— पीताम्बरी देवी।
घरेलू हिंसा बहुत कारण से भ रहले ।सबसे बरका कारण अछि लालच ।सबसे बेसि घरेलू हिंसा दहेज के खातिर भ रहले ।जे स्त्री कम दहेज ल के एलि वा हुनकर पिता गैछ लेलखिन आर दहेज नै देलखिन ओहि स्त्री के संग बहुत अत्याचार होईत अछि । मौखिक गैर के संग मैर से हो सह परै छनि आर अहु से संन्तोष नै होई छनि ते गला दबा के ,जड़ा के तरह तरह के यातना द के हिंसा करै छथि ।कतौ कतौ काम काजि महिला सब संग पति सक के आधार मानि के चरित्र पर दाग लगा के हिसा करै छथि ।जेना लेट एलि कोनो कारण से ते अहा केकरो संग घूमै छलौ अहा के बाहरे घूमै में निक लगैये अहा के ईयार सब बाट तकैत रहैये ।आर अहि बात पर कहा सुनि होईत होईत मारि पिट पर उतरी जाइ छथि।कखनौ काल दोसरा के कहला पर अपन घर में झगरा भ जाइये जेना फल्ला के कनिय बर काजूल ओ अपन घर में सब के सम्हारनै छै आर एकटा तोहर कनिया कोनो काज के लुरि नै छौ ने ठिक से बच्चे सम्हारल होई छेन ने भानसे निक बनबैत छथि ने घर दूआरी साफ सुथरा राखल होई छनि ।आब कनिया के बिना मतलब के गैर मैर कर लगलौ ।तहिना आर नशा पान से हो घरेलू हिंसा के बहुत बरका करण अछि नशा क के एलौं आर घर में मैर पिट कर लगलौ बिना कारण के खेनाई फेक देलौ बिना अपराध के मारलौ घर से राशन के पाई उठा के लय गेलौ आर सराव पिब लेलौ कनिया के गहना तक बेच के सराव पिब लैत छथि आर मैर करैत छथि । बच्चा सब से हो हिंसा के सिकार भ रहले खास क के किशोरावस्था के बच्चा सब के माय बाप सब हरदम पढ़य लेल कहलनि वा बच्चा सब से हो एहि अवस्था में बिगड़य लगै छथि दोस्त महिम सब धनिक रहै छनि ते दुर व्यसन करय लगै छथि घर से पाइ चोरवय लगै छथि जाहि खातिर माता पिता मारैं छथिन बात कहै छथिन अपमान करै छथिन किछ बच्चा ते सुधरि जाइ छथि ।कियों कियो घर से परा जाई छथि आर किछ बच्चा सुधरय के बदला में आर बिगरि जाई छथि वा हिनका सब से तंग आबिके अपना के सुसाइड क लैत छथि ।अखनि के समय में पुरूष सब से हो घरेलू हिसा के सिकार भय रहल थछि ।जेना महिना के पुरा दरमहा पत्नी लय लैत छथिन ।अपन माय बाप के किछु नै दिय दैत छथिन अपना मोन के मोताविक चलबैत छथिन ।बात बात पर नैहर भागय के धमकि दैत रहै छथिन ।कनिया अपन नैहर के माय बहिन सब के बजा के घर में रखने रहैत छथिन । बात बात पर दहेज उत्पिरण के धमकि दैत रहैत छथिन यदि किछु बजला ते सब झौ झौ के उठैत छनि।कनिया सुतल रहैत छथिन आर घर के पूरा काज पूरूष क के आफिस जाई छथि आर साझ मे फेर घर के पूरा काज अबै छथि ते करै छथि नै करै छथि ते घर में कलह होईत छनि ।कतौ कतौ ते सुनै छि आब कनिया सब बेलन के मैर सहो दैत छथिन।अखनि के समय में बूढ सब पर से हो खूब अत्याचार हुआ लागले जखनि शरीर से लाचार भ जाई छथि वा अपन पाई बूढ़ारी में नै रहै थनि ते संन्तान पर निर्भर भय चाईत छथि आर ओकरा लग रह चल जाईत छथि ।ओतय बूढ़ा बूढ़ी से जतेक काज लेल होईत छनि लै जाई छथिन आर काज नै केल होई छनि ते एक कौर भोजनों पर आफत आबि जाई छनि ।पुतहु तरह तरह से सतबैत छथिन बेटा ते कनिया के गुलाम बनि गेल रहैत छथिन तै ओहो ओहि भाषा में बात करैत छथिन माय बाप के कोनो आन आश्राय नै रहै छनि ते सबटा सहि के रहै छथि कियो कियो ते मारि के घर से निकालि दै छथिन आर बूढ़ा बूढ़ी भिख मागय लगैत छथि वा बृर्धा आश्रम में जा के सरण लैत छथि ।कोनो कोनो बेटा ते माय बाप के पेंशन तक उठा लैत छथिन आर देखभाल नै करैत छथिन ओहि पाई से बेटा अपन खर्चा चलबैत छथि।
एकर निदान _एकर निदान बहुत कठिन अछि घरेलू हिंसा में बाहरि लोक बिना बूझने नै आबि सकैये कारण राति में झगरा भेल आर भोर में ठहक्का सुनब । हिंसा जेकरा पर हुए ओकर तुरत बिरोध करू बहुत गोटा अपन देह पर हिंसा सहि लैत छथि आर बजै नै छथि जे लोक कि कहत ।से नै करवाक चाहि एहि से हिंसा करय बला के मनों बल बढ़ैत छनि आर ओ फेर वेह काज दोहरबैत छथि ।यदि अहा के पिता दहेज गछने छथि ते पिता के कहियौन जे गछलाहा दहेज द देथिन नै ते थाना में रिपोर्ट करू।सराव पिब के जे हिंसा करै छथि हुनका पूलिस के हवाले करू ।यदि अहा सक्षम छि आर अहाक संग हिसा भ रहले ते अलग भ जाउ ।बच्चा के बहुत मधुर भाषा में समझवियौ गलत आर सहि के रास्ता देखवियौ ओकरा पर हमेशा क
ध्यान राखु ।बूढ़ सब से हो थाना जाथु हिंसा नै सहथु बेटा पेंशन के पाई लय लैत छनि वा आने कोनो पाई लय लैत छनि आर देख भाल नै करै छनि ते ओकर सिकायत कराबथु ।बेटा खर्चा नै दै छनि ते कोर्ट से खर्चा लेथु समाज के डर कियो नै करू ।समाज के काज छियै हसनाई ओ हसत ओ कुचेष्टा करत ओ मजा लेत सहायता नै करत तै अपन रक्षा अपनै करू अपन भलाई जाहि मे हुए सेह करू सहु नै नैहर सासुर के लाज ओतबे राखु जै से अपन भलाई हुए ।ई नै जे मैर खा रहल छि बात सुनि रहल छि बिना अपराध के दण्ड भोगि रहल छि सब सता रहले लेकिन बाजब नै कियाक ते सब हमरे हसत बाबू जी के पाग खसतनि ।कोनो पाग नै खसतनि यदि स्वाबलंवि छि ते कोनो डर नै करू नर्क से निकलू ।आर यदि घरेलू महिला छि तैयो ने डेराउ अपन रक्षा अपनै करु हसय बला बहुत भेटत सहायता कमे गोटा करता । परिवार बला सब से हो नै काज औता ओहो देख के भगता जिनका अहा अपन बूझैत छियनि ।
पीताम्वरी देवी