लेख
– नित्यानन्द मंडल
हमरा मोनमे बहुत दिनसँ एकटा बात अहुरिया काटि रहल अछि जे समसामयिक राजनीतिक विषय आ सन्दर्भमे रा.रा.ब. कैम्पसक राजनीतिशास्त्रक प्राध्यापक लोकनि किएक नहि अपन मुँह खोलि रहल छथि । मोनमे फेरसँ प्रश्नक लावा फुटैत अछि जे कि तऽ हिनका सबलग मिडियाक पहुँच नहि अछि अथवा मिडिया हिनका सबलग नहि पहुँचैत अछि । जहाँधरि हमर अनुभव अछि जे स्वर्गीय राम कुमार यादव सर नहि बजैत छलाह से नहि, ओ ठाहिँ पठाहिँ प्रायः कार्यक्रमसभमे बाजथि, सेहो निर्भीकतापूर्वक, तर्कसंगत आ अनुभवक आधार पर अपन बात रखैत छलाह ओ । हिनका कोटिशः नमन करैत छियनि ।
हिनकाबाद शून्यता देखिरहल छी । भऽ सकैए हमर दृष्टि नहि पहुँचि पबैत हुअए, ई हमर अज्ञानता भेल । एकरालेल क्षमा चाहैत छी ।
एकबेरक गप्प कहैत छी जे एहि क्याम्पसक एकगोट राजनीतिशास्त्रक प्राध्यापककेँ एकटा काठमाण्डुक टेलिभिजनबला बड पछोर कएलकनि, नेहोरा कएलकनि, ओ लंक लागि कऽ परा गेलाह । रा.रा.ब. कैम्पससँ एक्के छरपानमे अपन घरमे गायब भऽ गेलाह, मोबाइल औफ करैत गेलाह । ओ कन्छी कटैत रहलाह । मुदा हमहुँ सभ छोड़लियनि नहि । जिबटताक दाद देबए पड़त, हमहुँ सभ हुनकर घरधरि पहुँचलहुँ, नक्कदम कय केँ हुनकासँ बजबाइये लेलियनि । प्रसँगो कहिए दैत छी । ओ रहैक ई जे मधेशवादी दलसब किएक फुटि रहल छैक ।
छोड़ू ई आहेमाहे । मूल गपपर अबैत छी । जखन हिनका सबलग मिडिया नहिं पहुँचैत छैक तऽ ओ मिडिये जानौ, मुदा ओकरो सबकेँ तऽ राजनीति के प्रसँगक आधिकारिक बाइट तऽ हुनकेसबकेँ लिखला आ बजलासँ नीक आ सान्दर्भिक भऽ सकैए । मुँह मारो मिडियाकेँ, अखन तऽ हाथ-हाथमे मोबाइल छैक । कखनहुँ टभकल जा सकैत अछि । एक सिमाने, एक चौरिए बहुअर्वा आ देपुरा–रुपैठा भेलाक सँगहि पारिवारिक सम्बन्धक कारणे बाबुजी कहियोकाल प्रो. ताराकान्त झा सरक खेरहा सुनबैत छलाह । मोन पडैत छथि जीवछ प्रसाद बछार सर, धीरेन्द्र लाल कर्ण सर, केसरी सर, नवीन मिश्रा सर, एक गोटे बड नमगर-पोरगर, चानि पर केश नहि… नाम पेटमे अछि मुदा अखन टप्प दऽ ठोरपर अबिते नहि अछि । एहि तरहेँ बहुतो गोटेक नाम आ चेहरा मोनमे अबिते अछि, मुदा ठोर पर नहि बहराइत अछि, तकरालेल क्षमा चाहैत छी । सबगोटे बन्दनीय, नमनीय छथि ।
साहए तऽ कतेक दिनधरि भाषा-साहित्यक प्राज्ञिक व्यक्तित्व बहुविधावादी हस्ताक्षर डा. राजेन्द्र प्रसाद विमल, अर्थ शास्त्रक डा. भोगेन्द्र झा व्यथित आ डा. सुरेन्द्र लाभ, भाषा साहित्यक प्रो. परमेश्वर कापडि, श्याम सुन्दर शशि आ विजय दत्त गैर राजनीति शास्त्रक प्राध्यापक होइतहुँ समसामयिक राजनीतिक प्रसँग सभक सन्दर्भमे देश आ समाजकेँ दिशाबोध करएबाक हेतु विरापान उठौने रहताह ?
समस्त गुरुजनकेँ हार्दिक नमन करैत छियनि । रा.रा.ब कैम्पस आ गुरु लोकनिप्रति आँगुर उठएबाक धृष्टता हम कथमपि नहि कऽ सकैत छी । किएक तऽ ओहि क्याम्पसक हम विद्यार्थी रही आ एकरा लेल अपनाकेँ सदैव गौरवान्वित महसुस सेहो करैत छी । कैम्पस आ गुरु लोकनिकेँ ओतबे सम्मान, श्रद्धा आ निष्ठा भरल आँखिसँ देखैत छी । हमरा पर सम्पूर्ण गुरु लोकनिक आशीर्वाद बनल रहए । खैर जे जेना, एकरा आशीर्वादक बानगी कहल जाए जे किछु वर्ष पूर्व राजनीति शास्त्रक प्राध्यापक अवकाशप्राप्त गुरुवर जगदेव साह घरकेँ आगुएमे अभरल रहथि, सरकेँ बहुत दिनक बाद दर्शन भेल रहय । खुशीक कोनो सीमा नहि रहय । एहनमे बरोबरि दर्शन कऽ सकी तकरालेल एकटा सेल्फी तऽ अवश्य बनैत छैक ने ।