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अहाँक नजरि मे मैथिली-मिथिलाक सक्रिय संस्था-संगठनक परिचय हो त उपलब्ध कराउ

अभियान

‍- प्रवीण नारायण चौधरी

मैथिली-मिथिला लेल समर्पित संस्थाक परिचय संकलनक अभियान (उद्देश्य समुचित दस्तावेजीकरण)

प्रसंगवश काल्हि एक आदरणीय सज्जन मैथिली-मिथिला संस्था द्वारा जमीनी अभियान नहि चला पेबाक बात कहलखिन। हमर दिमाग मे तत्क्षण किछु बात आयल से हुनका सहित आरो गणमान्य लोकनि सँ आग्रहपूर्वक जानकारी कराओल।
 
हमर कहब छल –
 
प्रयास त होइत रहलैक अछि, लेकिन अपना सभक संचार व्यवस्था (कर्म) सही ढंग सँ प्रचलन मे स्थापित, सफल संचालित नहि भऽ पेबाक कारण बहुत रास जनतब हमरा-अहाँ धरि नहि पहुँचि पबैत अछि। किछु महत्वपूर्ण संस्था सब बहुत काज करैत छथिनः
 
१. चेतना समिति पटना द्वारा राज्य केर सोझाँ मैथिलक मान-सम्मान केँ निरन्तर स्थापित कयल जेबाक संग समाज धरि पहुँच बनेबाक लेल वाचस्पति उद्यान अथवा सौराठ सभागाछी, अथवा पूर्णिया, सहरसा, दरभंगा, मधुबनी आदि मे विमर्श आयोजन संग मैथिली भाषा व मिथिला संस्कृति केर विभिन्न मुद्दा पर बहुआयामिक गतिविधि बहुत महत्वपूर्ण अछि। तहिना ओ लोकनि प्रकाशनक कार्य करैत कतेको रास महत्वपूर्ण पोथी सभक संरक्षण (पुस्तक संग्रह) कय केँ सेहो करैत छथि। मैथिली अकादमी व साहित्य अकादमी मे हमरा सभक प्रतिनिधित्व करयवला एकमात्र महत्वपूर्ण संस्था थिक। घर-बाहर नाम सँ मासिक पत्रिकाक प्रकाशन होइत अछि। एतबा नहि, पटना जेहेन स्थान पर बहुत सुलभ ढंग सँ भाषा-संस्कृति व अन्य बात उन्नयनार्थ विद्यापति भवन सेहो उपलब्ध करा दैत छथिन। आब लोक केँ २५-५० हजार टका खर्च कय केँ कतहु सभागार बुक करेबाक जरूरत नहि। विगत किछु समय सँ नेतृत्व द्वारा आरो-आरो विषय पर कार्ययोजना तैयार करैत क्रियान्वयनक दिशा मे बढि रहला अछि।
 
२. अखिल भारतीय मिथिला संघ दिल्ली सेहो ओतबे महत्वपूर्ण कार्य करैत आबि रहला अछि। मैथिलजन लेल विपत्तिक समय राहत सामग्री तक ई सब बँटलाह। पैछला वर्ष बाढिक समय हो या एहि वर्ष कोरोनाक लौकडौन सँ उत्पन्न दिल्लीवासी व आसपासक लोक केँ राहत उपलब्ध करौलनि। राष्ट्रीय स्तर पर मैथिलीक प्रतिनिधित्व कय केन्द्रक नेतृत्व व राष्ट्रीय मीडिया मे मैथिली-मिथिलाक पताखा फहरबैत एला अछि। दिल्लीक मावलंकर सभागार हो, फिक्की सभागार हो, तालकटोरा स्टेडियम हो, सब ठाम महोत्सव आ प्रदर्शनीक आयोजन संग आरो संस्था सभक संग सहकार्य मे नीक सँ गतिमान बनौलनि अछि। प्रकाशनक काज मे शोधपत्रिका तीरभुक्तिक प्रकाशन, कतेको रास पोथीक प्रकाशन आ सब सँ जरूरी बात जे समय-समय पर मैथिली-मिथिलाक मुद्दा उठबैत केन्द्र एवं राज्य सरकार सँ रेलवे, उद्योग, पर्यटन आदिक विकास लेल निरन्तर कार्य कय रहला अछि। हमरा सभक संग सहकार्य मे सदैव तत्पर रहैत छथि अध्यक्ष महोदय। विश्व मैथिल सम्मेलन आ सेहो विज्ञान भवन दिल्ली मे करबाक नियार लम्बित अछि, ओहो साकार होयत। जानकी मन्दिर पुनौराधाम संग विद्यापति राष्ट्रीय स्मारकक निर्माण लेल ई सब बहुत सार्थक भूमिका निभा रहला अछि।
 
