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मैथिली-मिथिलाक परिदृश्य सहित रंगकर्म-थियेटर-फिल्म लेल समर्पित अभिनेता-निर्देशक सागर सिंह

विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः रंगकर्मी एवं निर्देशक सागर सिंह
 
हिनका संग पहिल भेंट भेल जुलाई २०१६ केर मैथिली नाट्य समारोह जनकपुर मे। महेन्द्र मलंगिया जी केर लिखल नाटक ‘काठक लोक’ केर मंचन ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयक स्नातकोत्तर नाट्य समूह द्वारा मंचन कयल गेल छल। सागर सिंह एकर निर्देशक तथा स्वयं मुख्य अभिनेताक भूमिका मे देखेलाह। श्री मलंगियाजीक नाटक मे संवाद आ केन्द्रीय विषय-वस्तुक प्रस्तुति स्वतः नाटकीय ढंग सँ लिखल रहैत अछि, ताहि पर सँ जँ अभिनय आ निर्देशन ठोस होयत तऽ ओ नाटक दर्शक केँ कतेक प्रिय लागत ई स्वयं बुझय योग्य अछि। जतबा अभिनय प्रभावशाली छलन्हि सागरजीक ततबा निर्देशन। मंच केर तकनीक सँ सुपरिचित रंगकर्मी सागरजी एकटा अमिट छाप ओही दिन छोड़ि देने छलाह। फेसबुक केर तहियाक स्टेटस आइयो जीबित अछि आर मोन पाड़ैत रहैत अछि जे जीवन मे एकटा प्रेरणास्पद रंगोत्सव आर ताहि मे ओतबे प्रभावशाली प्रस्तुति जेकर मूल निर्देशक सागर सिंह बुझेलथि। तहिये सँ इच्छा छल जे सागरजीक परिचिति पर किछु लिखी। आउ, आइ हुनकर जीवनी पढी।
 
सागर सिंह केर जन्म २९ जुलाई १९८८ केँ कानपुर, उत्तर प्रदेश मे भेलनि। बच्चे सँ सांस्कृतिक गतिविधि मे रुचि छलन्हि। पिता रुद्रेश्वर सिंह एक अधिवक्ता एवं माताजी फाइन आर्ट केर शिक्षिका छथिन। तीन भाइ-बहिन मे बहिन शिवानी सिंह ओडिसी नृत्यांगना एवं छोट भाइ तबला केर प्रशिक्षु छथिन। आरम्भिक शिक्षा-दीक्षा कानपुर सँ प्राप्त कयलाक बाद दरभंगा पब्लिक स्कूल लालबाग़ और फेर राज हाई स्कूल सँ स्कूली शिक्षा सम्पन्न भेलनि आर एतहि सँ मंच सँ जुड़ाव सेहो भेलनि। स्नातक केर पढाई करैत युवा मोहत्सव मे बतौर अभिनेता भाग लैत रहलाह। सन् २००५ मे थिएटर यूनिट सँ जुड़िकय प्रकाश बंधु केर सान्निध्य मे ई रंग यात्रा केर आरम्भ कयलनि। एहि १३ वर्षक अवधि मे दर्जनों देशी-विदेशी नाटक यथा – अँधा युग, जो घर जारै आपना, विद्यापति, कंजूस, रश्मिरथी, स्वपन, नवका सिलेबस, हम थे चश्मदीद गवाह, बड़े भाईसाहब, कफ़न, लटिया की छोकरी, काठक लोक, भला और बुरा, ब्रह्मस्थान, लेकिन वो तो चली गई, आषाढ़ का एक दिन, अर्धांगिनी आदि मे अभिनय एवं निर्देशन कयलनि। संगहि वर्ष २००७ सँ सागर सिंह आकाशवाणी केर विविध कार्यक्रम केँ सेहो अपन आवाज़ दय रहला अछि।
 
इंटरनेट रेडियो, मिथिला रेडियो.कॉम में बतौर प्रोग्रामिंग कंट्रोलर दुइ वर्ष धरि पदस्थापित रहला। डीडी पटना, डीडी मुज़फ़्फ़रपुर, ई टीवी बिहार, सौभाग्य मिथिला आदि चैनल मे कैमराक सामने अभिनय कयलनि, वर्तमान मे मधेपुर टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में सहायक प्रोफेसर छथि आर संगे-संग हिनक हिंदी फिल्म ‘फाइनल मैच’ वर्ष २०१६ मे रजत पर्दा पर एलनि। नाटक सँ स्नातकोत्तर सागर सिंह द्वारा एक दिवसीय नुक्कड़ महोत्सव २००६, त्रिदिवसीय रंग मोहत्सव (त्रिरंगम-२००७), रंगपेठिया-२०१६, अष्टदल-२०१८ केर आयोजन कय दरभंगा रंगमंच केँ नव ऊर्जा प्रदान करबाक सराहनीय पहल कयलनि। नाट्य संस्था ‘द स्पॉटलाइट थिएटर’ केँ जागृत राखिकय एहि शहर केर रंगमंच केँ पुष्ट करबाक भार उठौनिहार सागर सिंह अनवरत क्रियाशील छथि।
 
मैथिली-मिथिलाक परिदृश्य केँ अपन कर्मठ प्रयास सँ सुधारोन्मुख बनेबाक चिन्तन सेहो करैत देखल गेला अछि सागर सिंह। हालहि मिथिलाक्षेत्रक मौलिक नृत्य, गीतनाद, आदि पर बाहरी भाषा, बहरी विधा आदिक अतिक्रमण केर विरुद्ध फेसबुक स्टेटस लिखैत जनजागरण कयलनि। आर, चूँकि हिनक व्यक्तित्व सिर्फ बाजिकय आलोचना वा विरोध कय देनाय टा नहि अछि, ताहि हेतु अपन कर्मठता सँ धरातलीय परिवर्तन लेल ‘झिझिया नाईट’ केर आयोजन कय ‘दांडिया नाईट’ केँ बढावा देनिहार केँ मौलिकताक महत्व बुझेबाक शुभ कार्य आरम्भ कय देने छथि। आगामी समय देश-विदेश धरि मैथिली रंगकर्म संग राष्ट्रीय भाषा हिन्दीक रंगकर्म केँ बढेबाक भूमिका तऽ ई करबे करता, सब सँ महत्वपूर्ण बात जे कथनी-करनी दुनू एक राखि समग्र दशा-दिशा केँ सुधारोन्मुख बनेबाक विशुद्ध जनकरूपी भूमिका कय रहला अछि जेकर प्रशंसा हरेक स्तर पर कयल जाइत अछि। मैथिली जिन्दाबाद हिनकर परिचिति आम जनमानस धरि लाबिकय आत्मगौरवक अनुभव कय रहल अछि।
 
हरिः हरः!!

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