“मधुमासक सौंदर्य”

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— पीताम्बरी देवी।     

प्रकृति के परिवर्तन एहि मास में होईत अछि।तरुवर पात हिन भेल रहैत छथि ओहि मे नव नव पल्लव आबय लगैत अछि।खेत पथार में गहुम चना मटर खेसारी मौसरी के हरियरी से खेत वह लहाईत रहैत अछि जेना हरियर साड़ी खेत पहिर नेने अछि आर सरिसव के पियर फुल से चारु कात अपन अलगे छटा पसारने रहैत अछि जेना हरियर साड़ी में पियर पाढ़ी हुए।बूढ़ जवान सब डफलि पर फाग के राग अलापैत रहैत छथि ।जोगिरा सरररररर होईत रहैत अछि।एहि मास मे किसान सब से हो फूर्सत में रहैत छथि।खरिफ तैयार कय के कोठि भरल रहै छनि आर तेलहन दलहन खेत में लह लहाईत रहै छनि।बाता वरण से हो गमकय लगैत अछि।आम में मज्जर आवि जाईत अछि।कोईली अपन मधूर बोली में कूहकय लगैत अछि।जार मास चल जाईत अछि आर बातावरण में बसंन्ती वयार बहय लगैत अछि।बातावरण में रंग गूलाल उगय लगैत अछि।परदेसि पिया सब घर घुरि के आवि जाईत छथि।कामनी अपन मदन जगावय लगैत छथि।भम्भरा गूनगूनाई लगैत अछि।सरोवर में कमल फुला जाईत अछि।समय के परिवर्तन से सब कियो रंग रभस करय लगैत छथि।एकर एकटा बैज्ञानिक कारण से हो अछि।एहि मास में सब रंग गुलाल लगबैत छथि।कहल जाईत अछि जे सरीर में रंग गुलाल लगेलाक बाद सब खूब रगरि रगरि के नहाईत छथि ते हुनका चेचक नै हेतनि।जार रहलाक कारण लोक दू तीन मास ठिक से नहाईत नै छथि। एहि मास मे सब अपन पूरा अंग साफ करैक छथि जाहि से सब के निखार आबि जाईत छनि आर आकर्षक लागय लगैत छथि। प्रकृति अपनै सोलहो सिंगार कय लैत छथि।नव नव बेली चमेली चम्पा फूल से बातावरण मह मह करय लगैत अछि।नव यूवक नव यूवती सब मधुमास में अपन प्रेमी प्रेमिका संग रंग रभस करय लगैत छथि।मधुमाछि अपन छत्ता में फूल सब से मधु लय लय के मौध जमा करय लगैत अछि।बातावरण में एकटा अलगे उल्लस भरि जाईत अछि।चारू कात चीरै चूनमून्नी सब कलरब करय लगैत अछि।नव नव पल्लव बला गाछ सब में अपन नव जात बच्चा के अनैक बास्ते खोता लगावय लगैत अछि।खन्जैन चिरै खेत खढ़ियान में दौरय लगैत अछि।समय परिवर्तन भेला से चारू कात सब खूशी भय जाईत अछि। बूढ़ पुरान सब जे अपन खेनरा में दूबकल रहैत छला ओहो सब बाहर भय भय बैसय लगला प्राति गीत गावय लगला अपन तान में।
पीताम्वरी देवी