सांस्कृतिक-पुरातात्विक संपदाक चोर-तस्करक गिरोह मिथिला मे सक्रिय – पार्ट २

विचार 

– प्रवीण नारायण चौधरी

सहरसाक सत्तरकटैया प्रखंडक दोरमा मन्दिरकेर मूर्ति पर विवादास्पद पोस्ट भैरवलाल दास मेटा लेलनि, भगवती हुनका सद्बुद्धि देलखिन। ओना, अपन मोनक पीड़ा ओ जाहि तरहें एक ब्राह्मण जाति-समुदाय व मिथिलाक धार्मिक परम्परा पर रखने रहथि, कय रंगक कुतर्क-कौचर्य करैत लोकआस्था पर चोट कएने छलाह से स्पष्टे अछि। एहि सन्दर्भे किछु आशंका मिथिला मे सक्रिय सांस्कृति-पुरातात्विक संपदाक चोर-तस्करक गिरोह केर मिथिला मे सक्रियता सम्बन्ध पर किछु प्रकाश देने रही। आइ एकर भाग २ प्रकाशित कय रहल छी। 

भाग १ मे थोड़-बहुत चर्चा मे आयल एक व्यक्तित्व ‘शिव कुमार मिश्र’ हाल महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय (दरभंगा) केर संग्रहालयाध्यक्ष छथि। मैथिली साहित्य संस्थान केर भैरवलाल दास सचिव छलाह (वा छथि) तथा शिव कुमार मिश्र कोषाध्यक्ष – २०१५ मे प्रकाशित समाचारक सन्दर्भे ई कहल अछि, ओना वर्तमान समयक कार्यकारिणी मादे कोनो खास जनतब नहि अछि। (समाचार लिंक – http://www.maithilijindabaad.com/?p=3902) । सामाजिक संजाल मे जाहि तरहें आस्था पर गम्भीर चोट भैरवलाल दास केर पूर्वचर्चित पोस्ट सँ भेल ताहि मे बराबर भागक दोषी शिव कुमार मिश्र सेहो छथि।

ओहि पोस्ट पर हिनकर स्टेटमेन्ट सेहो काफी वीभत्स आ घृणास्पद लागल छल हमरा। दोरमा मन्दिर मे स्थापित मूर्तिक किछु रास फोटो शेयर करैत ई लिखने रहथि जे मूर्ति पर पहिरायल साड़ी हंटाकय मूर्तिक फोटो पठेला सँ ज्ञात भऽ जायत जे ई मूर्ति दुर्गाक थिकन्हि या विष्णु केर। एतबा नहि! हिनकर एक मन्तव्य मे प्रसिद्ध पुरातत्वविद् डा. फणिकान्त मिश्र सँ सम्बोधित शब्द छल जे ‘आस्था आ परम्पराक आधार पर ब्राह्मण व धार्मिक परम्परा केर औचित्यक वकालत पुरातत्वविद् केर काज नहि थिक’। भ’ सकैत छैक जे पुरातत्वक विज्ञान मे एहि बातक पढाई करायल जाइत होइक, लेकिन एक सामान्य आस्थावान केर रूप मे हुनक ई स्टेटमेन्ट काफी आहत करयवला छल। 

शिव कुमार मिश्र आ हमर अनुभव

२०१४-१५ केर आसपास युवा सामाजिक अभियन्ता अमित आनन्द (महिषी, सहरसा) सँ मैथिली साहित्य संस्थान, मिथिला भारती शोध पत्रिका एवं शिव कुमार मिश्र केर परिचय भेटल। मैथिली जिन्दाबाद पर मैथिली साहित्य संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्षक ८ जनवरी केँ आयोजन होइत आबि रहल ‘मैथिली दिवस’ पर समाचार (ऊपर लिंक देल अछि) जाहि मे संस्थानक परिचय, गतिविधि आदि पर सेहो समाचार प्रकाशित कएने रही। फेर किछु समय बाद फरवरी २०१६ मे मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल मे हिनका सहित भैरवलाल दास जी संग पटना मे भेंट सेहो भेल छल। चर्चित शोध पत्रिका मिथिला भारतीक किछु अंक सेहो कीनलहुँ। हालांकि एहि पत्रिका मे प्रकाशित कइएक शोध आलेख केर स्तरीयता पर अपना सन्तोष नहि भेटल, कतहु-कतहु चर्चा मे किछु एहनो बात पता लागल जे आइ-काल्हि शोधक नाम पर कपचा-कपची-साटा-साटी (अलग-अलग विद्वानक शोधपत्र सब सँ कौपी-पेस्ट कय अपन नाम सँ प्रकाशन) मात्र होइत छैक। खैर! बादहु मे लोक सब पुछैत रहलाह त हमहुँ मिथिला भारतीक नीक रेफरेन्स दैत रहलहुँ, नहि मामा सँ कन्हा मामा, किछु त चलि रहल छैक से सोचिकय। 

