“बच्चाक समस्याकेँ प्यारसँ सुलझेबाक प्रयास करी।”

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— आभा झा     

बच्चा ईश्वरक सर्वोत्तम कृति अछि। हुनकर विकासक लेल घरमे माता-पिता, विद्यालय में शिक्षक और समाजक हर ईकाई, बालसेवी संस्था एवं प्रेरक साहित्यक संयुक्त भूमिका छैक। एहिमे सँ एकोटा भूमिका विघटित होइत छैक तऽ बच्चाक सामाजिक दृष्टि सँ विकास अवरुद्ध भऽ जाइत छैक और व्यक्तित्व कुंठित। बच्चाक समुचित विकासमे माता-पिताक धैर्य, त्याग, साहस, परिश्रम आदि ओ सूत्र अछि जकरा द्वारा हुनकामे आत्मविश्वास भरल जा सकैत अछि। माता-पिता बच्चाक व्यक्तित्व और चरित्र दुनूकेँ प्रभावित करयमे सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभबैत छथि।
परिवार यानि बच्चाक व्यक्तित्व निर्माणक पहिल पाठशाला छथि। ओहिमे ‘ माँ ‘ के भूमिका सब सँ महत्वपूर्ण छैक। अगर माता-पिता अपन बच्चा सँ स्नेह करैत छथि और हुनकर अभिव्यक्ति सेहो करैत छथि, हुनकर प्रत्येक काजमे रूचि लैत छथि, हुनकर इच्छाक सम्मान करैत छथि तखन बच्चामे उत्तरदायित्व , सहयोग, सद्भावना आदि सामाजिक गुणक विकास हेतेन और ओ समाजक संगठनमे सहायता करय वाला एक सफल नागरिक बनि पेता।अगर घरमे ईमानदारी, सहयोगक वातावरण अछि तऽ बच्चामे एहि गुणक विकास भलीभाँति होयत, अन्यथा ओ सभ नैतिक मूल्यके ताक पर राखि कऽ मनमानी करत।
बच्चाक समुचित विकासक अर्थ अछि बच्चाक शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक वृद्धि। जाबे तक जिनकामे एहि तीनू शक्तिक संतुलित विकास नहिं होयत हुनकर व्यक्तित्व अपन चरम सीमा पर नहिं पहुँचतनि।
शारीरिक विकासक अर्थ छैक – शरीर स्वस्थ और सशक्त भेनाइ। मानसिक विकासक अर्थ छैक – मनक प्रसन्न, प्रफुल्ल, निर्भीक, साहसिक, विश्वस्त और स्थिर भेनाइ। बौद्धिक विकासक अर्थ छैक – कोनो गप्पकेँ ठीक सँ बुझनाइ तथा निर्णयमे बुद्धिक सक्षम भेनाइ। समुचित विकासक अर्थ छैक एहि तीनू बातक संग-संग समान रूप सँ वृद्धि भेनाइ।
आजुक युगमे माता-पिता बननाइ जतेक सरल लगैत अछि ओहि सँ बहुत बेसी कठिन बच्चाक सर्वांगीण विकास केनाइ छैक। सर्वांगीण विकास सँ तात्पर्य बच्चाक शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेदनात्मक विकास हुनकर वयसक अनुरूप भेनाइ।बच्चाक समुचित पालन-पोषण कोनो आसान काज नहिं छैक, कियैकि बच्चाकेँ कखन कोन बात खराब लागि जाइ ई कहल नहिं जा सकैत अछि। ताहि दुवारे हरेक वयसक बच्चाक संग-संग, माता-पिताकेँ सेहो सतर्क रहय पड़ैत छैक। बच्चाक संग-संग माता-पिताक आपसी व्यवहार, आदत और बातचीतमे सतर्क रहय पड़ैत छैक। बच्चाक जन्म सँ पैघ हेबा तक बच्चाक प्रति सोचि समझि कऽ व्यवहार करबाक चाहि। बच्चा काँच मइटक जेकां होइत छथि और माता-पिता कुम्हारक जेकां सहारा दऽ कऽ सही आकारमे ढालैत छथि।माता-पिता पर निर्भर करैत अछि कि बच्चाकेँ कोन रूपमे ढाली। बच्चाक संग अहाँ जतेक मेहनत करब हुनका समय देबनि बच्चाक ओतबे नीक विकास होयत। माता-पिता बच्चाकेँ जेहेन परवरिश करथिन जेहेन संस्कार देथिन बच्चाक भविष्य ओतबे नीक हेतेन। वर्तमान समयमे गाम आ शहर दुनू परिवेशमे धनार्जनक कार्य माता-पिता दुनूक द्वारा कयल जाइत छैक। ताहि दुवारे बच्चाक संतुलित विकासमे माता-पिता
