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मिथिलाक सामाजिक-राजनीतिक स्थिति नेपाल मे

नेपालदेशीय मिथिलाक सामाजिक-राजनीतिक स्थिति
मिथिलाक वर्तमान भूगोल संवैधानिक रूप सँ मान्यता नहि पाबि सकल अछि, ई संघर्ष नाममात्र लेल जहिना भारतदेश मे जारी अछि किछु तहिना नेपालदेश मे सेहो। पिछला करीब तीन दशक मे नेपाल केर राजतंत्र सँ गणतंत्र मे परिणतिक विभिन्न आन्दोलन मे मिथिला राज्य संघर्ष समिति (जनकपुर) द्वारा संविधान सभा मे ‘मिथिला राज्य निर्माण’ केर प्रस्ताव प्रवेश करेबाक मांग राखल गेल छल, एहि लेल आयोजित जनकपुरक रमानन्द चौकक धरना मे मिथिला विरोधी तत्त्व द्वारा बम विस्फोटक घटना इतिहास मे दर्ज अछि जाहि मे रंगकर्मी रंजू झा सहित कुल ५ गोटे शहीद भेल छलाह तथा करीब ४० गोटे घायल सेहो भेल छलाह जिनका सभ केँ ‘जिन्दा शहीद’ केर दर्जा लोकभाषा मे देल जाइत छन्हि। हाल नेपालदेश मे राजतंत्र केँ जैड़ सँ उखाड़ि देल गेल अछि आर एतय संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्रक स्थापना कयल गेल अछि। संघक अपन नव संविधान काफी जद्दोजहद उपरान्त लगभग १० वर्षक समय मे जारी कयल जा सकल आर आब संविधान लागू करबाक पहिल शर्त जे तीन तह केर जन-निर्वाचित सरकार सँ एतुका शासन व्यवस्था चलत, केन्द्र, प्रदेश तथा स्थानीय तह – ताहि तीनू निकायक चुनाव सम्पन्न भऽ नेपाल आ ‘समृद्ध नेपाल – सुखी नेपाली’ केर नारारूपी अभियान मे शनै:-शनै: डेग बढा रहल अछि। एहि नव नेपाल मे ७ गोट प्रान्तीय प्रदेश जेकर नामकरण स्वयं प्रदेश सभा (राज्यक विधानसभा) द्वारा कयल जेबाक संवैधानिक प्रावधान संग कुल ७ गोट प्रान्तीय सरकार पर निर्णय छोड़ि आगू बढि चुकल अछि।
एखुनका प्रदेश २ मिथिलाक प्राचीन परिभाषा अनुरूप कोसी आ गंडक केर बीचक कुल ८ जिला केँ ‘राज्य’ केर दर्जा भेटल अछि। हालांकि एकर नामकरण आ राजकाजक भाषा – एहि दुइ महत्वपूर्ण बातक निर्णय लम्बित अछि। प्रदेश सरकार एहि लेल आयोग केर गठन सेहो केलक अछि। एम्हर सामाजिक संजाल व मीडिया मे ई बहस सेहो समानान्तर ढंग सँ चलि रहल अछि जे ‘मधेश’ लेल आन्दोलन आ शहादति केँ कोना केवल प्रदेश २ सँ गूँथिकय तुष्टीकरण करैत एहि प्रदेश २ केर नाम मिथिला नहि हुअय, राजकाजक भाषा सेहो मैथिली केँ नहि बनय देल जाय। एहि लेल तरह-तरह केर हावाबाजी आ कुतर्कपूर्ण बहस सामाजिक संजाल मे नित्य देखय लेल भेट जाइछ। प्रदेश २ अन्तर्गत कार्यरत मीडिया मे सेहो एहि सब विन्दु पर जोरदार तर्क-वितर्क होइत देखल जा सकैत अछि। मैथिलीक विभिन्न बोली केँ अलग भाषा होयबाक दम्भ आ दावी करैत एहि ठाम एक तरहक राजनीतिक विभाजन कय सत्ताभोग केर बाट ओहिना प्रशस्त कयल जा रहल अछि जेना भारतीय गणराज्य मे बिहार प्रान्त संग भेल। आयोग केर प्रतिवेदन प्रकाशित होबय धरि ई बहस किछु एहि तरहें निरन्तरता मे रहत, वोट बैंक पोलिटिक्स कयनिहार एहि तरहक कुतर्कपूर्ण प्रहार सँ मैथिली-मिथिला केँ पुनर्स्थापित होय सँ रोकैत रहत आर समाज केँ अपन भाषा, संस्कृति, पहिचान, मौलिकता आदि सँ दूर राखि सिर्फ राजनीतिक मोहरा बनाय अपन गोटी लाल करैत रहत।