किछुए दिनक बाद खबरि भेटल जे शिव कुमार मिश्र केर बचबा इन्टरमीडिएट मात्र पास रहितो एकटा एहेन एप्प निर्माण कयलक अछि जाहि सँ फ्रेन्च-जर्मन बजनिहार सेहो घरहि-देशहि बैसल मैथिली भाषा सीखि सकत। एन्ड्राइड मोबाइल सेट पर ई एप्प डाउनलोड कयल जा सकत, एहि मे मिथिलाक गीतनाद, कला-संस्कृति, साहित्यिक सामग्री आदि सेहो प्राप्त हेतैक। एतबा कहाँ, दिल्ली-मुम्बई मे प्रवासी मैथिल लोकनिक धियापुता सेहो मैथिली सीखि सकत, यूपीएससी केर तैयारी सेहो मैथिली वैकल्पिक विषय चयन कयनिहार लेल आसान भऽ जायत, आदि। लेकिन ई एप्प सम्भवतः आइ धरि लांचिंग नहि भेल या फेर हमहीं अभागल, हमरे दर्शन नहि भेल। धरि ई खबरि खूब जोर-शोर सँ हिन्दुस्तान अखबार सब मे, आनलाईन सब मे सेहो प्रकाशित भेल छल। बचबा अच्युत केर बेहतरीन भविष्य लेल हम सब काफी आशावान भेल रही। आइ निश्चित बेहतरीन स्थान पर ओ स्थापित होयत से हृदय सँ कामना करैत छी। धरि ओ एप्प केवल गप्पे टा रहय या असलियत, एकरा लेल जिज्ञासू आइ धरि बनले छी। 

न्युज कटिंग शेयर करय मे शिव कुमार मिश्र नंबर १ देखेलाह

कालान्तर मे व्हाट्सअप केर कतेको समूह पर हम सब संयुक्त रूप सँ मेम्बर रूपे जुड़ल रहलहुँ। मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशित समाचार-विचार सभक लिंक कैप्शन सहित हम विभिन्न स्थान पर शेयर करैत रहैत छी। मैथिली भाषाक संचारकर्म सँ दीर्घजीवनक कामना सहित एहि कार्य सँ आम मैथिल केँ कतेक लाभ होइत छन्हि से नहि पता लेकिन अपना काफी सन्तोष भेटैत अछि जे दोसर-दोसर भाषा मे मैथिली-मिथिलाक समाचार बहुतो प्रकाशित नहि होइत अछि, अपन भाषा अपन सरोकारक बात बेसी लोक पढथि-बुझथि, यैह भावना रहैत अछि। लेकिन एहि बीच हम देखलहुँ जे लगभग एल्टरनेटिभ डे पर शिव कुमार मिश्र द्वारा विभिन्न प्रकारक आत्मकेन्द्रित समाचार सभक कटिंग ग्रुप सब पर शेयर कयल जाय। कतेको बेर ओहि समाचारक विवरण पढिकय गर्वक अनुभूति हुअय, हुनक विद्वता पर काफी सम्मानक भाव सेहो आबय… मुदा अचानक हमर सोच मे परिवर्तन आबय लागल जखन बेसी रास मिथिलाक पुरातात्विक धरोहरपर विवादपूर्ण दावी करैत देखियनि। एहि क्रम मे कमलादित्य स्थान (ठाढी) केर मूर्ति पर देल किछु विचार (जेना मोन पड़ि रहल अछि) हमरा कोना-दनि लागल छल। आर, फेर एतबा रास न्यूज कटिंग केर दर्शन भ’ गेल जे मोन ऊबि गेल। आब डैम-केयर वला हाल मे आबि गेल छलहुँ। 

