नेपाल मे नागरिकता राजनीति के दूरगामी परिणाम कतेक हितकर?

विचार

– प्रवीण नारायण चौधरी

नेपाल मे नागरिकता राजनीति

(नेपाल-भारत सम्बन्ध आ भारत विरोधी नारा सन्दर्भित समीक्षात्मक विचार)

नेपाल मे राष्ट्रीय पहिचान पत्र के रूप नागरिकता प्रमाणपत्र हरेक मानवीय सुविधा लेल अनिवार्य कयल गेल छैक। १६ वर्ष उमेर पुरलाक बाद बालिग मानल जाइछ आ तदोपरान्त प्रचलित कानून अनुसार नागरिकता प्रमाणपत्रक आवेदन दय प्रमुख जिला अधिकारी सँ ई राष्ट्रीय पहिचान पत्र प्राप्त कयल जाइछ। जँ कियो नागरिकता प्रमाणपत्र नहि प्राप्त कएने अछि त ओकरा बैंक मे खाता नहि खुलि सकैत छैक, ओ स्नातक तह या ताहि सँ उपर के शिक्षा प्राप्त करबाक लेल कोनो इन्स्टीट्यूट मे एडमिशन सेहो नहि लय सकैत अछि, मोबाइल फोन के सिम सेहो नहि निकालि सकैत अछि, ड्राइविंग लाइसेन्स तक नहि प्राप्त कय सकैत अछि… आर त आर, ओकरा हवाई यात्रा लेल पहिचान पत्र के अभाव मे यात्रा सेहो नहि करय देल जायत, नहिये कोरोना महामारी विरूद्ध वैक्सीन लेबाक अधिकार भेटत, यानि वगैर नागरिकता प्रमाणपत्र ओ अपनहि देश मे एकटा शरणार्थी आ अनागरिक सँ बदतर जीवन जियय लेल बाध्य रहत। वैकल्पिक पहिचान पत्र के कोनो इन्तजाम नहि, कोनो नियम नहि। पासपोर्ट या अन्य कोनो तरहक पहिचान प्रमाणित वास्ते अपन या माता-पिता के नागरिकता एकमात्र आधार।

नागरिकता सम्बन्धी कानून निर्माण के कुल ७१ वर्षक इतिहास पर एक दृष्टि नेपाल सरकार गृह मंत्रालय द्वारा जारी वेबसाइट पर राखल सन्दर्भ आ सामग्री सँ स्वतः जानकारी हासिल करूः

https://moha.gov.np/en/post/na-pa-lma-na-gara-kata-ka-ita-ha-sa-kasa-ta-chha

अहाँ गौर करू, एतय गोरखा राज सँ सम्पूर्ण नेपाल के एकीकरण के विगत २५० वर्षक इतिहास मे विगत ७१ वर्ष सँ ‘नागरिकता प्रमाणपत्र’ जारी करैत मात्र एकटा समस्या ‘नेपाली राष्ट्रीय पहिचान’ के अधिकारी के, एहि पर एखन धरि २२ बेर त सूचीकृत हेरफेर भेटत, आ हाल के नागरिक संशोधन विधेयक जेकरा निवर्तमान राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी द्वारा संविधानप्रदत्त नियम केँ ठाढ़ेठाढ़ उल्लंघन करैत प्रमाणीकरण नहि कयल जेबाक कलंकित इतिहास सँ लैत वर्तमान राष्ट्रपति रामचन्द्र पौड़ेल द्वारा प्रमाणीकरण कयलाक बाद सर्वोच्च न्यायालयक अल्पकालिक अन्तरिम आदेश सँ कार्यान्वयन नहि करबाक आदेश आ फेर लगभग २ सप्ताह के अनिश्चितता-अराजकता उपरान्त सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अल्पकालिक रोक केँ निरन्तरता नहि देल जा सकबाक निर्णय पछातिक उपरोक्त विधेयक प्रभावकारी बनि जेबाक अद्यतन सूचना सब केँ सेहो जोड़ि लेल जायत त २२ के संख्या २५ मे परिणति पाबि जायत।

ई २५ बेर फेरबदल कियैक?

