“हमर सभक गाम एतेक बदलि गेल अछि.. “

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— कीर्ति नारायण झा       

भोरे भोर बलुआहा बाली भेटि गेलीह आ उपरागक स्वर में कहैत छैथि जे बौआ ।आब अहाँ सभ तऽ गाम के बिसरि गेलियै। आब एकहुटा नीक लोक गाम में नहि रहय चाहैत छैथि। गामक पुतोहु होयवाक कारणे हुनक शब्द में अपनापन बेसी छल, कहलियनि जे मारूति सुजुकी कम्पनी में काज करैत छी नें तें छुट्टी कम भेटैत अछि आ पावनि तिहार में तऽ आरो नहिं। हमर शब्द में जतेक दुःख छल ओहि सँ बेसी दुखी भऽ कऽ ओ उत्तर देलनि जे अहाँ सभ गाम अबैत छलियै तऽ दुर्गा पूजा कतेक रमणगर लगैत छलैक। हम सभ सब प्राणी सांझे सँ दुर्गा स्थान में बैसि कऽ दुर्गा महारानी केर आरती आ तखन भरि राति नाटक देखैत छलहुँ। दुर्गा स्थान सँ अयवाक मोन नहिं करैत छल। बलुआहा बाली के बात में दम छलैन्ह। हमरा गामक दुर्गा पूजा ओहि क्षेत्र में अत्यंत धूमधाम केर संग मनाओल जाइत अछि। ओहि क्षेत्र मे हमर गाम नाहर भगवतीपुर आ कोइलख में दुर्गा पूजा अत्यन्त शास्त्रीय ढंग सँ मनाओल जाइत अछि आ नाटक देखवाक लेल राति में दुर्गा स्थान मे पेएर रखवाक स्थान नहि भेटैत छलैक। पूरा क्षेत्रक लोक स्त्रीगणे पुरूखे हेंज बान्हि बान्हि कऽ दुर्गा स्थान मे जमा होइत छल। हमरा गाम में चारि राति नाटक होइत छलैक षष्ठी सँ लऽ कऽ नवमी धरि। पहिल राति सामाजिक, दोसर राति ऐतिहासिक, तेसर राति अष्टमी कऽ धार्मिक आ अन्तिम राति नवमी कऽ मैथिली नाटक होइत छलैक। हमरा गामक उगना नाटक मधुबनी जिला मे प्रथम पुरस्कार प्राप्त कयने छल। बहुत इज्जत आ प्रतिष्ठा छलैक नाटक खेलेनिहार सभ के। हम स्वयं ओहि ठाम नाटककार, उद्घोषक, निदेशक आ कलाकार के रूप में बहुत बैसी प्रतिष्ठा अर्जित कयने छी। हम सभ अपन माय, बहिन, काका, काकी बुझैत गामक लोक सभक समक्ष अपन कला केर प्रदर्शन कयने छी। अधिकांश दर्शक अपना में गप्प करैथि जे आइ कीरतू भाई जी के लिखल नाटक हेएत। आइ अमुक भाईजी विद्यापति बनथिन, अमुक कक्का उगना बनथिन इत्यादि। समस्त गाम में पारिवारिक बातावरण रहैत छलैक। बलुआहा बाली आगू कहय लगलीह जे आब तऽ गाम में छकरबाजी नाच होइत अछि आ भोजपुरी भाषा में बिखैन बिखैन गारि बला गीत सभ दुर्गा महारानी के सुनाओल जाइत अछि। बाई जी के नाच आबय बला छल जखन गौंआ सभ लाठी लऽ कऽ ठाढ़ भेलाह तखन ओ रोकल गेल। अहाँ सभ जहिया सँ छोड़ि देलियै तहिया सँ दुर्गा पूजा में हम सभ सांझक आरती देखि कऽ दुर्गा स्थान सँ पराइत छी अप्पन इज्जत बचा कऽ।बलुआहा बाली के घरबला हमरा ओहिठाम हरवाह के काज करैत छल। हमरा दिमाग मे आयल कि जखन हिनका सभ के एतेक खराब प्रतिक्रिया छैन्ह तखन हमर गामक काकी, बहिन, भौजी इत्यादि के कतेक दुख होइत हेतैन्ह हम यएह सोचैत अपन गामक विद्यालय दिस आगू बढलहुँ आ संयोग सँ जगदीश भाई भेटि गेलाह, हाल समाचार पूछलाक बाद बलुआहा बाली केर बात हुनका लग राखि देलियनि। सुनितहि जगदीश भाई केर आँखि लाल भऽ गेलनि आ कहय लगलाह जे बौआ के बाजत? जे बाजत से मारि खायत। सभक धिया पूता कुकूर जकाँ झौं झौं कऽ कऽ उठतै आ अपन इज्जत बचेनाइ कठिन भऽ जेतैक। ओ अपन मोनक अंदर के गुबार निकालैत कहला जे दुर्गे पूजा में कियए, गाम में सरस्वती पूजा में जे डीजे आ अश्लील गीत सभ जे सुनब तऽ सुनि कऽ घृणा भऽ जाएत…. जगदीश भाई बजैत रहलाह आ हम मोनहि मोन सोचय लगलहुँ जे हमर सभक गाम एतेक बदलि गेल अछि? लोकक मानसिकता में एतेक परिवर्तन भऽ गेलैक अछि? हम निशब्द भऽ गेलहुँ आ जगदीश भाई सँ किछु कहए विना आगू बढि गेलहुँ….