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कोनो नारी कमजोर नै, ममतावस कोमल होई छथि

  1. लेख विचार
    प्रेषित:  पीतांबरी देवी
    श्रोत: दहेज मुक्त मिथिला समूह
    लेखनी के धार ,बृहस्पतिवार साप्ताहिक गतिविधि
    विषय : परिवार मे असगर नारी कतेक असहज आ कतेक सहज।

असगर नारी
ओना ते समय केकरो लेल बैसल नै रहै छै । दुःख के रहय वा सुख के समय सबटा बित जाईत छै। लेकिन दुःख के समय बहुत कठिनाई से बितैत छै।हम अपन मां के देखने छि।हम सब छ भाई बहिन छलौ बाबू चल गेला ।सबसे छोट भाई मात्र 18 मास के छल आर बरका भाई मैट्रिक पास केने छला।बहिन 12 वर्ष के छलि ओहि समय मे सब कहनि अज्जग बेटी छनि तहुमे मसोमात के घर मे।खेतो पथार अफरात नै छलै ।नैहर सासुर कतौ के कोनो अबलम्ब नै छलै ।दियाद वाद जेहने सब के रहै छै संकट मे आर संकट बढ़ेबै तेहने हमरो काका सब छला। लेकिन हमर मां हिम्मत नै हारलक ।अपना से कने निके घर मे बहिन के विवाह करा देलकनि।आर सब के जे जहि क्लास मे रहथि सब के पढ़ाई पर जोर देलक ।हम देखने छि तुरत फिस भरय के रहैत छलै ते मां सुदी पर पाई उठा के भाई सब के फिस भरबैत छल।फेर कोनो पाई आबय ते सुद बला के पाई देल जाई ।सुद बला के सुद नै भरबै ते सुद के सुद लैत रहै ते हर मास सुद बला के तीन रुपैया दू आना के हम दय अबियनि ।कहियो अचानक पाई के काज भय जाई ते हमरा घर में पित्तल फुल के बहुत बर्तन छलै ओकरा बन्धक राखि के मां काज चलाबै छलै।हम छोटे रहि लेकिन हम खबासनि संगे बंन्धक बला ओत जाई तहि से सबटा मोन अछि हमर मा कहियो आंगन से नहि निकलल।खबासनि ओ नोकर के भरोसे काज चलै छलै।भाई सब बाहर रहैत छला ते हम सब ठाम खबासनि संगे जाई छलौ।भाई सब दरभंगा में कालेज मे पढ़ैत छला ते मां अपने से जतेक घर के सामान होई चाउर,दाली दरररी के ,हरैद के बूकनि क के सतुआ पीस के ,चूड़ा कुटा के मोटरी सब दैत छलनि भाई सब के ।जखनि बहुत रिन पैच भय जाई ते खेत बेच के सब के रीन पैच सधबैत छल। लेकिन पढौलक सब के आर सब बच्चा मां के संग देलकै आर ओकर मेहनति सफल भेलै ।हमर मा नब नुआ नहि पहिरय आर कहै जे हमरा जखनि सब बच्चा सब कमाय लागत तखनि नब नूआ पहिरब से हमर संकल्प अछि लेकिन बात ई रहै जे ओ अपना लेल नूआ किनिते कतय से।ताबत तक हमर भाई सब के छारल पुरान धोती पहिर के जीवन कटलक।ओ अपना लेल साड़ी किनिते कतय से ओकरा ते धिये पुता के पुरबैत पुरबैत अंन्त नै होई छलै एकटा झंझट हटल कि दोसर झंझट आगु आबि गेल।आर ओहि मे ओकर जबानि से बूढ़ापा आबि गेलै ।हमर मां असकर सबटा केलक भाई सब के विवाह दान सेहो ओ असकरे ठिक केलक अपन बेटा सब के बिचार लय के आर सबटा मे सफल भेल ।असकरो नारी यदि हिम्मत नहि हारैत छथि ते हबटा कय लैत छथि।नारी कमजोर नहि होईत छथि हुनका मे मनोबल बहुत कम रहैत छनि।आर जखनहि मनोबल कम देकलक कि दुष्ट चारुकात से घेरय लगैत छै।आर असकर नारी घबरा के पाछु हटि जाईत छथि दुष्ट सब अपन काज में सफल भय जाईत अछि।

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