नेपाल देश मे दुइ प्रकार के चेहरा भेटैत छैक। एकटा गोर आ एकटा कारी। गोर भेल पहाड़ी आ कारी भेल मधेशी। गोरखा राजा पृथ्वी नारायण शाह पहाड़क राज्य गोरखा सँ राज्य विस्तार करैत एकटा निश्चित कालखंड धरि अबैत-अबैत शाह वंशक राज्य रूप मे पहाड़ सँ तराई धरिक कतिपय क्षेत्र केँ नेपाल बनौलक। २२ राज्य, २४ राज्य आदिक एकीकरण कय ‘नेपाल’ निर्माण भेल। बीच मे शाह वंश केर राजा सँ राणा वंश के राजा सब राज्य संचालनक अधिकार हथिया लेलक जे लगभग १०३ वर्ष चलल। एहि राणा शासनकाल मे तत्कालीन ब्रिटिश भारत सरकार सँ अनेकों समझौता करैत नेपालक वर्तमान सीमा आ खम्भा आदि गाड़ल गेल अछि। लेकिन, अदौकाल सँ भारत आ तिब्बत तथा चीन के रास्ता रहल नेपाल आ पूर्व मे केवल काठमांडू घाटीक नाम रहल नेपालमण्डल के मल्लकालीन राजाक शासन धरि मैथिली व मिथिलाक स्थापित वर्चस्व सब केँ धुमिल करैत नेपाल मे शाह वंश आ राणा वंश के शासन सर्वोपरि भ’ गेल। मैथिली आ मिथिलाक लोक केँ ‘मधेशी’ आदि पहिचान दय नेपालक शासक वर्ग (पहाड़ी) सँ भिन्न अवहेलित वर्ग मे राखि देल गेल, निस्सन्देह मधेशी पहिचानधारी सँ गोटेक बलगर आ जब्बर लोक सब केँ शासक अपन पिट्ठू बनाकय जमीन्दार-सामन्त के सिद्धान्त पर अपन शासन कायम कय लेलक। परञ्च १९४७ ई. मे ब्रिटिश सम्राज्य सँ भारत स्वतंत्र राष्ट्र आ १९५० मे अपन संविधान निर्माण संग एकटा संघीय गणराज्य के रूप मे स्थापित होइते मित्रराष्ट्र नेपाल संग समझौता कयलक, एहि समझौता केँ ‘शान्ति आ मैत्री समझौता १९५०’ के रूप मे मानल जाइछ। यैह समझौता असल मे नेपाल आ भारत बीच सब सँ महत्वपूर्ण समझौता मानल जाइछ, एहि बल पर ई दुइ राष्ट्रक सम्पूर्ण सम्बन्ध टिकल अछि। एहि समझौता अनुसार नेपाल आ भारत के नागरिक बीच समानता के जोरदार वकालत वकालत केँ मान्यता प्रदान कयल गेल अछि। दुनू राष्ट्रक खुजल सीमा आ लोकाचार, बेटी-रोटीक सम्बन्ध, विपत्ति मे साथ देबाक नीति, आर्थिक उन्नति, नागरिक सुविधा, जमीन कीनबाक अधिकार, बैंक मे खाता खोलबाक, दुनू देश मे नौकरी करबाक आदि अनेकन बात के मेरुदण्ड तय कएने अछि। लेकिन एहि समझौताक किछुए वर्ष बाद सँ नेपाल के शासक के मन-मस्तिष्क मे भारत प्रति अनुदार नीति विभिन्न बहन्ना मे प्रवेश करैत अछि आ १९५० के सन्धि सँ मानल गेल विभिन्न बातक अवमानना करब आरम्भ होइत अछि। ताहि समय सँ ‘कारी चेहरा’ यानि ‘मधेशी’ प्रति विभेदक अनेकन बात-कथाक इतिहास आर प्रबल होयब शुरू होइत अछि। आइ लगभग ७ दशक मे मधेशी समुदाय जे लगभग ५०% के जनसंख्या मे अछि, ओकर जीवन रैय्यत सँ बढ़िकय आन किछु नहि भेल छैक। मालिक वर्ग सेना, प्रशासन, अदालत, अड्डा सब तैर हावी आ मधेशी समुदाय (थारू, मुस्लिम, राजवंशी, आदिवासी, जनजाति आ समस्त तराईवासी) उत्पीड़ित-दमित-शोषित वर्ग के रूप मे स्थापित भ’ चुकल अछि।

