चीक विवाहोमे कतेक तरहक योग टोनाक प्रचलन अछि जेना नयनायोगिन,राईजमैन,
योगक आ टोनाक गीत आदि द्वारा बरके अपन बेटीक वशमे करबाक लेल कयल जाइत अछि। विशेष यैय दरसाओल जाइछ जे हमर धिया कें नहिं तेजथि।कारण छलैक एक बर अनेक विवाह करैत छलाह।प्रथम बर भेटबाक सेहो कामना माघी सप्तमीक दिन कयल जाइत छल,गाम घरमे प्रायः होइतो हयत।एहि दिन कुमारिकन्याके अन्हारे पोखरि वा नदीमे लय जा निखंड जलमे नहाओल जाइत छल जे निखंड बर भेटथिन्ह आ एकटा मंत्र सेहो छल।पांच टा बैरक पात पयर तर आ पांचटा आकक पात माथ पर द स्नान करैत छलिह कहैत जे अइरीन बैरिन पयर तर आ बम महादेव माथपर अर्थात बैरीन भेली सौतीन।हम सब कयने छी स्नान।ओना आब एकर कोनो प्रयोजन नहिं।
सूर्यदेवक जन्मदिवस छनि माघी सप्तमी दिन तैं नोन नहिं खयबाक चाही। पूजा अर्चना जतेक करी फलदाई हयत।एहि तिथि पर शक्ति आ चैतन्यक सुन्दर संगम होइत छैक तैं विशिष्ट देवताक तत्व आ शक्ति आनन्द ओ शांतिक प्रतिक मानल गेल अछि।एहि दिन सूर्योदयक समयमे पोखरि आदिमे स्नान कयलास उर्याक वृधि सेहो होइत छैक कहबी इहो छैक जे चर्मरोगवला व्यक्तिकें आजुक दिन उदयकालीन स्नान सं रोग मुक्ति भेटैत छनि।
ओना एहि विषय पर विस्तृत लिखल जायत तखने संभव। माघी सप्तमीक दिन गोसाउनिकें पातरि सेहो देल जाइत छनि जाहिमे कतौ कतौ गुरक खीर आ मालपुआ कतौ सामान्य खीर आ मालपुआ अपन कौलिक व्यवहारानुसार देल जाइत अछि।