के योगदान बराबर महत्व राखैत छैक। प्रत्येक माता-पिता
के ई सपना होइत छैक कि बच्चा नीक इंसान व योग्य बनय, जकरा लेल ओ अपन जीवनक पूरा मेहनत व स्नेह बच्चा पर न्योछावर करि दैत छथि। ने दिनक चैन देखैत छथि ने रातिक नींद।अपन सामर्थ्यक अनुसार सब सुविधा देबयकेँ प्रयत्न करैत छथि। बच्चाक उचित विकासक लेल आवश्यक अछि कि माता-पिता बच्चाकेँ नेनपन सँ विशेष सावधानी राखैथ। जाहि सँ अहाँक बच्चा अहाँक अपेक्षाक अनुरूप बनैथ।बच्चाक सब सँ पहिल गुरू माता-पिता होइत छथिन। हुनके आदत व व्यवहारक अनुकरण बच्चा करैत छथि। ताहि दुवारे माता-पिताकेँ चाही कि बच्चाक सामने अशोभनीय व्यवहार नहिं करैथ। माता-पिता घरमे एहेन वातावरण राखैथ कि बच्चाक मानसिक विकास, सामाजिक विकास और संवेदनात्मक विकास उचित रूप सँ होइन।बच्चाक गुणकेँ विकसित करयकेँ प्रयास करबाक चाही।बच्चाकेँ बेसी टोकला सँ ओ जिद्दी भऽ जाइत छथि। सदैव अपना आपके ठीक नहिं बुझी बच्चाक सेहो सुनबाक चाही। परिवारक कार्यमे बच्चाक राय अवश्य ली।बच्चाक निर्णय लेबाक क्षमता विकसित करयकेँ प्रयास करी।बच्चा यदि कोनो गलत काज करैत अछि तखन हुनका डांटु अवश्य लेकिन जगह व समयक ध्यान अवश्य राखु। बच्चाक गलती, कमी तथा बुराई आदिक चर्चा सब सँ नहिं करी।बच्चाकेँ गलती पर माता-पिताकेँ स्वयं बुझेबाक चाही। पढ़ाई-लिखाई जीवनक लेल बड्ड आवश्यक छैक लेकिन एकर संग-संग बच्चाक रचनात्मकता और रूचि पर ध्यान देबाक चाही।आगू चलि कऽ बच्चा कि बनत एकर चुनाव हुनका स्वयं करय दियौन। कैरियर बनाबैमे अपन पूर्ण सहयोग दियौन। बच्चाक पसंद व प्रतिभाकेँ निखारैमे मदद करियौन। हुनका आगू बढ़य लेल प्रोत्साहित करियौन।जिंदगीमे पाइये सब किछु नहिं होइत छैक बच्चा स्नेहक भूखल होइत छैक। ताहि दुवारे माता-पिताकेँ चाही कि प्रतिदिनक व्यस्त जिंदगीमे सँ किछु समय निकाली कऽ बच्चाक संग बिताबी। परिवारक सब सदस्य कम सँ कम एक समयक भोजन संग बइस कऽ करी। बच्चाक समस्याकेँ प्यार सँ सुलझेबाक प्रयास करी।अप्पन निर्णय हुनका पर नहिं थोपी। हुनका स्वयं निर्णय लेबयकेँ योग्य बनाबैकेँ प्रयास करी। बच्चाकेँ बेसी लाड़-प्यार अथवा अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान नहिं करू। बेसी सुरक्षा हुनकर स्वतंत्र व्यक्तित्व विकासमे बाधक होइत छैक। बच्चाकेँ खेलाइकेँ संग खसै सेहो दियौन। खसि कऽ सम्हरनाइ बेसी महत्वपूर्ण छैक। कोष सँ निकलै वाली तितलीक संघर्ष ओकरा दुनियाक सामना करयके लेल मजबूत बनबैत अछि, अन्यथा ओ अशक्त भऽ जायत। याद राखू कि एक बच्चाक बहुत बेसी देखभाल करय सँ ओहो अशक्त भऽ सकैत अछि। कनिक प्रतिरोध, संघर्ष एक बच्चाक प्रतिभाकेँ विकसित करयकेँ लेल एक आशीर्वादस्वरूप साबित होइत छैक।

आभा झा
गाजियाबाद