जहिना भारत स्वतंत्र भेल तहिना नेपाल मे सेहो लोकतंत्र केर स्थापना वास्ते संघर्ष तेज भ’ गेल। ब्रिटिश द्वारा भारत छोड़लाक तुरन्त बाद राणा शासक अपन साइज मे आबि गेल छल। लेकिन भारतहि समान चीन एक महाशक्ति उत्तरी पड़ोसी के साथ-सहयोग पेबाक आ कथित तौर पर असंलग्न परराष्ट्र नीति आ पंचशील समझौता आदिक बुन्दा आधार पर नेपाल भारत-चीन सँ समदूरस्थ रहब आरम्भ करय लागल। १९५० के सन्धि सँ नेपालक उत्तरी सीमा यानि नेपाल-तिब्बत के सीमा पर भारतीय सैन्यबल केँ रखबाक बुन्दा केँ १९६० तक वापस करायल गेल, आ धीरे-धीरे नेपाल अपन सम्प्रभुताक सामर्थ्य पर चीन सहित अन्य-अन्य वैदेशिक व अन्तर्राष्ट्रीय दाता देश सँ सम्बन्ध केँ आगू बढ़बैत नेपाल मे भारत विरोधी राजनीति केँ खूब नीक सँ स्थापित कय देलक। आइ राजनीति मे सक्रिय लोक जतबा भारत विरोधी बात करत, एकटा विशेष समुदाय ओकरे बेसी समर्थन करत से माहौल बना देल गेल अछि।

एहि क्रम मे भारत-नेपाल के संयुक्त भाषा-संस्कृति क्षेत्र यथा मिथिला, भोजपुरा, अबध, गोरखालैन्ड, गढ़वाल आदि दु-बगली एक्के रंग के लोक केँ भारत-विरोधी शक्ति, सोच आ सिद्धान्त सँ संघर्ष करय पड़ि गेल। होइत-होइत २०६२-६३ मे एकटा भयानक जनाक्रोशक विस्फोट भेल जेकरा ‘मधेश आन्दोलन’ कहल जाइत अछि। एहि आन्दोलन सँ नेपालक सत्ता एना हिलल जेकर वर्णन शब्द मे करब कठिन अछि। ओ त धन्यवाद देल जाय भारतहि केँ जे मधेश आन्दोलन सँ उठल धुधुक्का केँ कोहुना शान्त कय नेपालक सम्प्रभुताक रक्षा मे सहयोग कयलक। लेकिन कहल जाइत छैक न – रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटिकाय, टूटे पे फिर ना जुड़य जुड़य तो गाँठ पड़ि जाय! – बिल्कुल यैह अवस्था मे नेपाल नव राजनीतिक संरचना ‘संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र’ केर अवधारणा मे प्रवेश कय चुकल अछि। तथापि भितरी मनसाय मे एखनहुँ मधेश आ मधेशी चेहरा प्रति घोर विभेद ओहिना हावी छैक।

नागरिकता संशोधन विधेयक केर कार्यान्वयन आ ताहि मे खुलेआम आक्रोश कि कहैत अछि?

नेपालक वर्तमान शासन पद्धति संविधान केँ सर्वोपरि मानैत अछि। संघीयता स्थापित राष्ट्र के रूप मे विधिक शासन लागू अछि। संविधान कहि रहल छैक जे केकरो अनागरिक बनाकय नहि राखल जाय। नेता कहि रहल अछि जे सब केँ नागरिकता देबय। एम्हर सँ कियो अध्यादेश के रूप मे दैत अछि, ओम्हर सँ मालिक वर्ग के कियो बुद्धिक जट्टा भेल विद्वान् वकील सँ रिट फायल करबा न्यायमूर्ति पहाड़ी मालिक द्वारा अन्तरिम आदेश जारी करैत फेर लोक केँ अनागरिक बनाकय राखल जाइत अछि। कतेको संघर्षक बाद लगभग १७ वर्ष पछाति २०६३ मे लगभग २.५ लाख लोक केँ जन्मसिद्ध नागरिकता दैत नेपालक नागरिक बनल लोक के लगभग ८ लाख सन्तान केँ नागरिकता देल जेबाक संसद के दुनू सदन सँ पारित विधेयक केँ कथित मधेशी हितकारी राजनीतिक दल एमाले के तरफ सँ बनल राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी प्रमाणीकरण नहि करैत सीधे ठेंगा देखा दैत छथिन जे हम मलकाइन छी, हमरा जेना मोन होयत तेना नागरिक-अनागरिक बनाकय राखब, राजनीति करब। कतेक कहू!