विद्वान् एक – विषय अनेक – भत्ता बिना रोटी नहि सेक

शिव कुमार मिश्र एवं भैरवलाल दास जीक जोड़ी द्वारा सोशल मीडिया संग प्रिन्ट मीडिया मे प्रकाशित समाचार संग आलेख आदिक अध्ययन सँ एना लागल जेना हिनका सब सँ समाज केँ बहुत किछु भेटि सकैत छैक। दुइ महत्वपूर्ण समारोह मे आमंत्रित करबाक कहानी पहिने कहिये चुकल छी। लेकिन हम तखन क्षुब्ध भेलहुँ जे हमरो समान कार्यकर्ता आ सदिखन अपन निजी लगानी सँ किछु-किछु करैत रहबाक प्रतिबद्धताक सोझाँ सेहो आवश्यक भत्ताक मांग भेल। हम स्वयं ओतेक धृष्ट नहि भऽ सकैत छलहुँ जे कोनो विद्वान् केँ कतहु सहभागी बनाबी त हुनका आबय-जाय के किराया-भाड़ा नहि दी… लेकिन ताहि सँ इतर अन्य कय तरहक भत्ता आ कार्यपत्रक तैयारी आदि लेल सेहो समुचित खर्च जुटेबाक सामर्थ्य हमरा मे नहि भऽ सकल अछि एखन धरि। एहि तरहें बहुप्रतिभासम्पन्न एहि दुइ विद्वान् केर विद्वताक लाभ जे आम जनसभा (खुल्ला मंच) सँ दिएबाक हमर सपना छल से आइ धरि अपूर्णे रहल। ता धरि त ई लोकनि कहियो ‘साहित्य अकादमी’ केर भत्ताभोगी स्रोत व्यक्ति-विद्वानक रूप मे, त कहियो भाषा संस्थान मैसूर केर भत्ताभोगी स्रोत व्यक्ति-विद्वानक रूप मे, कहियो बिहार सरकार त कहियो भारत सरकार – विभिन्न निकायक आयोजित गोष्ठी, व्याख्यान, आयोजन आदि मे मुख्य भूमिकाकार – सूत्रधारक रूप मे देखा गेलाह त बुझि गेलहुँ जे हमरा लोकनि निजी प्रयास वला लोक हिनका सब मे केना सकब! ओना एहि बीच मे अखिल भारतीय मिथिला संघ – दिल्लीक आयोजन मे ई सब गेल छलाह, विस्तृत विवरण त नहि अछि, लेकिन कम सँ कम संघक आयोजन मे हिस्सा लेलनि से खुशी भेल। 

सोशल मीडिया पर मिथिलाक्षर आ कैथी लिपि बीच विवाद आ विद्वान्-द्वय

बीच मे कहियो संजीव मिथिलाकिङ्कर त कहियो रामबाबू सिंह (दिल्ली) द्वारा विद्वान-द्वय सँ जुड़ल कय गोट ऐतिहासिक शोध-खोज केर बात सब सेहो पढैत-देखैत रहलियैक। एक बेर रामबाबू सिंह द्वारा ‘मिथिलाक्षर केवल ब्राह्मण द्वारा प्रयोग करबाक’ बात कतहु पढलियैक। ओहि मे सन्दर्भ-पुस्तकक तौर पर हिन्दीक कोनो किताबक पन्नाक स्क्रीन-शौट रहैक। जखन कि विद्वान् जिनकर उक्तिक चर्चा रहैक ताहि मे नाम डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सनक नाम देखलियैक। बड़ा दुविधा मे पड़ि गेलहुँ। आखिर ई कोन प्रसंग मे आ कतय जिकिर एलैक? छानबीन कयला उत्तर जे सब बात पता लागल त कोनो खास प्रसंग सँ जुड़ल लिपिक प्रयोग केर तीन स्वरूप मे ताहि समय धरि सिर्फ ब्राह्मण द्वारा मिथिलाक्षर प्रयोग कयल जेबाक बात केँ सीधे सामान्यीकरण करैत मिस-कोट कयल गेल छलैक। जड़ि मे जे मिस-कोट करयवला विद्वान रहथि से भैरवलाल दास। ओत्तहि पता चलल भवनाथ झा सँ जे भैरवलाल दास केर दावी छन्हि जे ‘कैथी लिपि’ केर आविष्कार कायस्थ जाति द्वारा भेल। ता दरि हास्यक्रम मे विजयदेव झा वा शंकरदेव झा लिखि देलखिन कि हिनकर वश चलनि त बेलायत केर कैथोलिक ईसाई समुदाय केँ सेहो कायस्थक वंशज सिद्ध कय देता, ईहो सब मसखरी चललैक। ओम्हर मिथिलाक्षरक विद्वान् विनय झा केर कोनो पोस्ट या लाइव मे सेहो पटना मे सक्रिय गिरोह जे बौद्धिक विमर्शक सारा ठेकेदारी अपनहि पास रखने अछि सेहो पढने-बुझने-देखने-सुनने रही। हर तरहें ई पटनाक सक्रिय गिरोह हमरा नजरि मे ताहि समय सँ आब ‘माफिया’ रूप मे स्थापित भऽ गेलाह अछि। हम अपनो ओतेक ठोस जानकार या ज्ञानी-परधानी नहि छी जे हमहीं पूर्ण रूपे ठीक छी से कहि दी, बस हमरा ई आशंका छल जे ‘दोरमा मन्दिर प्रकरण’ सँ विश्वास मे परिणति पाबि गेल अछि। 

