— नीलम झा।
चैत मास शुक्ल पक्ष तिथि नवमी रे, ललना रे तीनू रानी वेदने व्याकुल दगरीन चाहिए रे। भए अवतार महाप्रभु राजीव लोचन रे ललना अयोध्यामे बाजए बधाई की सुर-मुनी हर्षित रे
छन्द- हर्षित नग्रक नर-नारी कौशिल्याक हर्ष अपार यो
धाय दशरथ धन लुटावथी हीरा मोती जवाहर लाल यो
देखी स्वरूप बालकके सूर्य थमी गेलाह रे ललना रे देव दूदुम्भी बजाए की पुष्प बरसाओल रे।
गीत अपन मिथिलाक एकटा खास विधा ओहूमे सोहर जे कि बच्चाक जन्म लैते घर घरमे शुभेच्छाक रूपमे गाओल जाइत अछि। फेर इहे सोहर शुभ मुण्डनक अबसर पर आ जनेउ संस्कारमे सेहो बधाई गीतके रूपमे सेहो गाएल जाइत अछि। जखन भगवान श्री राम के जन्म भेलैन आ समूचे अयोध्या बासीके ई खबरी गेल ओ सभ खुशी सँ नचैत -गबैत ,बधाई मँगैत ओतए पहुँचल सभ प्रफुल्लित भए ओहि कर्णप्रिय गीतक आनंद लेबए लगलाह आ ओहि गीतक नाम सोहर सँ प्रख्यात भगेल। ओहिदिन सँ सब अपन बच्चाक जन्मक खुशी अवसर पर ई सोहरक गीत गबैछ। चैत महिना ओहुना मघुमास होइत अछि, ताही परसँ मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्ममास, एकर वर्णन सरिपहुँ हम कि! कियो नहि क’ सकैत छी।से राम मिथिलामे जमाय बनी अयलाह।
धन्यभाग एहि मिथिलाके जतए जन्म लेलनी सीता
पाहुन बनि अएलाह पुरूषोत्तम मिथिला भेल पुनीता
अपन मिथिलामे त’ हमसभ अपन जमायकेँ विष्णु स्वरूप मानैत छियैन, मानवो केना नहि करबैन! एतए त’ साक्षात विष्णु पाहुन (जमाय) बनी अएलाह आ मिथिलाक धिया
सीया सँ वियाह केला।
सोहर एहि मिथिलामे बेटेके जन्मटामे गायल जाइत अछि परंच जखन धोर अकाल परालापर जनक त्रृषि द्वारा हर जोतला पर हरक फाड़ सँ जखन भूमिसँ भूमिजाक अवतरण भेल त’ चहुदिश अलौकिक प्रकाश फैल गेलत’ आ पुरौनाधाममे सभ नग्रक लोक बेटीक सोहर गाबए लागल । जखन जनक त्रृषि धनुष प्रतिज्ञा कैल आ राम धनुष भंग कए वैदेहीक संग वियाह कैल त’ ई अद्भुत जोड़ीकेँ देखी मिथिलानी भावविभोर, आनंद चित्त भए गेली, मिथिलेश कुमारीके माँगमे सिन्दुर भरी राम मिथिलाक पाहुन बनि आब मिथिलाक संग बिनोद करए लगलाह। कियो सखी मायके गाइर, कियो बहिनके, कियो बाप पित्तीकेए एहि तरहे हास्य-परिहास करैछ। रंग-विरंगक भोजन पाहुनक सोझाँ परसि गीत गाइन सभ खेबाकालक गीत (गाइर) गबैत छथि।
पाहुन अँहाक जेवनार यौ लखी किछु ने फुराइया
अदौरी, दनौरी तिलौरी सकरौरी,
मिथिलामे प्रसिद्ध कुम्हरौरी
देखी कए चटगर अचार यौ
मुँह चटपट करैया, पाहुन….।
अहिना ई सब होइत जखन मिथिला सँ अयोध्या जेबाक बेर होइत छन्हि फेर सभ मिथिलानी मिनती करैत कहैत छथिन
जनकपुरधाम उत्तम बर सुन्नर
हमसभ घर-घर सारी सजेबै
रत्न जड़ीत सन सुख बड्ड सुन्दर
एहन मौज नहि पेबै ललन
ससुरारी छोड़ी जुनि जेबै
पाहुन ससुरारी छोड़ी जुनि जेबै
अँहा मिथिलेमे पाहुन बनि रहबै।
एखनहुँ अयोध्यामे त’ राम जन्मोत्सव मनाओल जाइते अछि परंच मिथिलोमे (जनकपुरधाममे) सेहो बहुत भव्यताक संग राम जन्मोत्सव (रामनवमी ) मनाओल जाइत अछि। आ हम मिथिलानी सभ खूब सोहर गबैत छी। पारंपारिक गीतक संग हमसभ अपनहुँ रंग-रंगक सोहरक रचना कए हर्षोल्लासपूर्वक गबैत छी।
जेना-जनमल राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न रे
ललना रे अयोध्यामे बाजए बधाई सभ मन हर्षित रे
छन्द-
पाबि चारी -चारी लाल दशरथ लुटबथि गजमोतीक माल
दान पाबि सभ धाय दहोदीश , रानी हेरी हृदय लगाओल
हम जनकपुरधाम मिथिलानी सभ ई जरूर गबैत छी
एहन सुन्दर मिथिलाधाम, दोसर पाएब कोने ठाम
दुल्हा-दुल्हीन सीताराम जनकपुरमे
नीलम झा✍️
जनकपुरधाम सँ