हास्यास्पद संचारकर्म

एहि ठामक संचार व्यवस्था द्वारा सेहो मालिक जेकाँ सूचना जारी कयल जाइछ। संचारकर्मी द्वारा सीडीओ (जिला प्रशासन कार्यालय) के आगाँ नागरिकता जेहेन प्राणतत्त्व सँ वंचित लोक के भीड़ लगैत छैक, सेहो दर्जनों कागजात इकट्ठा कयलाक बाद, माय-बाप के नागरिकता प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र, नाता प्रमाणपत्र, जन्मदर्त्ता प्रमाणपत्र, मतदाता परिचय प्रमाणपत्र, विद्यालय मे शिक्षा प्राप्त करबाक प्रमाणपत्र, जगह-जमीन के निबन्धन प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, टेलिफोन बिल, बिजली बिल, पानि बिल…. आदि अनेकों कागजात लेने भिनसर ४ बजे सँ ठाढ़ साँझक ५ बजे धरि औनाइत-छटपटाइत हजारों लोक के भीड़! संचारकर्मी बस फोटो आ वीडियो बनाकय खुलेआम ओकर वर्ण (रंग) देखि मधेशी, बिहारी, धोती, इंडियन, आदि मानि जोगबनी रेलवे स्टेशन सँ लाइन लागल कहिकय देशक अन्य क्षेत्रक लोक मे भारत विरोधी मसाला भरैत अछि। सामाजिक संजाल मे एहेन एहेन संचारकर्मीक अनेकों संचरित सामग्री आ ताहि पर भारत, भारतीय, बिहार, बिहारी आ मधेशी प्रति लक्षित अनेकों लांछणायुक्त शब्द सभक प्रयोग स्पष्टे देखल जा सकैत अछि। ई सब त जे से, एतुका विद्वान् वकील सर्वोच्च के एकटा बेन्च सँ सन्तुष्ट नहि होइत अछि त फेर दोसर बेन्च मे गोहारि कय के कोहुना नागरिकता सँ वंचित लोक केँ पीड़ा दैत रहबाक मूड बनेने रहैत अछि।

ई थिकैक नेपाल के भारत प्रति के सोच आ भारतीय लोक प्रति के घृणा!! मधेशी समुदाय केँ भारतीय मूल के मानल जाइत छैक, मधेशक भूमि केँ बाप-पुरखाक वीरता सँ अरजल भूमि कहल जाइत छैक। देख लियौक नीयत! तोहर जमीन हमर भेल, तूँ भारत के भेलें! अरे भाइ! जखन हमर जमीन तोहर भ’ गेलौक त हम भारतक केना भेलियैक? या त हमर जमीन भारत के हेबाक चाही, त हमहुँ भारत के होइतहुँ, या फेर हम नेपाल के छी आ हमरो जिबय के अधिकार अछि।

हम तीन चेन्ह दयकय ई बात कहि सकैत छी जे यदि नेपाल के आधा आबादीक मोन मे मधेशी आ भारत प्रति के एहने सोच रहतय त एहि देश के समृद्धि त दूर शान्ति पर्यन्त एतय कहियो बहाल नहि भ’ सकैत छैक। लाखों अनागरिक लोक के मोन मे जे घाव ई देलकैक एकर विस्फोट सेहो आइ-न-काल्हि एहि देश केँ भारी पड़ि सकैत छैक। सामाजिक संजाल मे जाहि तरहक बिना गांइर-पेन के सूचना व सन्देश प्रवाह करैत विस्फोटक तैयार कयल जा रहल अछि, ताहि सब बातक प्रतिक्रिया नेपाल मे त हेब्बे करतय, कहीं भारत मे सेहो होबय लागल त फेर ५० लाख नेपाली घरवापसी कय केँ नेपाल मे भोजन कि करतय से सोचि हम छगुनता मे छी। अस्तु! स्थिति मनन योग्य अछि। नव नेपाल आ संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र मे सब नागरिक केँ नेपाली होयबाक आत्मसम्मान भेटउ, हम एहि लेल शुभकामना दय रहल छी।

हरिः हरः!!