३० जुलाई २०२०, मैथिली जिन्दाबाद!!
राहुल सांकृत्यायन बहुत रास महत्वपूर्ण अभिलेख (दस्तावेज) अनने छलाह। एकर पान्डुलिपि सब बिहार रिसर्च सोसायटी (पटना) मे संरक्षित अछि। विलक्षण साहसी आ विश्वयात्रीक रूप मे सुपरिचित – बहुप्रतिभावान् व्यक्तित्व राहुल सांकृत्यायन जिनका शिक्षक, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी आ साधू हर रूप मे जानल जाइत छन्हि – वैह तिब्बत (चीन) केर दुर्गम यात्रा कय केँ कतेको कठिन आ ऊँच पहाड़ केँ नँघैत तिब्बती बौद्ध पान्डुलिपि भारत अनलनि। पटना संग्रहालय मे ८ दशक सँ ओ सुरक्षित-संरक्षित अवस्था मे राखल अछि।
९ अगस्त २०१८ केँ प्रकाशित लेख (टेलिग्राफ) मे एक समाचार प्रकाशित भेल छल जे बिहार रिसर्च सोसायटी सँ करीब १० हजार पान्डुलिपि केर प्रति सेन्ट्रल इन्स्टीच्युट अफ हायर टिबेटन स्टडीज, सारनाथ, उत्तरप्रदेश केर टीम केँ डिजिटल मोड मे हस्तान्तरित करबाक आर ताहि पान्डुलिपिक सन्देश केँ जनसुलभ भाषा मे पुनर्प्रकाशित करबाक करार आदिक बात कहल गेल छल। एखन धरि ओ पान्डुलिपि बीआरएस शाखा (पटना संग्रहालय) मे ललका कूटक बक्सा मे राखल कहल गेल छल। ईहो डेग तखन लेल गेल जखन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संग्रहालय २०१७ मे स्वयं निरीक्षण कएने रहथि आर एहि पान्डुलिपि सभक सदुपयोग लेल उचित हितचिन्तन करैत सीआईएचटीएस सँ समझौता करैत आगू बढबाक निर्णय कएने छलथि।
राहुल सांकृत्यायन द्वारा आनल गेल ओ महत्वपूर्ण पान्डुलिपि सभक डिजिटाइजेशन लेल केन्द्र सरकार केर तरफ सँ २४ लाख टका उपलब्ध कराओल गेल छल। बुद्ध दर्शनक वज्रायन यानि तिब्बती बुद्धिज्म शाखा तथा तांत्रिक पद्धति जे बुद्ध धर्मावलम्बी सब द्वारा विश्व भरि मे अपनायल जाइत अछि ताहि ऊपर शोध-अध्ययन लेल ई दस्तावेज अत्यन्त महत्वपूर्ण होयबाक बात कहल गेल अछि। १० हजार केर संख्याक पान्डुलिपि मे कुल ७ लाख पृष्ठ संगहि, कुल ३ भाषा, तिब्बती, संस्कृत व नेवारी मे ई सब लिखल अछि। सीआईटीएचएस द्वारा एहि समस्त डिजिटाइज्ड पान्डुलिपि सहित ओकर अनुवाद हिन्दी व अंग्रेजी मे प्रकाशित कयल जेबाक समझौता भेल छल।
एकर प्रकाशन एखन धरि कि-कतेक भेल, कि सब रहस्य खुजल, एहि पर आगाँक लेख मे निरन्तरता देब।
ई पढिकय बहुत रुचि जागल जे –
* राहुल सांकृत्यायन १८९३ सँ १९६३ ई. केर बीच कुल ४ बेर तिब्बत केर यात्रा कयलनि।
* बुद्धिस्ट मोनेस्ट्रीज केर साधू सब केँ अपन प्रखर बौद्धिकता आ क्षमता सँ समझा-बुझाकय सैकड़ों वर्ष सँ राखल गेल ओहि रहस्यपूर्ण आलेख-पान्डुलिपि सब केँ बन्द बक्सा केँ खोलबाकय निकलबेलनि – एहि मे कतेको तरहक पान्डुलिपि, चित्रकला, धार्मिक कार्य मे प्रयुक्त अन्य सामान, सिक्का, पोशाक आदि संसार सँ नुकाकय राखल गेल छलैक।
* एहेन उच्च महत्वक बौद्धिक संपदा सांकृत्यायन १९३३ ई. मे पटना संग्रहालय केँ दान कयलनि, जाहि सँ एकर अध्ययन आ शोध आगू कयल जा सकत, संसार केँ एहि छुपल बौद्धिक खजानाक सम्बन्ध मे जानकारी उपलब्ध करायल जा सकत।
* एतेक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज केर रेखदेख मे अपनहि मिथिलाक चर्चित व्यक्तित्व मिश्राजीक (शिव कुमार मिश्र) नाम सेहो पढल, संरक्षणक तौर-तरीकाक वर्णन करैत मीडिया मे हिनकर बाइट आयल अछि। नीक लागल।
* कहल गेल अछि जे ई सारा दस्तावेज पहिने संस्कृत मे लिखल छल। नालन्दा विश्वविद्यालय एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय केर अध्येता-विद्वान् लोकनि द्वारा १२वीं शताब्दी (एनो डोमिनी यानि ईश्वी संवत) मे लिखल गेल छल। एकरे अनुवाद तिब्बती भाषा मे कय केँ ताहि समय तिब्बत-चीन आदिक विद्वान् सब जे एहि ठाम अध्ययन लेल आयल छलाह ओ लोकनि लय गेल छलाह।
* संस्कृतक मूल लेख-दस्तावेज सब नुकसान (सदा-सदाक लेल विनाश) भऽ गेल छल, कारण बख्तियार खिलजीक क्रूर सेना द्वारा दुनू विश्वविद्यालय केँ १२वीं शताब्दीक अन्त व १३वीं शताब्दीक आरम्भहि मे आगि लगाकय नाश कय देल गेल छल।