पूर्वक शासन व्यवस्था द्वारा मिथिला सहित अन्य भारतीय सीमा सँ सटल प्रदेशक लोक केँ ‘मधेशी’ कहिकय दोसर दर्जाक नागरिक मानैत रहल, ईहो सच्चाई थिकैक। नेपाल मे माओवादी क्रान्ति द्वारा ‘मुक्ति आन्दोलन’ केँ जखन ‘जनयुद्ध’ मार्फत लागू करेबाक दबाव बढल आर देशक प्रमुख राजनीतिक दल भारतक मध्यस्थता मे जखन माओवादी नेतृत्व सँ शान्ति समझौता कय देशक राजतंत्र केँ सत्ताच्युत कयलनि, तदोपरान्त वैह शान्ति समझौताक विभिन्न बुँदागत निर्णय मुताबिक देश मे नव संविधान निर्माण सँ लैत संघीय प्रणालीक प्रक्रिया चलल आर ताहि मे ‘मधेश आन्दोलन’ प्रमुखता सँ ‘समग्र मधेश एक स्वायत्त प्रदेश’ केर राजनीतिक एजेन्डा संग मुखर भऽ उठल। माओवादी क्रान्ति सेहो मधेशीक मुक्ति आ समान नागरिक अधिकारक ओकालति कएने छल, अन्य राजनीतिक दल सेहो मधेश आ मधेशीक उत्पीड़ण सँ मुक्तिक बात केँ समर्थन केलक। परञ्च मधेश आ मधेशी पहिचान केँ परिभाषित करबाक क्रम मे समस्त मधेश मे रहनिहार केँ ‘मधेशी’ नहि मानि एहि मे दुविधापूर्ण स्थिति बनि जेबाक कारण कियो पहाड़ी मूल, त कियो आदिवासी, कियो जनजाति, कियो मुसलमान, कियो दलित – एहि तरहें मधेश आ मधेशीक समग्रता केँ खण्ड-खण्ड मे खण्डित कय देलक। आब मधेशी के बचि गेल? मधेशीक संख्या अचानक ५०% केर दाबी सँ बामोस्किल २०% तक खैस पड़ल। मधेशक नाम पर राजनीति आरम्भ तऽ भेल, लेकिन आखिरकार एहि मधेशवाद केर चरित्र केँ शासक वर्ग द्वारा लगायल आरोप जे ई ‘राष्ट्रक अस्मिताक विरुद्ध विखंडनकारी’ मुद्दा थिक, किछु तहिना सिद्ध केलक जखन मधेशवादक नाम पर कियो स्वतंत्र देशक निर्माणक मांग आगू कय देलक, तऽ कियो मधेशक भीतर थरुहटप्रदेश केर मांग आगू राखि देलक, किछु तहिना मधेशवादक वकालत कयनिहार द्वारा मिथिलाक मांग केँ सेहो मधेश-विरोधी कहिकय आपस मे अविश्वास केर स्थिति उत्पन्न कय लेलनि।
मिथिला राज्यक मांग ‘मैथिल’ पहिचान केँ स्थापित करबाक आ विश्वक एक प्राचीनतम सभ्यता – युगों-युगों सँ चलैत आबि रहल आ वेद-पुराण मे वर्णित पहिचान केँ शिरोधार्य कय जनक-जानकी सँ लैत अद्यतन समय धरिक विद्वान् परम्परा केँ पोषण करैत समस्त मानव समुदायक हित लेल चिन्तन, कर्म आ कर्तव्य निर्वहनक परिकल्पना केँ आगू बढायल गेल। लेकिन वेद विरोध, ब्राह्मण विरोध, हिन्दू-मुसलमान व अन्य धर्मावलम्बी सहितक