निष्कर्षतः हमर किछु मांग अछि

जाहि तरहें पुरातात्विक महत्वक बहन्ने ई लोकनि मिथिलाक गाम-ठाम मे रहल मूर्ति आदि पर विवाद ठाढ करैत सक्रिय गिरोह लेल सहायक बनैत छथि, ताहि सँ पहिने स्वयं केर कर्तव्य कतेक पूरा करैत छथि एहि विन्दु पर विमर्श होयब जरूरी अछि। 

१. दरभंगा संग्रहालय (म. ल. सिं. संग्रहालय) जतय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार २०१७ मे आबि स्वयं निरीक्षण कयलाक बाद महत्वपूर्ण इवोरी एन्टिक्विटीज (पुरातन सामग्री जे हाथीक दाँत सँ बनल अछि) सभक संग स्वर्णपरत चढल राजगद्दी, राजसी ठाठक कुर्सी-सोफा-पलंग व बहुतो प्रकारक कीमती पेन्टिंग सहित अन्य संग्रहित सामग्रीक रजिस्टर बनल अछि या नहि? यदि रजिस्टर बनल अछि त विभाग द्वारा रजिस्टर आ सामग्री उपलब्धता केर हाल धरि कोनो वेरीफिकेशन करायल गेल अछि या नहि? लखनऊ केर National Research Laboratory for Conservation of Cultural Properties (NRLCCP) द्वारा हाल धरिक १.६७ करोड़ टकाक बजट खर्च मे कतेक कि कार्य दरभंगा संग्रहालय मे संभव भऽ सकल अछि? 

२. फेसबुक फुकास्टिंग मे – पेपरक छपास्टिंग मे कयल गेल दावी जे स्वयं शिव कुमार मिश्र द्वारा गये दिन फेसबुक-व्हाट्सअप पर चस्पा (पेस्ट-पोस्ट) कयल जाइत अछि, तेकर दावी अनुसार बिहार सरकारक वेबसाइट या मैथिली साहित्य संस्थान केर वेबसाइट पर एखन धरि सूचीकृत मन्दिर-मूर्ति सभक नाम कियैक नहि प्रकाशित भेल अछि? जखन कि पेपर मे दावी अछि जे ई वेबसाइट पर प्रकाशित कय देल गेल? कि रहस्य छैक एहि पेपरबाजी केर? कहीं पब्लिक आ सरकार केर नजरि मे धोखा दय केँ कीमती चीज-वस्तु कतहु अन्तहि त नहि टपायल जा रहल अछि? बहुतो तरहक जरूरी सरोकार केर विन्दु पर पब्लिक केँ सूचना नहि दय केवल ई छपास बीमारी सँ ग्रसित देखावटी बातक प्रचार-प्रसारक कारण की? 

