बेमेल विवाहः पहिने आ आब

बेमेल विवाहः पहिने आ आब

– प्रवीण नारायण चौधरी

(#लेखनीक_धार अन्तर्गत दहेज मुक्त मिथिला पर लिखल गेल लेख)

विवाह संस्कार थिक। नर पुरुष आ नारी महिला बीच गठजोड़ के सभ्य स्वरूप केँ विवाह मानल जाइत अछि। विवाह मे एकटा स्त्री आ एकटा पुरुष केँ एक संग जीवन जिबय के अधिकार भेटैत अछि। प्रकृति केँ सनातन जिवन्त रखबाक लेल नवसृजन के अधिकार भेटैत अछि। प्रकृतिक सर्वथा सुन्दर व श्रेष्ठ प्रभाव सँ नवसृजन होइत छैक। अपभ्रंश भाषा मे नर-मादाक ‘संसर्ग’ सँ नवसृजन होइछ, मनुष्यक सन्दर्भ मे एकर आध्यात्मिक आधार केँ विवाह कहल जाइछ।

बेमेल विवाह

बेमेल विवाहक साधारण अर्थ एतबा भेल जे विवाहित जोड़ीक मेल नहि मिलल। ओना त ई बड़ा कठिन विषय मानल गेल अछि जे ‘मेल मिलल’ या ‘मेल नहि मिलल’ एकरा केना परिभाषित कयल जाय, तथापि समाज मे प्रचलित सिद्धान्त आ व्यवहार अनुसार लोक स्वयं तय कय लैत अछि जे ‘मेल’ या ‘बेमेल’ केहेन विवाह भेल। विवाह सँ दुइ विपरीतलिंगी जीव केँ मिलन व संसर्गक अधिकार अनुरूप मेल-बेमेल के निर्णय करब समाजक हाथ मे नहि रहैछ, कारण ई अत्यन्त गुप्त रहस्यक बात केवल दुइ प्राणी केँ आपस टा मे पता चलि पबैत छैक। लोकक दृष्टि सँ मेल-बेमेल अधिकांशतः भौतिक आधार पर होइत छैक। यथा – जाति, गोत्र, उमेर, शिक्षा, पेशा, माता-पिता-परिवार, कुल-खानदान, आर्थिक अवस्था, शारीरिक वर्ण आ कदकाठी, बजबाक आ प्रस्तुत हेबाक शैली-सामर्थ्य आदि अनेकानेक पक्ष पर लोक विवाह भ’ रहल कन्या-वर केँ मिलबैत छैक आ एहि सब आधार पर मेल-बेमेल के बात तय करैत छैक।

विवाह रहस्यमयी सम्बन्ध मानल जाइछ

हम मिथिलावासी आ हमरा सभक बाप-पुरखा जे आत्मविद्या जेहेन गूढ़ विषय-सन्दर्भ मे पर्यन्त महारत हासिल कएने छथि, विवाह केँ रहस्यमयी सम्बन्ध मानैत छी। हम सब ‘विवाह भगवानहि के घर सँ तय कयल गेल’ निष्कर्ष स्थापित कएने छी। जन्म-पुनर्जन्म आदिक मान्यता संग अनेकों आध्यात्मिक चेतना सँ परिपूर्ण हम मिथिलावासी भौतिक दृष्टि सँ ‘बेमेल विवाह’ केँ ओतेक नहि मानैत छियैक, तथापि जनसामान्य एक मिनट मे दूल्हा-दूल्हिन केँ देखिते कहि देत जे मेल मिलल या नहि मिलल।

राजा हिमवानक पुत्री गौरीक वर महादेव जखन अपन भूत-प्रेत-पिशाच आदिक फौज सहित विवाह लेल मिथिला अयलाह त सारा आध्यात्मिक समझ त’र पड़ि गेल आ माता मैनाक पीड़ा मे सम्पूर्ण मिथिला समाज वरक भयंकर रूप देखि बरियाती घुमबय पर उतारू भ’ गेल। ओ त स्वयं गौरी (जगज्जननी) यदि स्थिति केँ नहि सम्हारितथि त महादेव केँ पर्यन्त नहि छोड़ल जइतन्हि एहि मिथिला मे, बेमेल विवाहक अद्भुत नमूना छल ई। परञ्च, सब जनैत छी जे सदा-सदा शिवक अर्धांगिनी रहली सती अपन नव जन्म गौरी (पार्वतीक) रूप मे पुनः महादेव केँ वरण कयलीह।