समाज लेल परिकल्पित ‘धर्म-निरपेक्षता’ आदिक परिणाम सँ मिथिला आ मैथिलीक सर्वस्वीकार्यता पर प्रश्न चिह्न लागल अछि। ताहि पर सँ कुतर्क आ झूठक दुष्प्रचार कय एहि क्षेत्रक विशाल निरक्षर ओ पिछड़ल वर्गक लोकमानस मे अनेकों भ्रान्ति पसारल जेबाक कारण स्थिति बद सँ बदतर अछि। एक त ओहिना कलियुग, ताहि मे त्रेता, द्वापर या सत्ययुगक परिकल्पना ‘मिथिला’ केँ आत्मसात करबाक बदला घोर अन्तर्जातीय विद्वेष भावना केँ भड़केबाक खेला-वेला; नेपाल मे प्राप्त सीमा-आधारित मिथिला एखन ‘मध्य-मधेश’ बनिकय ‘मधेशी शहीद’ आ हुकुमत वर्गक पहिचान ‘पहाड़ी मूल’ लेल एकटा चुनौतीपूर्ण नियति बनाकय रखबाक क्रीड़ास्थल मात्र देखाइत अछि। विद्या, वैभव, धर्म, शान्ति, मूल्य, मान्यता, ईत्यादि सब बात प्राथमिकता मे नहि अछि। बल्कि मधेशी उत्पीड़ण सँ न्याय पेबाक लेल मिथिलाकेन्द्रित मधेशीकरण मात्र मे लागल अछि।
एकटा तर्क ईहो अछि – नाम सँ कि हेतैक जखन लोकहित लेल राज्य आ राजकाजक कोष व्यवस्थापनक अधिकार स्वत: मिथिला लेल भेट गेल। बिल्कुल – यैह यथार्थ छैक आर यैह अन्तिम संतोष सेहो। प्रदेश २ केर सरकार द्वारा संविधानक दायरा मे रहियेकय शासन व्यवस्था संचालित होयत। केन्द्र सरकार द्वारा सेहो संविधानक प्रावधान अनुसार अपन बौद्धिक, सामरिक, आर्थिक पृष्ठपोषण कयल जायत। तैँ, पहिचान केँ ‘मैथिल’ रूप सँ मानी अथवा ‘मध्य-मधेशी’, राजकीय सुख-सुविधा संविधानप्रदत्त प्रावधान अन्तर्गत प्राप्त हेब्बे करत। दुइ विशाल पड़ोसी मित्रराष्ट्र भारत ओ चीनक बीच केर एकटा सुन्दर सन फूल – हिमालयक कोरा मे अवस्थित आ कोसी, कमला, बलान, गंडक, सहित अनेकानेक छोट-पैघ नदी सँ निरन्तर प्रक्षालित सुन्दर भूमि पर उपलब्ध सुन्दर वन-उपवन आ खेत-खरिहान केर भोग कयनिहार आइयो ओतबे जनक-जानकीक आशीर्वादक अनुभूति करैत छथि जतेक युगों पहिने करैत छलाह। अत: नेपालदेशीय मिथिलाक लोक आइयो अपन निजता यानि विद्या आ वैभव संग स्वाभिमानक रक्षा करैत धर्म-कर्म-कर्तव्य हरेक विन्दु पर विजय हासिल कएने छथि, एतबा कहय मे कोनो हर्ज नहि बुझा रहल अछि। हम विदेहक सन्तान, सदैव विदेहक गुण आ धर्म केँ धारण कय अपन महानता केँ कदापि मलिन नहि होबय देब। राजनीतिक षड्यन्त्र भले हमरा जातिवादक दहकैत आगि मे नित्य झरका रहल अछि, लेकिन निमिक मृत शरीर जेना हमर राजा मैथिल केँ मथला सँ जन्म देलनि, ठीक तहिना आइ नेपालदेशक मिथिला मे भाषा, संस्कृति, पहिचान आदिक निरन्तर मंथन मे हमरा लोकनि ताजा-ताजा ‘मैथिल’ मात्र बनि रहल छी। हमर सम्पत्ति आइयो शिक्षा, संस्कार, आध्यात्म, त्याग, बलिदान आ समर्पण कायम अछि। जय मिथिला – जय जानकी!!
हरि: हर:!!

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