“शिक्षाक बदलैत परिभाषा”

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— क्षमा कुमारी।     

सबसे पहिले बुझा परत सबके की शिक्षा के आखिर वास्तविक की अर्थ होईत अछी। कीयैक त लोक शिक्षा के अर्थ गलत निकैल क अर्थ मे अनर्थ क रहल अछी। शिक्षा आधुनिक समय के हुए वा प्राचीन काल के शिक्षा के सदा स एहै लक्ष्य रहल जे ई लोक के व्यक्तित्व के सही दिशा मे परिवर्तित क क लोक के जीवनक वास्तविकता स परिचित करैह। हम ई बात के पक्ष मे बिल्कुल नई छी जे आजुक शिक्षा अतेक खराब आईछ जे लोकक बैबाहिक जीवन या फेर अबैबाहिक जीवन खराब हैत । लोक खुद शिक्षा के अर्थ किताब मे लिखल शब्द तक सीमित क देने छथीन। हमरा सबके ओता एकटा स्लोक प्रचलित अइछ जे विद्या ददाती विनियम। कहा के तात्पर्य अछी जे विद्या हमरा सबके विनय सिखाबैत अछी आर जता विनय हुऐ ओता त लड़ाई झगड़ा आर कलह कलेश के लेल कूनू स्थान नही अछी तखन लोक के जीवन केना बर्बाद भ जायत छानि पता नै। ई सब समस्या के जैर मे बैसल अछी लोकल अज्ञानता आर ई गलत मानसिकता जे हम जे कहलाउ ओहै टा सही अछी कनिको विनम्रता के भाव आईछे ने आजूक लोक मे जाहि कारण स सबहक घर संसार उजैर रहल अछी आर ओ सब अखनों धरी बात के बूईझ नै रहल छाईथ। हा आधुनिक शिक्षा त नै पर शिक्षा के व्यवस्था आर शिक्षा देनहार ई परिणाम आर प्रभाव के लेल जरुर जिम्मेदार छाईथ कियैक त बच्चा सबसा ज्यादा स्कूल कॉलेज वा शिक्षक के बात स प्रभावित होयत छथी। आर स्कूल कॉलेज आधुनिक समय के एकटा विशेष संस्कृति जे पश्चिमी अछी ओकरा बढ़ावा दा रहल छथी जाहि संस्कृति मे रिश्ता बदलनाई एकटा आम बात अछी आर अशहनशीलता,अविनम्रता के अपन हक बुझैत छथी। हमरा ओता के सभ्यता संस्कृति सदैव स सहनशीलता आर सत्य पथ के बढ़ावा दा क रिश्ताक महत्व के बतबैत अछी । मुदा हक आर जिद मे बड फर्क अछी ई अता के पीढ़ी के बुझा परतैंन तखने टा ओ सब अपन जीवन के सुखमय बना पेताइथ। आधुनिक शिक्षा परियावरण के बढ़ावा आर लोक के जागरूक करा के लेल बेहतर भ सकैत अछी पहिले के कुछ कुरूती के सेहो अहि मे सुधार कैल गेल अछी मुदा फेर ई बात ओताई आईब क अटैक जैत जे शिक्षाक बटनाहर अपन सोच के कात राखी यदी निष्पक्ष रूपे केवल शिक्षाके कि लक्ष्य अछी आर की महत्व अछी लोकक जीवन मे, अकरा बताबैथ त ई विषम परिस्थिति स हमर सबहक पीढ़ी के सामना नै कर परतैन। जखन प्राचीन काल मे गुरुकुल मे शिक्षाक प्रावधान छल तखन गुरु जी केवल विद्या के वास्तविक महत्व के समझबाई छलैथ आर बच्चा सुबुद्धि,ज्ञान,त्याग,अनुशीलता ई सबके ग्रहण करैथ छलाह आर एकटा आदर्शपूर्ण जीवन के भोग क क लोकके सेहो कुछ सिख दैत छलाह आर आई त आधुनिकता सबटा के धूमिल क देलक मान सम्मान ककरा कहै छै ईहो नै बुझ बाला लोक अपना आप के शिक्षित के श्रेणी मे राइख रहल छथी आर समाज के पतन के ओर धकेल रहल छाईथ। जखन धरी आधुनिक शिक्षा के प्राचीन काल के व्यवहारिक शिक्षा स नै जोरल जैत अकर दुष्प्रभाव नै रुकत आर बढले जैत आर पता नै भारत के सभ्यता के कुन दिशा मे ल जैत। मुदा अख़नो यदी हम सब एक भ क ई विषय के ऊपर विशेष ध्यान दी त ईहो समस्याक समाधान जरुर होयत।

क्षमा कुमारी ✍️✍️