“स्वतंत्रता संग्राममे नारी शक्तिक भूमिका।”

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— पीताम्बरी देवी।   

जाहि समय हमर देश परतन्त्र छल ओहि समय में नारी लेल बहुत पैघ वन्धन छल पर्दा प्रथा।ओकरा लांघवाक साहस बहुत कम स्त्री गण क सकलि। कारण पुरुष प्रधान समाज में घर के पूरूष आज्ञा देवे ने करथिन बाहर जाई लेल ताहि से देखा के सड़क पर झंडा लय के बहुत कम नाड़ी बहरेलि। लेकिन ओ अपन सहयोग भरपूर देलनि।जेना लक्ष्मी बाई बाल गंगाधर तिलक के बीर गति प्राप्त केलाक बाद रण क्षेत्र में लड़ैलेल कूदि परलि।आर अंत तक लरैत रहलि जावत तक तन में प्राण छलनि ओ बहुत पैघ नारी के सेना तैयार केने छलि ओ सब लरैत लरैत बीर गति के प्राप्त भेलि।ओहि घर के महिला बाहर भेलि जिनकर घर के पूरूष स्वाधिनता लेल लैर रहल छला ।जेल में छला ।आर ओहि घर के महिला सब बाहर एलि जेना कमला नेहरू , कस्तूरबा गांधी, कस्तूरबा गांधी ते जेल में सेहो रहलि।जेना सरोजनि नायडू सरोजनि नायडू ते कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर सोहो रहल छलि। सुभद्रा चौहान से हो देश लेल बहुत बिर रस के कबिता लिखलन्हि।बिजिया लक्ष्मी पंण्डित ,के से हो स्वतंत्रता सहयोग में बहुत हाथ छनि ओहो एकटा महिला दल बनौने छलि । बहुत महिला अपन घर से समाज से चोरा के सहयोग केलनि जेना आन्दोलन कारी के अपना घर में नूका के रखलनि ।सेनानि सब के रोटी पका के देलनि।हुनकर सब के बात के समाद एक दोहरा के पहुचेलनि ई सब अज्ञात रहलि कारण समाज में आगु आबय के साहस नहि छलनि। लेकिन दील में कूट कूट के भरल छलनि देश लेल प्रेम। बहुत महिला के पति जेल में बन्द छलखिन आर ओ महिला पांच छः बच्चा के असकर भरण पोषण करैत छलि।साल भरि में दू टा साड़ी पहिर के दिन कटैत छलिह माने चेथरा लपेट के दिन कटलेन।ओहो ते देश सेबा भेल।पति जेल में रहै छलखिन समाज के एतेक अंग्रेज के डर होईत छलैक जे समाज हुनका से मूह मोरि लैत छलनि एक तरह से कहु ते बैर दैत छलनि।ओ महिला कतेक दूख उठा के रहैत छलि सब के सहयोग देश लेल छल।कोनो कोनो घर के पूरूष जेल जाई छला आर ओ ओतै प्राण त्यागि दै छला अंग्रेजी सरकार के अत्याचार के नहि सहि पबै छला ‌।ओ बिधवा पत्नि ओ बिलखैत माय ओ कनैत बच्चा के कियो देखनाहर नै रहै छल ओहि अनाथ परिवार पर कि बितैत छल से सोचि नै सकै छि।एकटा छलि दूर्गा देवी ओ स्वाधिनता लेल बहुत सहयोग कने छथि ओ सब के भेस बदैल दैत छलिह।एक बेर सुभाष चन्द्र बोस के पत्नी बनि के ट्रेन में सकुसल बोस सासेब के खतरा से बाहर निकालि के आनि लेने छलखिन।कतेको महिला अपन जेवर अपन कपड़ा टाका पाई से स्वतंत्रा सेनानि के मदत केलनि ।लेकिन गनल चूनल महिला के छोड़ी के सब नेकि कर दरिया में डाल बला बात केलनि।कारण छल पूरूष वर्ग एकदम नै चाहैत छला जे महिलो के कतौ हस्ति रहनि।ओ ते महिला के कतौ नाम आगु आबनि तेकर खिलाफ छला।सब एतेक सरकार से ओकर अत्याचार से दवल छल जे महिला के कि पूरषो बहुत आगु नै एला गूमनामे रहि गेला ओ स्वाधिनता लेल काज केलनि मुदा चोरा के केलनि। बहुत स्वाधिनता लेल गुप्तचर बनला आर पकरल गेला ते जेल में रहि गेला मरला कि जीला कियो देख नाहर नै छल।जे घुरि के नै एला ओहि परिवार के महिला सब से हो खूब काज केलनि स्वाधिनता लेल लेकिन नाम नै छनि ओ अपना के गुप्त रखलनि।महिला ते सब दिन सेबा में लागल रहलि आर लागल छथि लेकिन ओ नाम लेल कतौ सेबा नै केलनि । लेकिन महिलाक सहयोग ओ समर्पण जे देश लेल रहल ओ बहुत सराहनिय रहल।ओकरा लिखल नहि जा सकैत अछि।कने सोचू ते पर्दा के कारण घर से नै निकलि सकै छि पति जेल में वन्द छथि घर में खेबाक लेल एक दाना नहि अछि पांच छः टा बच्चा भूख से बिलखि रहल अछि ।सर समज सब कर्जों ने देत आर कोनो उपायों ने अछि तखनि महिला के कि हालत रहैत छलनि ।खेति पथारी जन बनिहार हर बरद सबटा पूरषक हाथ में छल ।आर पूरूष जेल में बन्द ।
पीताम्वरी देवी