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मिथिलाक यात्राः रिंकू झा अपन छुट्टी मे कतय-कतय घुमलीह

यात्रा संस्मरणः मिथिलाक यात्रा

– रिंकू झा, ग्रेटर नोएडा

मनुष्य सामाजिक प्राणी होइछ जेकरा भिन्न-भिन्न‌‌‌ स्थानक भ्रमण केनाइ आर ओहि ठामक कला-संस्कृति सभक बारे मे जानकारी प्राप्त केनाइ बहुत नीक लगैत छैक। ठीक ओहि तरहें हमरो यात्रा केनाइ बहुत पसंद अछि, आर कोशिश करैत छी कि बच्चा सब केँ जखन गर्मी छुट्टी होइ तऽ ओहि समयक उपयोग करी यात्रा कय केँ। पिछला साल सोचलहुँ जे एहि बेरुक छुट्टी मे मिथिले के भ्रमण कयल जाय आर समयानुसार चलि पड़लहुँ मिथिलाक पावन भूमि केर यात्रा पर। सब सँ पहिने गाम पहुँचि पता कयलहुँ मिथिलाक विभिन्न प्रमुख पर्यटकीय स्थल सभक बारे मे त पता चलल जे मिथिला मे बहुते रास सिद्धपीठ सब, भगवती आ महादेव केर स्थान सब अछि जे जागृत देवी-देवता कहबैत छथि। कम शब्द मे सम्पूर्ण यात्राक वर्णन कनेक असंभव अछि मुदा प्रयास करब जे एहि महत्वपूर्ण यात्रा सँ एहि लेख के मार्फत अपन अनुभव अहाँ सब सँ साझा करी।
 
सब सँ पहिने मिथिलाक बारे मे दुइ शब्द कहय चाहब। मिथिला वर्तमान समय बिहार राज्य अन्तर्गत एन निश्चित भूगोल थिकैक जाहि मे बहुते रास जिला पड़ैत छैक, एक तरह सँ मिथिला राज्य कहबैत छैक। नेपालक किछु भाग सेहो मिथिला मे आबैत छैक। मिथिलाक किछु मुख्य जिला सब मे मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, सहरसा, आदिक नाम पड़ैत अछि। एहि ठामक मुख्य नदी सब भेल कमला, कोशी, बलान आ पान, माछ ओ मखान एतुका पहिचानक प्रतीक कहाइत अछि। मिथिलाक भाषा मैथिली थिकैक जे बहुत मधुर बोली होइत छैक।
ओना त मिथिलाक कोनो गाम चलि जाउ त ओ एक टा तीर्थस्थल सँ कम नहि बुझायत, कारण सब गाम मे एक सँ बढ़िकय एक मंदिर, डीहबार स्थान, आर घरे-घर गोसाउनिक पवित्र स्थान, कतेको रास लोकदेव ओ लोकदेवी सभक गहबर आदि देखय मे आबिये टा जायत। कहबी छैक जे स्वर्ग सँ सुन्दर मिथिला धाम! ठीके स्वर्ग छैक मिथिला। कारण ई बुझियौ न जे अयोध्याक नरेश महाराज दशरथ आर हुनक पुत्र मर्यादा पुरुषोत्तम रामचन्द्रक मन सेहो मोहित भ’ गेलन्हि एहि मिथिला मे, तखन स्वतः बुझल जा सकैत छैक जे एहि पवित्र भूभागक केहेन गरिमा रहल अछि।
 