३. ‘तूँ हमर मुंह पोछ, हम तोहर मुंह पोछ, बस पोछिते काटब दिन हो, मैथिल चलल बेसुरपुरिया’ – हम एहेन सैकड़ों न्यूज कटिंग देखलहुँ जाहि मे शिव कुमार मिश्र द्वारा भैरवलाल दास केर मुंह पोछनाय, आ भैरवलाल दास द्वारा शिव कुमार मिश्र केर मुंह पोछनाय भऽ रहल अछि। लेकिन ई मुंह पोछनाय केवल विवादित बात केँ जन्म देबाक लेल कयल जाइत अछि आ कि एकर लाभ सेहो आम मैथिल जन केँ छन्हि? उदाहरण – आइ दु-तीन दिन सँ जहिया सँ हिनका लोकनिक ब्राह्मणविरोधी बात-विचारक विरोध हम कयल, जाहि मे हम विद्वान पुरातत्वविद् डा. फणिकान्त मिश्र केर चर्चा कयल, ताहि दिन सँ ई दुनू मुंहपोछुआ विद्वान् प्रेमीद्वय डा. फनिकान्त मिश्र समान विद्वान् आ दिग्गज पुरातत्वविद् पर भिड़ गेल छथि। २००८ ई. केर एक ट्रैपिंग केस जाहि मे डा. फणिकान्त मिश्र पर एन्टी करप्शन ब्युरो (सीबीआई) पटना द्वारा रेड कय हुनक अनुपस्थिति मे हुनकर किरानी एवं ड्रावर मे सँ किछु नगद टका सिजर करैत केस फायल केलक तेकरा खोलिकय अपन कुकृत्य केँ झँपबाक असफल प्रयास कय रहला अछि। अपन गिरोहक किछु लोक केँ ओहि मे नत्थी कय केँ मुंह पोछापोछी खेल खेला रहला अछि। ई बिसैर गेलखिन जे अदालत मे विचाराधीन केस पर अदालतहि केँ विचार करबाक छैक, न्याय देबाक छैक – लेकिन एहि गिरोह मे जातीय अहंता सँ शामिल हमर एक प्रिय मित्र संजीव मिथिलाकिङ्कर तक होश गमबैत लिखैत छथि जे आब हुनका एहि केसक जनतब भेट गेलनि, आब ओ कार्रवाई तेज करौता! जेना ज्युडिशियरी केर कोनो आला हाकिम होइथ हमर मित्र जे एक अवकाशप्राप्त पदाधिकारी डा. मिश्र जे २००८ केर ओहि केसक कारण सस्पेन्सन आ फेर स्पेन्सन एक्विटल प्राप्त कय भारत सरकारक कय गोट महत्वपूर्ण मिशन पुरातत्व विभाग मे पूर्ण कय बाकायदा रिजनल डायरेक्टर (पूर्वी भारत) सँ रिटायर भेलाह, तिनका पर कार्रवाई करौता संजीव सिन्हा उर्फ संजीव मिथिलाकिङ्कर! आर त आर, आब नवका शिगूफा ई मुंहपोछुआ तस्कर-चोरक सहायक लोकनि नेपाल कनेक्सन सेहो खोलता – हिनका लोकनिक हिम्मत त एतबा अछि जे विरोध करिते पोस्ट डिलीट मारैत छथि, लेकिन आब ई लोकनि अपन छवि केँ चमकौता। देखा चाही!!

अन्त मे, किछु रास फोटो सब संलग्न कएने छी एहि पोस्ट मे! कनेक गौर करियौक। घोषणावीर महापुरुष लोकनिक घोषणा अनुसार जँ सन्दर्भित वेबसाइट पर किछु अपलोड कयल भेटि जाय त कनेक हमरो बतायब। हम ताकि-ताकि कय हारि गेलहुँ, न बिहार सरकारक वेबसाइट पर किछु भेटल, नहिये मैथिली साहित्य संस्थानक वेबसाइट पर। अहाँ सब केँ जँ भेटि जाय त कहब। ओना हमरा पता अछि जे एहि गिरोह मे किछु पेड पत्रकार छथि जिनका व्हाट्सअप पर लिखल मेसेज जाइत देरी ओ कोनो पेपर मे अपन प्रभाव सँ समाचार लगबा दैत छथिन।

लगैत अछि, पार्ट ३ सेहो लिखहे पड़त!! पाठक लोकनि आनन्द लैत रहू!! पार्ट ३ मे हमर फोकस अछि विभिन्न स्रोत व्यक्ति, हुनका सभक संग बातचीत अनुसार यथार्थ सरोकार आ उपलब्धि!! ॐ तत्सत!

हरिः हरः!!