की हमर संविधान खतरा मे अछि?
– Kaushalkishore Jha
पिछला सप्ताह हमरा लोकनि दूटा अभूतपूर्व घटना के गवाह बनलौं जे हमर वर्तमान संविधान के स्थायित्व पर प्रतिकूल प्रभाव डालि सकैत अछि । पहिल छल नेपाल के सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान निलंबित मुख्य न्यायाधीश के पिछला संसद में निवर्तमान संसद सदस्य द्वारा हुनका खिलाफ लगाओल गेल महाभियोग के कदम के ओकर कार्यकाल में निपटारा नै भेला के बाद घर-गिरफ्तारी आ दोसर जखन नागरिकता अधिनियम दू-दू बेर बहुमत के संग सदन सँ पारित भ गेल तखन निर्धारित समय अवधि में सम्माननीय राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित नहि भ सकब । ई दूनू घटना हमर संविधान आ व्यापक रूप सँ संवैधानिकता के इतिहास पर दूरगामी परिणाम प्रभाव दय सकैत अछि ।
नेपालक संविधान, २०७२, पैछला सात दशक वा ओहिसँ बेसी समयसँ बहुत लम्बा संघर्षक परिणाम अछि । राणा वंश के पतन के ठीक बाद संविधान सभा के मांग शुरू भेल आ ओकर बाद पंचायत युग के छोड़ि कय सब सरकार जे सत्ता मे आयल छल ओ संविधान सभा के मुद्दा के बल देलखिन्ह जाहि सं एकटा एहन संविधान बनाओल जा सकय जकरा देश भरि के विशाल समर्थन मिलत आ जतए नेपाल मे रहनिहार समस्त समुदाय आ वर्गक समान आ समतापूर्ण सार्थक सहभागिता होयत जाहि सँ संविधान पर सबहक स्वामित्व भ सकत । 2063 के अंतरिम संविधान सेहो नेपाली समाज के विभिन्न वर्ग द्वारा विभिन्न स्थान एवं क्षेत्र मे विभिन्न सशस्त्र एवं गैर सशस्त्र संघर्षक परिणाम छल । एकरा मूर्त रूप देबय मे हजारों लोक अपन जान के बलिदान देलखिन्ह । 2064 आ 2070 दुनु के संविधान सभा किछु मुद्दा केँ छोड़ि लगभग सब मुद्दा के सभाक समक्ष लाबय के कोशिश केलक, सब समूह के नेता आ प्रतिनिधि अपन हित समूह के बेहतरी के लेल बेजोड़ पैरवी केलनि । किछु मुद्दा छोड़ि कए बहुत रास मुद्दा पर आम सहमति सेहो बनल।
बीच मे संविधान बनेबाक समय देशक भीतर अनेक अन्य हित समूह, एनजीओ आ आईएनजीओ, नेपाल सँ प्रत्यक्ष वा परोक्ष रूप सँ सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रिय समुदाय, हमरा सभक निकटतम पड़ोसी आ अन्य समय-समय पर संविधानसभा आ ओकर नेता लोकनि केँ अपन एजेण्डा सँ प्रभावित करबाक प्रयास सेहो कयलनि जे हुनका लोकनिक रुचि आ लगानी अनुसार काफी स्वाभाविक छलैक आर ओकरा सँ सही तरीका सँ निपटै के सेहो छलैक, जे कि कोनो विदेशी हित समूह सँ अपन कूटनीतिक आ गुप्त सम्बन्ध केर आधार पर बिना चिढ़ेने सुलझेबाक रहैक । संगहि ईहो देखल गेलैक कि दोसर संविधान सभाक कार्यकाल के अंतिम चरण मे जखन लगभग सब बात एकदम सही ढंग सँ चलि रहैक सिवाये किछु खास समुदाय द्वारा उठायल गेल किछु गंभीर मुद्दा जेकरा सकारात्मक ढंग सँ निरन्तर वार्ता आ सदन केँ विश्वास मे रखैत समाधान कयल जा सकैत छलैक लेकिन अचानक सँ एकटा फास्ट ट्रैक मार्ग प्रमुख राजनीतिक दल के प्रभावशाली नेता सब द्वारा अपनाबैत सारा असहमति केँ एक तरफ राखिकय अपना पक्ष मे रहल विशाल संख्यात्मक बल के आधार पर अंतिम मसौदा तैयार कयल गेलैक आर परिणामस्वरूप अंतिम संविधान तैयार कयल गेलैक जेकरा राष्ट्रपतिक मंजूरी आ घोषणा लेल भेजल गेलैक । ताहि मोड़ पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा हुनका लोकनि केँ (नेता लोकनि सँ) बहुत विनम्रतापूर्वक आग्रह कयल जेबाक बात सेहो सुनल गेल जे संविधान घोषणा सँ पहिने संघर्षरत गुट केँ सेहो विश्वास दियाओल जाय लेकिन से सबटा व्यर्थ सिद्ध भेलैक । आ अंततः जखन एकर घोषणा खूब मस्ती आ मेला संग भेल तखन नेपालक बहुतो लोकक हृदय मे खूब प्रसन्नताक भाव संविधानसभाक एहि