विचार
– राजेश झा, दरभंगा
दरभंगा स रसियारी होइत सेहो सहरसा जा सकै छी। मुदा अहि पार के रास्ता बड्ड खराब हालत में देखब। पाली घनश्यामपुर तक त मिला जुला के ठीक अछि। जखने रसियारी टपि के कोसी बाँध पर पहुँचब, की बुझु हाड़ हिलब शुरू भ जैत। करीब 16 -17 किलो मीटर के बाद गंडोल पहुँचब जतय नबका पुल बनि गेल अछि। ता धरि बाँध पर स एक दिस लबालब भरल कोसी आ दोसर दिस चर-चाँचर पसरल देखब। ज अहि बाँध पर चकाचक रोड बनि जाय त बुझु जे मिथिला के मुम्बई तर्ज पर ‘कोसी ड्राइव’ भेंटि जायत। शानदार नजारा के संग-संग घुमै के शौकीन लोक सबस किछ शुल्क सेहो लेल जा सकैत अछि। बीच-बीच में होटल-मोटल स सेहो स्थानीय लोक के आर्थिक उपार्जन भ सकैत अछि।
चर-चाँचर में मखाना आ माँछ के खेती के विकास भ सकत। मखाना के कैश क्रॉप जेना ट्रेडिंग कैल जा सकैछ।माँछ त नगदी के चीजे अछि। वाटर स्पोर्ट्स के सेहो व्यवस्था में कोसी के उपयोग कैल जा सकैत अछि। कोसी के मुख्य धारा स इतर धार में जल प्रवाह समुचित होइत अछि।
सहरसा दिस नहर-प्रणाली ठीक-ठाक अवस्था में अछि। सुमन समाज भाई कहला जे ओ क्षेत्र लो लैंड अछि। एहने नहर प्रणाली के विकास कोसी के उपरका जल ग्रहण क्षेत्र स नीचाँ अबैत हेबाक जरूरत अछि। मधुबनी जिला में किछ काज शायद भेल अछि। मुदा ओकर स्थिति बहुत खराब अछि। ओकर सुधार आ अन्य क्षेत्र में विस्तार के द्वारा कृषि उत्पादन में अत्यधिक विकास भ सकत। कियो कहने छला है जे दोसर हरित क्रांति मिथिले में संभव अछि। ई अतिशयोक्ति नै अछि।
अपन राज-अपन काज आ अपन सरकार-अपन सरोकार के स्थापना के बादे इ सब व्यवस्था संभव अछि। मगधिया संस्कृति मिथिला संग ईर्ष्या-द्वेष के भावना रखैत अछि। ओकर प्राथमिकता में मिथिला भू-भाग अंतिम पायदान पर अछि। अपन क्षेत्र के ‘गरीब रथ’ भेटैत अछि। ओकरा भरि दूर देश पठायब मिथिला के काज बना देल गेल अछि। एमहर संपत्ति बिलैट रहल अछि आ बाबु-भैया 50-100 गज के फेर में अटकल छथि।
आउ 8-9 नवंबर के दरभंगा आ दियौ हुँकार कसि के। एकजुटता समय के मांग अछि आ संगठन में लोक के आपूर्ति ध्येय। मिरानिसे मैदान सजा रहल अछि। बिगुल बाजब शुरू भ गेल अछि। जुटानी के तैयारी शुरू करू। अपन अधिकार अछि मिथिला राज्य। अपन भाग्य जुरल अछि अहि आंदोलन के संग।
जय मिथिला जय जानकी जय मिरानिसे।