— भावेश चौधरी।
- कोविड महामारी के युग में सबगोटे अपन घर के सब सऽ सुरक्षित जगह मानैत अपन घर में बंद रही। कहल जाइत रहै “घर में रहू, सुरक्षित रहू”।हम सब अपना आप के घर मे सुरक्षित महसूस करैत रही, मुदा की सब के एक समान लगैत रहै? उत्तर अछि “नहि”। किछु लोक के समय घर मे सेहो सबस खराब स्थिति स बीतैत छनि। हुनका ‘घरेलू हिंसा’ के सामना करय पड़ि रहल छनि। ई अपना आप मे एकटा पैघ खतरा अछि।सामाजिक जीवन के उत्पत्ति स आय तक विभिन्न शताब्दी आबी गेलऽ आ चईल गेल,मुदा घरेलू हिंसा में कोनो बेसी बदलाव नै भेल । पूरा दुनिया मे घरेलू हिंसा दिन प्रतिदिन बढ़ि रहल अछि ।
हिंसा के सरल भाषा में कहल जाय ता भेल ” चोट पहुचाबय वला दुर्व्यवहार”। घरेलू हिंसा मतलब घर के चौकठ के भीतर होबैत घरेलू दुर्व्यवहार,घर के सदस्य द्वारा घर के सदस्य पर। ई हिंसा मौखिक,शारीरिक, भावनात्मक, आर्थिक या/आर यौन रूपी भ सकैत अछि। दुर्व्यवहार लगातार भ सकैत अछि या समय अंतराल पर।हिंसा करय वला या हिंसा सहय वला कोनो उम्र,लिंग, आय स्तर, शिक्षा स्तर,धर्म या जाति के भ सकै छथि।
घरेलू हिंसा बेसी काल तखन होयत छै जखन दुर्व्यवहार करय वाला के लगईत छनि की पीड़ित हुनकर अधीन छथि,आ ई दुर्व्यवहार के ओ हकदार छथि। हुनकर नजर में ई हिंसा जायज आ स्वीकार्य भेलन।
घरेलू हिंसा के तीन वर्गीकरण भ सकइत अछि
>पुरुष के विरुद्ध घरेलू हिंसा- एकर मुख्य कारण में अपर्याप्त कमाई, विवाहेत्तर संबंध, घरेलू गतिविधि में पत्नी के मदद नै करब ,परिवार के उचित देखभाल नै करब,पुरुष के बाँझपन आदि शामिल अछि।
>बच्चा के विरुद्ध घरेलू हिंसा- लिंग भेद,रंग भेद,शिक्षा आ समझ के भेद एकर प्रमुख कारण छै।
>वयोवृद्ध के विरुद्ध घरेलू हिंसा-पारिवारिक सदस्य के द्वारा अपमानित केनाई एकर उदाहरण भेल।
महिला के विरुद्ध घरेलू हिंसा- मौखिक दुर्व्यवहार,शारीरिक हिंसा,मानसिक प्रतारणा,चरित्र शंका एकर उदाहरण भेल।
घरेलू हिंसा के कारण अनेकानेक, लेकिन मुख्य रूप स प्रतारित महिला आ बच्चा होई छथि।कतेक बेर त खेनाई नीक नै बनला,परिवार वाला संगे कोनो गप्प पर बहस केनाई जेका छोट बात एकर कारक बैन जाई छै।।
घरेलू हिंसा के असर दीर्घकालिक होई छै। अई के कारण व्यक्ति अवसाद में रहैत अछि।नकारात्मक सोच, तामसी प्रवृत आ आक्रामक अंदाज के कारण सोच,व्यवहार आ बौद्धिकता में कमी भेला स कतेक बेर जीवन के नाश भ जाई छैन।
घरेलू हिंसा स बचाव के लेल “Protection of Women from Domestic Violence Act 2005” बनाओल गेल।अहि कानून स बहुत सजा सेहो भ रहल अई।लेकिन ई बात बुझना जरूरी की पीड़ित खाली महिला नै छथि,अपितु कतेक पुरुषो अहि हिंसा के भोईग रहल छथि।
कानून अपन जगह,लेकिन घरेलू हिंसा रूपी जहर स बचई लेल शिक्षा के अलख,स्त्री में आत्मनिर्भरता,पुरुष आ महिला के बीच के असमानता के खतम केनाई,नशा स मुक्ति आ परामर्श मनोविज्ञान(psychological counseling) आदि उपाय प्रभावी साबित होयत।