असाधारण उपलब्धि लेल भेलैक लेकिन ताहि ठाम दोसर दिश लाखों एहि सँ ठकल महसूस करयवला लोक भगदड़ मचौलनि आ राष्ट्रक ओहि मंगलमय दिन केँ ‘काला-दिवस’ के रूप मे चिह्नित कयलनि । एहि तरहें हम सभ देखि सकैत छी जे एहि संविधानक घोषणाक संगहि विवाद सेहो आबि गेल। संगहि बहुसंख्यक जनताक विचार यैह छल जे सरकारक संरचनाक मुद्दा, कोनो ने कोनो रूपमे संवैधानिक राजतंत्रक उपस्थिति आ धर्मसँ सम्बन्धित मुद्दा जे अंतरिम संविधानमे सर्वथा निरस्त भऽ गेल छल ताहि समस्त महत्वपूर्ण आ प्रमुख मुद्दापर नीक जेकाँ चर्चा करबाक चाहैत छल आ जरूरत बुझाइत त जनमत संग्रह के माध्यम सँ चुनबाक अधिकार लोक केँ देल जेबाक छल, मुदा ई मुद्दा सब जे कि वर्षों-वर्षों सँ हमरा सभक राजनीतिक विरासत के हिस्सा छल ओकरा दल के शीर्ष नेता सब स्वयं मंजूरी के रूप मे लेलनि, एतय सेहो, हालांकि जनता कोनो खास विद्रोह नहि केलक लेकिन एतहु स्वयं केँ ठकायल गेल बुझलक।
संघीय आ संसदीय लोकतंत्र मे सब गोटे के कानून के तहत चलय के रहैत अछि । संविधान हमरा सभक परम कानून होइछ जे देश आर एकर शासन पद्धति केर मार्गदर्शन करैत अछि । एतय एहि व्यवस्था मे कियो, जे कियो रहय, ओ कानून सँ ऊपर नहि होइछ । संप्रभुता लोकक संग अछि आ संसद मे ओकर प्रतिनिधि कानून बनेबाक माध्यम सँ सत्ताक प्रयोग करैत अछि, आ कानून केँ लागू करबाक काज ओकरहि सब द्वारा निर्मित संविधानक अनुसार गठित सरकार द्वारा कयल जाइत अछि । एहि तरहें दुनू विधायी निकाय आ सरकार देशक जनता प्रति प्रत्यक्ष वा परोक्ष रूप सँ जिम्मेदार होइत अछि । तहिना जँ न्यायिक व्यवस्थामे किछु विसंगति देखबामे अबैत अछि तखन संसद सुप्रीम कोर्टक मुखिया पर सेहो महाभियोग लगा सकैत अछि। ई लोकतंत्र केर सुंदरता थिकैक जतय हमरा सभक पास सत्ताक संतुलन रहैत अछि, सत्ता के वितरण आर एक अंग द्वारा दोसर अंग मार्फत चेक एंड बैलेंस करैत संतुलन बनल रहैत छैक ।
नेपालक जनतामे आइ-काल्हि सामान्य भावना यैह छैक जे देश आ जनताक शासन आ रक्षा करएबला ई तीनू महत्वपूर्ण अंग जे शासन संचालन करैत देश आ जनताक सुरक्षा करैत अछि ओकर झुकाव दोसर पर अपन वर्चस्वक प्रयोग करयवला छैक, उपरोक्त दुइ गोट वर्णित प्रकरण जेकर चर्चा पहिने कएने छी ताहि सहित एहेन अनेको अवसर पर जखन-जखन परिस्थिति हिनका सभक लेल अनुकूल होइत अछि तखन-तखन आन पर वर्चस्वक प्रयोग करबामे बेसी रुचि रखैत देखल गेला अछि ।
आगामी भविष्य मे आ सदा-सदा लेल अपन संविधानक रक्षा करबाक वास्ते हमरा सब लेल जे किछु आवश्यक अछि जे हमरा सब गोटे सँ अपन प्रिय देश नेपाल केर बृहत्तर हित केँ सर्वप्रथम आ सर्वोपरि रखबाक आवश्यकता अछि आ एकर पालन सर्वमान्य नागरिक सँ लैत राज्यक मुखिया धरिक लोक द्वारा निश्छलता सँ शब्द आ कर्म दुनू मे करय पड़त, तखने कोनो समूह/ क्षेत्र/ धर्म, राजनीतिक दल आ अन्य व्यक्तिगत रुचि सहित सभक हित तस्वीर मे आओत, लेकिन वर्तमान मे परिदृश्य एकदम विपरीत बुझाइत अछि आ एकरा हर हाल मे उल्टाबहे टा पड़त । तखनहि हम सब अपन महान देश आ अपन संविधान पर गर्व कय सकैत छी जखन ई भावना व्यवहार मे दृढ़ता सँ स्थापित होयत, तखन धरती पर कोनो निकाय हमरा सब केँ अपन देश आ ओकर लोक केँ महान बनेबा सँ नहि रोकि सकैत अछि। हमर संविधानक राज्यपाल आ रक्षक सहित सबहक मोन मे सद्बुद्धि बनय । संविधान जिन्दाबाद ! नेपाल दीर्घायु बनय। 🇳🇵🇳🇵🇳🇵🇳🇵
Translation: Pravin Narayan Choudhary
हमरा ई आलेख बहुत नीक लागल। हालांकि बहुत टफ अंग्रेजी मे लिखल गेल मूल आलेख छल, काफी लम्बा-लम्बा सेन्टेन्सक कारण लगभग ५ घन्टा लागि गेल। तथापि, एकर महत्व सब दिश जाय, से कामना करैत छी।
हरिः हरः!!