— आभा झा।
फास्ट फूड कथि अछि से बुझनाइ जरूरी अछि। फास्ट फूड शब्दक प्रयोग रेस्टोरेंटमे तुरंत बनय वाला भोजनक लेल कयल जाइत अछि। फास्ट फूड ओ अछि जाहिमे पहिनेसँ सब तैयारी कऽ लेल जाइत अछि अर्थात पहिनेसँ ही उसइन या पका कऽ फ्रीजरमे राखि देल जाइत अछि आ मँगला पर तुरंत गरम करी कऽ बेचल जाइत अछि।उदाहरणक लेल मैकडोनाल्ड, केएफसी, के खेनाइ। बर्गर, पित्जा, मोमोज, सैंडविच आ मिल्कशेक आदि फास्ट फूडमे अबैत अछि। फास्ट फूडक प्रवेश आब अपन मिथिलामे सेहो बढ़ि रहल अछि। अपन मिथिलाक लोक सेहो आब उपनयन संस्कार, मूड़न आ विवाहमे फास्ट फूडक स्टाॅल लगबैत अछि। जगह-जगह नब-नब रेस्टोरेंट सब खुजि गेल अछि। फास्ट फूड हमर पारंपरिक खान-पानक हिस्सक , विशेष कऽ हमर युवाक आदत पर हमला शुरू कऽ देने अछि। बदलाव प्रकृतिक नियम अछि आ इंसानी जिंदगी आ विकासक लेल जरूरी सेहो।मगर किछु बदलाव एहेन अछि जे किछ मजबूरीकेँ कारण हमर जीवनमे घुसि आयल या फेर हम आधुनिक जीवन शैलीक नाम पर ओकरा अपना लेलहुँ। एहेने बदलाव अछि खान-पान संबंधी हिस्सककेँ। खान-पान संबंधी रोजमर्राक हल्का-फुल्का आदत कतेक तरहक गंभीर बीमारीकेँ हमर जीवनमे जगह देने अछि। बदलैत खान-पानक प्रभाव हमर वयस पर सेहो पड़ि रहल अछि।लोक समयसँ पहिने बूढ़ भऽ रहल अछि आ अपन वयससँ बेसी बूढ़ देखाइत अछि। एकर कारण अछि असंतुलित आहार लेनाइ। अंधाधुंध किछ खा लेनाइ शरीरक लेल धीमा जहरक काज कऽ रहल अछि, आ धीरे-धीरे बीमारीक शिकार बना रहल अछि। आइ गाम-गाममे खाद्य पदार्थक स्टाॅल आ गुमती देखल जा सकैत अछि, जतय संध्यामे युवाक भीड़ लागल रहैत अछि। खास कऽ युवामे फास्ट फूडक प्रचलन तेजीसँ बढ़ल अछि। जेकर परिणाम अछि कि युवा लोक सेहो बीपी, हार्ट आ डायबिटीज जेहेन बीमारीक शिकार भऽ रहल अछि। जे बीमारी बुज़ुर्गक मानल जाइत छल, आब पैंतीस, चालीस बरखक युवा पीड़ित भऽ रहल अछि। एकर मुख्य कारण आइ काल्हिकेँ खान-पान आ जीवनशैली अछि। देशक कोना-कोनामे फास्ट फूडक श्रृंखला एकरा एखन तककेँ उच्चतम स्तर पर पहुँचा देने अछि। खान-पानमे गाम आ शहरमे बेसी अंतर नहिं रहि गेल अछि। गामक बहुत तेजीसँ शहरीकरण भऽ रहल अछि। गामक लोक सेहो आब शहरी लोकक दिनचर्याकेँ अपना रहल अछि, देर राति तक जागैत रहनाइ आ भोरे देरीसँ सुति कऽ उठनाइ। फास्ट फूडमे कोलेस्ट्रॉलक मात्रा बेसी होइत अछि। वसाकेँ मात्रा बेसी होइत अछि जाहिसँ मोटापा आ डायबिटीजक बीमारी युवामे बढ़ि रहल अछि। खान-पानक बदलैत तरीका आ बदलैत जीवनशैलीकेँ परिणाम अछि कि आइ बेसीतर महिला गर्भावस्थाक दौरान मुश्किल हालातसँ गुजरैत छथि। खराब असंतुलित आहार आ जीवनशैलीमे बदलावक परिणाम अछि कि आइ करीब पंद्रह प्रतिशतसँ बेसी महिला बांझपनकेँ समस्यासँ ग्रस्त अछि। हालांकि एकर कारण ई सेहो अछि कि आब महिला सब नौकरीपेशा छथि आ देरीसँ विवाह करयकेँ विकल्प चुनि रहल छथि। आधुनिक जीवनशैली आ फास्ट फूडक प्रभाव स्वास्थ्यकेँ संग ही प्रजनन क्षमताकेँ सेहो प्रभावित कएने अछि। एहिसँ पुरुषमे प्रजनन क्षमता घटय लागल अछि। ताहि दुवारे जरूरी अछि कि कमसँ कम दिनमे तीन बेर भोजन करयकेँ पुरान परंपराकेँ तरजीह देल जाय। सादा जलखइ आ आहार हो आ जल्दी सुतनाइ आ जल्दी उठैकेँ दिनचर्यामे शामिल कयल जाय। फास्ट फूडसँ बचबाक लेल सबसँ पहिने जतेक संभव हो बाहर रेस्टोरेंटमे खाइसँ बचयकेँ प्रयास करी। फास्ट फूडक दोकान खोलि कऽ लोक करोड़पति बनि गेल, ई काज एतेक बढ़ि रहल अछि कि रोज नब दोकान खुलि रहल अछि। एकर दुष्प्रभावकेँ बुझि कऽ एकर प्रयोग सीमित कऽ देबाक चाही, खास कऽ बच्चा व युवाकेँ तऽ एहिसँ दूर रहबाक चाही। समाजमे एकर दुष्प्रभावकेँ उजागर करबाक चाही तथा जागरूकता रैली निकालि कऽ एकर प्रयोग पर सीमा लगेबाक चाही, अन्यथा युवा आ बच्चा अपन बुढ़ापा नहिं देखि पाओत।
पारंपरिक तरीकासँ पकाओल गेल भोजन नीक जीवनशैलीक लेल उपयुक्त अछि। पिछला किछ दशकमे भारतीय युवा पश्चिमी सभ्यताक प्रभावमे आबि कऽ फास्ट फूड खेबाक गलत आदतक अनुसरण करी लेने छथि जकर दूरगामी नुकसान देखल गेल अछि। आब समय आबि गेल अछि किस हम फेरसँ अपन जड़ि दिस रूख करी आ पारंपरिक आहारकेँ आदतकेँ फेरसँ अपनाबी।
जय मिथिला, जय मैथिली।