“मिथिलावासी जँ मोनमे ठानि लेथि त’ सभ समस्याक समाधान चुटकी बजाओलासँ भ’ जाएत ई हमर सभक विश्वास अछि।”

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— कीर्ति नारायण झा।   

“भोरे आंगन कौआ कुचरय, पाहुन अओताह गेल सभ जानि, बड़का फूलही लोटा राखल, भरि कऽ पानि दलान पर आनि… अपन सभक मिथिला संस्कृति केर केन्द्र बिन्दु आ विद्वान केर तपोभूमि जाहि ठाम माय बाप के अपन धिया पूता पर एतेक विश्वास जे धिया पूता नहिं मोन लगा कऽ पढलाक बादो आइ ए एस होयवाक आत्मविश्वास। मिथिला के सभ सँ बेसी क्षति केलकै एहिठाम सँ शहर मे प्रवास कयनाइ कारण सभ चीज सँ सम्पन्न होयवाक उपरान्तो मिथिला में दुर्भाग्यवश कोनो फैक्ट्री अथवा कारखाना नहिं भेलैक जकर मुख्य कारण छलैक जे एहि ठाम केर विद्युत आपूर्ति आ सड़क। आब दुनू साधन में सुधार भेलैक अछि। सड़क तऽ आब एतेक सुन्दर भऽ गेलैक अछि जे आब थाल किच देखनाय सपना भऽ गेलैक अछि आ बिजली के इजोत में सड़क पर हेराएल सूई सेहो भेटि जाइत छैक। आब अपना सभक ओहिठाम गृह आ कुटीर उद्योग खूब नीक जकाँ लगाओल जा सकैत अछि जकर उदाहरण देखल जा सकैत अछि जे झाजी अँचार पूरा बजार मे अपन नाम आ स्थान बनाओलक अछि। दरभंगा केर इ झाजी अंचार कल्पना झा आ उमा झा नामक ननैद आ भौजी के अथक प्रयास सँ दिल्ली, मुंबई, कोलकाता आ बंगलोर सन महानगर में लोक के खूब नीक लागि रहल छैन्ह। रंग बिरंग के अँचार, पापड़, कुम्हरौरी, दनौरी, तिसियौरी, अदौरी, मुरौरी सभ बजार में पहुंचैत देरी छुहुक्का जकाँ उडि़ जाइत छैक कारण जे मिथिलाक लोक कोनो वस्तु के बनेबा में कोनो तरहक कोताही नहिं करैत छैथि भले ओकर लागत मूल्य बढि जाए तकर ओ परवाह नहिं करैत छैथि। मिथिलाक तीन अनुपम वस्तु पान, मखान आ माछ के अतिरिक्त बहुत एहन सामान मिथिला में उपलब्ध अछि जकर उद्योग लगा कऽ मिथिलाक गरीबी आ बेरोजगारी के चुटकी में समाप्त कयल जा सकैत अछि संगहि एहिठाम सँ मजदूर केर पलायन के रोकल जा सकैत अछि। मिथिलाक पारम्परिक खान पान जेना मखानक खीर, व्यंजन, अँचार, सत्तू इत्यादि सभ मिथिला में अनुपलब्धता के कारण एकरा पुनः उपलब्ध कराओला सँ स्वावलंबन आ रोजगार केर संभावना देखाइत अछि।
कटहर केर अँचार आ अंडेबा केर प्लास्टिक चटनी, कुम्हर केर असली मुरब्बा एहि ठामक एक्सक्लूसिव सामान छी जकरा आगू बढाओल जा सकैत अछि। उपर वर्णित मीनू में अस्सी प्रतिशत सँ बेसी मिथिलानी के हाथ सँ बनाओल जाइ बला बस्तु सभ अछि आ एहि सँ मिथिलाक महिला लोकनिक स्थिति सुदृढ हेतैन्ह आ अपन पति केर दरमाहा पर निर्भरता कम हेतैन्ह जाहि सँ समाज में अथवा परिवार में महिला पर होमय बला प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष अन्याय के विरुद्ध अपन आवाज बुलंद कऽ सकैत छैथि। दहेज सन केर सामाजिक कुरीति अपनहि आप समाप्त भऽ जाएत। एकर अतिरिक्त मिथिलाक जनेऊ, एहि ठामक चित्रकला, मिथिला पेंट दुनिया के अन्य जगह भेटनाइ असंभव अछि। एहि ठामक लोक व्यवसाय में पाइ लगेबा मे आनाकानी करैत छैथि जकरा भरोसा दऽ कऽ समस्याक समाधान कयल जा सकैत अछि।
एहि ठामक आम समस्त देश मे अपन स्वाद सँ सभके प्रभावित करैत अछि, एहि ठाम केर बम्बैइ आ मालदह आमक रस सँ पेय पदार्थ के समक्ष रसना आ मेंगो जूस सभ सभटा फीका भऽ सकैत अछि। एहि आमक रस सँ अम्मट बना कऽ बेसी दिन धरि आमक विशुद्ध रस केर आनन्द लेल जा सकैत अछि। मिथिलावासी जँ मोन में ठानि लेथि तऽ सभ समस्याक समाधान चुटकी बजाओला सँ भऽ जाएत ई हमर सभक विश्वास अछि।