पटना आ दिल्ली केर दुइ संस्थाक अतिरिक्त हम कम सँ कम ५० गोट संस्थाक लाजवाब काजक फेहरिस्त अपने सब लग अपन बौद्धिकता सँ राखि सकैत छी।
 
तेँ, काज करनिहार प्रति बेर-बेर नमस्कार केर भाव अबैत अछि आर ‘ग्लोबल मैथिल’ केर परिकल्पना सेहो शीघ्र सफल होयत से विश्वस्त छी सर।
 
आब हम चाहब जे अपन अत्यन्त सकारात्मक आ सार्थक मित्रमंडली सँ किछु दस्तावेजीकरण योग्य जानकारी विभिन्न संस्थाक विषय मे बताउ।
 
अपन जीवनक मात्र १० वर्षक मैथिली अभियानक सक्रिय सत्संग सँ प्राप्त गोटेक महत्वपूर्ण संस्था जिनका सब केँ हम तुरन्त मोन पाड़ि रहल छी –
 
१. चेतना समिति, पटना
२. विद्यापति सेवा संस्थान, दरभंगा
३. अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद्, जयनगर (शाखा पूरे देश-विदेश मे)
४. मैथिली साहित्य परिषद्, राजविराज
५. मिथिला सांस्कृतिक परिषद्, बोकारो
६. मिथिला सांस्कृतिक परिषद्, जमशेदपुर
७. झारखंड मिथिला मंच, राँची
८. झारखंड मैथिली मंच, राँची
९. पूर्वोत्तर मैथिल, गुआहाटी
१०. मैथिली विकास कोष, जनकपुर
११. मैथिली साहित्य परिषद्, विराटनगर
१२. मैथिली सेवा समिति, विराटनगर
१३. संस्कृति मिथिला, सहरसा
१४. मैथिली लोक रंग, दिल्ली
१५. अखिल भारतीय मिथिला संघ, दिल्ली
१६. विश्व मैथिल संघ, बुराड़ी, दिल्ली
१७. मैथिली जनजागरण मंच, पालम, दिल्ली
१८. मिथिला सांस्कृतिक परिषद्, हैदराबाद
१९. मिथिला सांस्कृतिक समन्वय समिति, गुआहाटी
२०. शाश्वत मिथिला, अहमदाबाद
२१. मैथिल समन्वय समिति, मुम्बई
२२. मैथिली लेखक संघ, पटना
२३. दिल्ली विद्यापति सेवा संघ, न्यू उसमानपुर, दिल्ली
२४. मैथिल सेवा समिति, वाराणसी
२५. विदर्भ मिथिला मंच, नागपुर
२६. सङ्गोर मिथिला नेपाल, लहान
२७. दहेज मुक्त मिथिला, राजविराज
२८. मिथिला साहित्य कला प्रतिष्ठान नेपाल, राजविराज
२९. मिथिलांचल महासभा उत्तरप्रदेश, कानपुर
३०. मैथिल संघ, कानपुर
३१. मिथिला राज्य संघर्ष समिति, दरभंगा
३२. अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति, दरभंगा (दिल्ली सेहो)
३३. मिथिला राज्य संघर्ष समिति, जनकपुर
३४. मैथिल समाज, बनारस
३५. मैथिल ब्राह्मण समाज, जनकपुर (काठमांडू सहित अन्य शाखा सेहो)
३६. विद्यापति पुरस्कार कोष, जनकपुर
३७. नेपाल मिथिला प्रज्ञा प्रतिष्ठान, मलंगवा
३८. मिथिला विकास परिषद्, कोलकाता
३९. मिथिला स्टुडेन्ट यूनियन, दिल्ली (दरभंगा सहित विभिन्न शाखा)
४०. रामानन्द युवा क्लब, जनकपुर
४१. मिथिला नाट्यकला परिषद्, जनकपुर
४२. मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति, मधुबनी
४३. नवारम्भ प्रकाशन, मधुबनी (पटना सँ मधुबनी स्थानान्तरण)
४४. साहित्यिकी, मधुबनी
४५. साहित्याङ्गन, झंझारपुर
४६. मैथिल समाज, धमदाहा, पूर्णिया
४७. मिथिला विकास संगठन, समस्तीपुर
४८. अपन मिथिला सेवा समाज नेपाल, जनकपुर (महोत्तरी आ सउदी अरब सहित अन्य मुलुक मे सक्रिय)
४९. मैथिल समाज, रहिका, मधुबनी
५०. मिथिलावासी @ बंगलुरु, बंगलुरु
५१. माँ जानकी सेवा समिति, अहमदाबाद
५२. मैथिली साहित्यकार सभा, जनकपुर
५३. मैथिली विकास अभियान, विराटनगर
५४. कविवर चन्दा झा विचार सह सेवा संस्थान, बड़गाँव, सहरसा
५५. विद्यापति स्मृति संस्थान, लछमिनियाँ, सहरसा
 
