“मिथिलामे गृह उद्योगके लेल बहुत संसाधन अछि।”

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— पीताम्बरी देवी।     

मिथिला में गृह उद्योग के लेल बहुत संसाधन अछि।आर बहुत तरहक बस्तु जात जे कतौ आनठाम नहि भेटैत अछि ओ मिथिला में भेटैत अछि ‌।जेना मखान मिथिला के फल थिक।मखान से बहुत तरहक चीज बनैत अछि ।मखान के खीर लेल मखान के पावडर बना के बेच सकैत छि।मखान भूजि के नमक कालामिर्च चाट मसाला दय के कुरकूरे जेका पैकेट वना के बेच सकैत छि।मखान पैकेट में बेच सकैत छि।एतय के कुम्हरौरी , बीरिया,तीसियौरी,तीलौरी ,चरौरी,सत्तू, सब किछ गृह उद्दोग में बहुत गोटा काज कय रहल छथि ।जिनकर समान देश के कोना कोना में जाईत छनि ।जेना निशा झा के मसाला उद्योग बहुत बढ़िया चलि रहल छनि।हमर कंचन झा के मिथिला के सब बिध व्यवहार के सामान विवाह ,द्विरागमन, उपनयन,मूण्डन ,बेरसैत पैंचमी ,मधुश्रावणी,आरो आरो बिध ब्यवहार के सामान सब सब ठाम जगह जगह कुरियर से जा रहले ।झा जी के अचार मिथिला में नामि भय गेले। मिथिला पेंटिंग ते देस कि बिदेश में नाम केने अछि।अपन मिथिला में अनेकों तरहक गृह उद्योग चलि सकैत अछि आर बहुत गोटय आगु बढ़ि के काज कय रहल छथि। लेकिन अखनहु बहुत गोटा टांग खिचय लेल बैसल छथि ।आर बहुत अपनहि एहेन छथि जे भूखे मरताह लेकिन रोजगार नहि करताह।आर दोसरा के हसताह हे फल्ला के कनिया ते अचार बेचै छै हे फल्ला ते कुम्हरौरी बेचै छथि।अपना सब के ओतय आम के अमोट बनैत अछि ओकरा बाहर आम पापरी अहि के खाईत छथि।आर अपना सब के ओतय के जे आम होईत अछि ओकर जैम जेलि बना के बेचल जा सकैत अछि।एतय के मम्ई,मालदह, कृष्ण भोग सन आम कतहुं नहि अछि ।जाहि लेल मिथिला में रहैत मैथिल आर परदेशी मैथिल यदि आपस में मिल के ब्यापार करथि ते बहुत चलत। मिथिला में रहैत मैथिल मिथिला से परदेशी मैथिल के सामान पठौथिन आर ओतय परदेशी मैथिल सामान के ओडर लय के सब के सामान देथिन वा एकटा मिथिला के खान पान के दोकान कहि के दोकान खोलि लेताह आर मिथिला से सामान मंगबैत रहता ते सब किछु परदेशी सब के भेटैत रहतनि।एहि में मिथिला के बिध व्यवहार के सामान के सेहो दोकान चलि सकैत अछि ।जाहि से बाहर रहैत मैथिल सब के विवाह ,उपनयन बा पावनी तिहार में कतौ बोआए नहि परतनि ओ सिधा मिथिला के दोकन पर जेता आर सब सामान एकेठाम लय के आबि जेता।परदेशी मैथिल सब के बाहर कोनो विवाह दान में बहुत समान ताकय में परेशानी होईत छनि।अखनहि परदेशी मैथिल सब के बेटी के मधुश्रावणी हेतनि ओतय सब किछु लेल बौआय परतनि वा गाम से मंगव परतनि लेकिन यदि मिथिला से मैथिल परदेशी मैथिल के सामान पठबैत रहितथि आर ओतय एकटा दोकान रहितय ते परदेशी के अपन बेटी के मधश्रावणी के लेल मैना पात से लय के लावा तक भेट जैतनि एकहि ठाम।आब ते अपन मिथिला में बहुत गोटा गृह उद्योग में लागल छथि लेकिन खुलि के आगु बहुत कम गोटा आबि रहल छथि ।सामान बेचबो करैत छथि ते चोरा नुका के सामान के दाम पूछवनि ते कहती हमरा से फोनपर बात करु ।सामान संग दाम नै लिखती । मिथिला में गृह उद्योग के कतौ दोकान नै कियो खोलने छथि घरे से सामान बेचै छथि।आर बहुत गोटा के कुम्हरौरी अदौरी अचार ते एहेन रहै छनि जे पुछूनहि आर दाम रहैछनि हाई क्लास फेर किन नहि सकैत छि बूझू ते पाई फेका गेल ।सामान में गुणवता रहनाई परम आवश्यक अछि तखनहि कोनो उद्योग चलि सकैत अछि।
पीताम्वरी देवी ‌