मैथिली गजल गुरु भाईक रचना …

रविन्द्र सिंह उर्फ़ गुरु भाई मधुबनी जिलाक खजौली प्रखंड के चतरा गामक निवासी अछि । गरीबी के रहैतो वो अंतर स्नातक तक पढ़ाई केलैन । मुद्दा वहि सँ आगा नै पहुँच सकल , पिताजी संगे सुरत में एकटा निजी कम्पनी में जिवनक निर्वाह लेल काज करैत अछि । आन जगह रहितो मिथिलाक लेल अथाह प्रेम रखैत अछि। उनका द्वारा रचित प्रथम गजल ।

टुटल फुटल अपना मातृ भाषा मथिली में गजल लिख रहल छी गलती लेल छमा प्रार्थी छी..

हमर राईतक निंद,दिनक इत्मिनान लेने जाउ ,अहां के काम अायब जेत सब समान लेने जाउ…

अहां के बाद कि रखबै किनको सं वास्ता हम, अहां अपने साथे हमर उमर भरक मान लेने जाउ..

शिकस्ता के रोजे परल अछी धरती पर, चुईन लिय अगर अहां जोईर सकै छी त् गुलदान लेने जाउ..

अहिं के अहीना खाली हाथ कोना रूखसत करू पुरान मित छी, किछ पहचान लेने जाउ..

जं मन में ठाईन लेने छी सचमुच बिछोह के त फेरू अपन सारा वादा-पैमान लेने जाउ..

अगर अछी तनिको मैनको दिलचस्पी हमरा में त अपने साथ में हमर दीवान लेने जाउ… हमर दीवान लेने जाउ….!!

अपन्न मिथिला में प्रतिभा के कमी नै अछि कमी अछि तs प्रोत्साहन आ उजागर करबाक । माता पिता के बच्चा के प्रतिभा के प्रोत्साहन देबाक चाहि ।