ई मैथिली-मिथिला समुद्र मे सँ मात्र किछु चुरुक पानि बराबर केर संस्था-संगठनक नाम देल अछि। सभक किछु न किछु योगदान भाषा, संस्कृति, समाज व सरोकार केर विभिन्न आयाम पर होइत आयल अछि। कतेको सक्रिय छथि आइ धरि। कतेको निष्क्रिय आ टुकड़ा-टुकड़ा मे विभाजित सेहो भेलाह अछि। जहिना संसार मे नीक संग बेजा सेहो चलैत अछि, तहिना मैथिली-मिथिला सदिखन नीक संग बेजा केर विलक्षण मिश्रण मे चलैत अछि।
 
मैथिल समुदाय मे ‘ईर’ बड बेसी भेटैत अछि। कनीक टा के बात लेल बड़का टा के तूफान मजल करैत अछि। पीठ पाछाँ सेहो खूब मसखरी चलैत अछि। लेकिन सब बात होइतो आखिर दिनहि पाछू संस्था खुजैत रहैत अछि। कारण, सभ व्यक्ति मे ‘मृगेन्द्रता’ केर भाव हावी रहैत छैक। जेना सिंह केँ कोनो तरहक विध-व्यवहार कय केँ राजा नहि बनाओल जाइछ, ओ स्वयं अपन चालि आ गुण सँ राजगद्दी हासिल कय लेल करैछ, मैथिल मे सेहो एहि तरहक गुण भेटबाक कारण ‘मृगेन्द्रता’ हासिल करैत देखाइत रहैत अछि।
 
हम त दिल्लीक दिलवाली भूमिक प्रसंग मे मात्र २-३ टा के नाम लेल, जखन कि सोसाइटीज एक्ट अन्तर्गत रजिस्टर्ड मृगेन्द्र लोकनिक संख्या लगभग ३५० टा रहय, सेहो आइ सँ ७ वर्ष पहिने। आब अनुमान लगा सकैत छी जे आइ विश्व भरि मे मैथिल समुदायक कतेक हजार संस्था होयत। प्रत्येक जिला मे अछि। प्रत्येक नामी गाम मे भेटत। कोनो स्थान बिना संगठनक नहि भेटत। लेकिन संगठन तकलो पर नहि भेटत। भेलैक न विडंबना! मजाक नहि, सीरियसली हम सब संगठित रहितो असंगठित छी, ताहि सँ हमरा सभक उपलब्धि जन-जन धरि नहि पहुँचि पबैत अछि।
 
आजुक अन्तिम अनुरोध –
 
अहाँक नजरि मे छूटल संस्थाक नाम आ ओकर ४ पाँतिक परिचय जँ लिखि देब त हम सदा-सदा लेल आभारी रहब आर एकटा नीक लेख केर रूप मे मैथिली-मिथिलाक संस्था व कार्यक्रमक बारे लिखिकय सुरक्षित राखि देब। भविष्यक पीढी केँ काज आओत। ओके?
 
हरिः हरः!!

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