लघुकथा
– किरण झा
बाबूक चीट
एकटा पंडितजी छलाह । हुनका एकटा बेटा छलखिन । हुनक नाम छलनि बौआ । जखन ओ मैट्रीकक परीक्षा देबय जाइत छलाह तऽ पंडितजी कहलखिन – बौआ चीटक आवश्यकता हुए तऽ हमरा कहब बेटा कहलखिन ठीक छै
। बौआ परीक्षा हलमें गेला, खिड़की लगमें सीट छलनि । बैसला आ चीट मांगब सुरू कैलाह। “बाबू चीट… बाबू चीट …!!” पंडितजी पुछथिन कय नम्बरके चीट? …. बौआ – बाबु, फल्लाँ नम्बर…! एवं प्रकारे पंडितजी पुछैत रहलखिन बौआ चीट मङ्गैत रहला । परीक्षा समाप्तक घंटी लाइग गेल
।
दोसर दिन दोसर पेपरकें परीक्षा दऽकऽ बौआ जखन निकलला तऽ पंडितजी पुछलखिन – कोनो प्रश्नक उत्तर तऽ नहि छोड़लहुँ ? नहि बाबु! आइ नहि छोड़लहुँ। अहाँ चीट तऽ देलहुँ मुदा मोहर कहाँ देलहुँ? मुदा हम मोहरो मारब नहि छोड़लहुँ, डोराडैर तोरि लेलियै आ कलमकेर मोसि निकालि ओकरा भीजा कऽ गोल बनाक मोहर बना देलियैक। पंडितजी – मोहर? हँ, बाबू! मोहर!! पंडितजी कहलखिन – देखू बौआ! अपना जेबी सँ सबटा निकालि देलनि बौआ आ पंडितजी कें हाथ में थमा देलाह। पंडितजी माथा हाथ ल’ लेला! ओ छल मटिया तेलक कुप्पन
।
तेसर पेपरकें परीक्षा दऽ कऽ एला बौआ। पंडितजी पुछलखिन – सभटा लिखलहुँ? हँ! आइ सभटा लिखलहुँ। अहाँक चीटमें p.t.0 अन्तमें छल, हम ओकरा बीचमें लिखलहुँ । पंडितजी दुनू चाटे अपना मुहमे थापड़ मारय लगलाह
।
लेखिकाक परिचयः
नाम – किरण झा
नैहर- गजहरा, मधुबनी, बिहार
पिता- स्व. विनय कान्त मिश्र उर्फ़ कन्हैयाजी
माता- करूणा मिश्र
पति- श्रीप्रेम कुमार झा
सासुर – गोठम/ राजबिराज -१६/सप्तरी/ नेपाल
जन्म तिथि- १९६७/२६ जनबरी
शिक्षा- शास्त्री
पेशा- शिक्षक
आबद्ध संस्था –
आजीवन सदस्य- मै.सा.प.राजबिराज
अध्यक्ष – मै. म. प. बोरिया
कोषाध्यक्ष – मिलाफ नेपाल
सम्मान –
प्रशंसा पत्र-वि. स. २०५८/११/११ सालमें२७म राष्ट्रीय शिक्षा दिवश
प्रशंसा पत्र- सेभ द चिल्ड्रन टोकन अफ लभ- सेभ द चिल्ड्रन
प्रशंसा पत्र- मधेसी एसोसिएशन अमेरिका
सम्मान- सखी-बहिनपा समूह राजबिराज
कदर पत्र – न.मे.ज.मा.वि.राजबिरज-१६
टोकन अफ लभ- न.मे.ज.मा.वि.राजबिराज-१६
प्रकाशित कृति –
अपन मिथिलाक गीत -पल्लवी प्रिया (मैथिली बाल संदर्भ सामग्री) –
देखु साथी (बाल गीत किताब) –
सुगा (बाल कथा किताब) –
प्रत्यूष (प्रश्नोत्तरी)