अधुनातन समय मे मेल-बेमेल

आइ हम सब अर्थयुग (कलियुग) मे छी। आइ टका-पैसा सँ नम्हर आन किछु नहि। भगवानोक दर्शन करय लेल टिकट कटाउ त दर्शन पाउ। बेटीक विवाह करब, खूब टका खर्च करू, बड़का घर आ वर ताकू, दहेज जुटाउ, कुटुम्बक स्वागत-सत्कार मे टका उड़ाउ, आब त लाइट डेकोरेशन सँ स्वर्गे पृथ्वी पर उतरैत छथि… बेटी भले सीता समान प्रखर आ शक्तिशाली होइथ अथवा नहि, जमाय सबटा रामहि अबैत छथि आ समाज मे जनक-दशरथ के मिलन लेल डीजे बाजा, नाना तरहक डिस्को ऐटी-टू सँ ट्वेन्टी-ट्वेन्टीथ्री, कैमरा ऐक्शन-कट-रिटेक, आदि भिन्न-भिन्न आडम्बरी-देखाबटी बात सब होइत अछि विवाह मे। एहेन चरम भौतिकतावादी संसार मे बायोडाटा मार्फत मैचिंग, ज्योतिष विद्या अनुसार ‘३६ गुण’ मध्य कन्या-वर के मैचिंग, हाइट के मैचिंग, कलर के मैचिंग, विवाहक हरदी-मेंहदी-गेन्दी (नव-नव विध) अनुसारक ड्रेस के मैचिंग… ओह! कतेक कहू! ताहि मे कतहु मैच नहि भेल त ओ भ’ गेल ‘बेमेल विवाह’। बात शौर्ट कय रहल छी आब हम। मुख्य बात सबटा उपरे मे कहि देल। अनमैचिंग मीनिंग बेमेल। से खूब भ’ रहल अछि। जेकरा पास जेहेन सामर्थ्य ओ अपन तेहेन कुटमैती कय रहल अछि। टका आ दहेजक लोभ मे १६ नम्बर कनियाँ सँ २५ नम्बर के वर के विवाह होइत छैक, खूब भेलैक।

आजुक बेमेल विवाह

पहिने लोकलाज आ सामाजिक नियम-बन्धनक भय मे बहुतो बात अनुशासित रहय। आब लोकपलायन आ रोजी-रोटी लेल अपन गाम-समाज आ नियम-बन्धन सँ दूर लोक मे आन-आन समाज जेकाँ वर्णसंकर विध-विधान अपनेबाक, एतेक तक कि विवाहक परिधानहु आ रूप-सज्जा आदि सेहो फिल्मी तर्जक बनि जेबाक कारण बहुतो तरहक बेमेल विवाह सामने देखा पड़ि रहल अछि। जातीयताक मेल अन्तर्जातीय विवाह केँ राज्य द्वारा बढावा दय कय एकरा न्यायोचित सेहो करार देल गेल अछि। कुलदेवी आ देवता पितर के कोनो माइन नहि रहि गेल अछि, गाम-समाज छोड़ि रिसौर्ट आ होटल-विवाहभवन आदि मे विवाह ‘चट मंगनी पट विवाह’ के तर्ज पर होइत अछि। वर बाबू आइ विवाह कयलनि, काल्हिये कनियाँ संगे हनीमून आ फेर परसू सँ ड्यूटी पर ज्वाइन, लाखों के पैकेज रहबाक कारण छुट्टीक घोर समस्या, कनियाँ सेहो नोकरी मे, वर बंगलुरु आ कनियाँ गुड़गाँव-पुणे! बड़ा विचित्र अवस्था छैक। विवाह सिर्फ नाम लेल रहि गेल छैक। ओनाहू लिव-इन रिलेशनशीप – माने छौंड़ा छौंड़ी बनिकय संगे रहू, भोग करू, औनलाइन समान मंगाउ आ खाउ… जा धरि चलतम् ता धरि चलतम्, जहिया बदलतम तहिये बदलतम्, ओकरा संगे आइ, दोसरा संगे काल्हि… आब बेमेल विवाह केँ कोनो धारिता (वौल्यूम) नहि रहि गेल। ई अमीबा जेकाँ कोनो रूप धय सकैत अछि।

लम्बा लेख लेल क्षमायाचना!!

हरिः हरः!!