हम अपन यात्रा उच्चैठ भगवतीक दर्शन करैत प्रारम्भ कयलहुँ। मधुबनी जिलाक बेनीपट्टी अनुमंडल अन्तर्गत पड़ैत अछि ई सिद्धपीठ भगवतीस्थान। उच्चैठवाली भगवती केँ अत्यन्त जाग्रत देवी मानल जाइत छन्हि। हिनकर प्रवेशद्वार पर बनल प्रहरी रूप मे दु टा माछ केर मूर्ति देखिकय ई बुझि जायब जे मिथिलावासी लेल माछक महत्त्व कतेक होइछ। कहल जाइछ जे यैह भगवतीक पूजा-उपासना (साधना) करैत महामूर्ख कालीदास राताराति एक टा परमज्ञानी लोक बनि जाइत छथि। उच्चैठ सँ आगू बढ़लहुँ आ पहुँचि गेलहुँ सीतामढ़ीक ओहि पवित्र स्थल पर जतय जगज्जननी सीता अवतरित भेल छलीह।
 
सीतामढ़ीक पुनौराधाम नामक स्थान मे माता सीता प्राकट्यस्थल अछि। एतय खूब भव्य मंदिर बनायल गेल अछि। संगहि एतय हुनकर जन्मक कथा अनुरूप राजा जनक आ शतानन्दजी आदिक संग हलेष्ठि यज्ञ (हर जोतैत आ सीताक अवतार लैत) दृश्य केँ मूर्ति मार्फत प्रस्तुत कयल गेल मनभावन दृश्य उपलब्ध अछि। कथा अछि जे बारह वर्षक अकाल सँ त्रस्त मिथिलाक धरती मे राजा जनक द्वारा हर जोतबाक विध करिते माता सीता एहि भूमि सँ अवतरित भेलीह। सीताक अवतार होइते एतय सँ अकाल खत्म भ’ गेल छल। पुनौराधाम पुण्य भूमि थिक मिथिला के।
 
एतय सँ हम विदा भेलहुँ राजा जनकक राजधानी जनकपुर। मिथिलाक हृदय कहबैछ जनकपुर। महाराज जनक मिथिलाक राजा छलथि। माता सीताक पिता छलथि। मिथिलाक राजधानी छल जनकपुर। एहि प्रांगण मे बहुत रास भव्य मंदिर, पोखरि, आ रमणीय फुलबारी सभक अम्बार लागल अछि। जेना – रत्नासागर, अनुराग सरोवर, सीता कुण्ड, जानकी मंदिर, विवाह मण्डप आदि। विवाह मण्डप केर बारे मे कहल जाइछ जे ओकर त्रिपेक्षन कयला सँ कुमारि कन्या सभक विवाह केर योग जल्दी बनैत छन्हि आर विवाहिता सभक सोहाग-भाग्य बढैत छन्हि। टिकमपुर महारानीक कोबला पूरा भेलाक कारण ओ एहिठाम महलनुमा जानकी मन्दिरक निर्माण करबौने छथि, जेकरा नौलखा मन्दिर कहल जाइत छैक। जनकपुरक आसपास आरो बहुते रास प्रसिद्ध जगह सब छैक जेना कलना महादेव, फुलहर, देवेश्वर महादेव, आदि।
 
आब हम पहुँचि गेलहुँ मधुबनीक ओहि स्थानपर जतय मैथिली कविकोकिल विद्यापतिक जन्म भेल छलन्हि, यानी बिस्फी गाम। कविकोकिल विद्यापति केँ के नहि जनैत अछि! कहल जाइत अछि जे स्वयं देवाधिदेव महादेव हिनकर भक्ति सँ प्रसन्न भ’ कय हिनकर काव्य-रचना आ भक्तिभाव सँ कयल जायवला आराधना आदिक प्रत्यक्ष नयनसुख लेल ‘उगना’ नामक सेवक बनिकय हिनक चाकरी करय आबि गेल रहथि। मधुबनीक पंडौल नामक स्थान मे प्रसिद्ध उगना महादेव केर मन्दिर अछि, हम ओतहु उगना महादेव केर दर्शन कयलहुँ।
 
ओतय सँ निकलि हम पहुँचि गेलहुँ मधुबनी सँ ६ किलोमीटर पश्चिम स्थित ऐतिहासिक सौराठ सभागाछी। पहिने मैथिल ब्राह्मण समुदायक विवाह सम्बन्ध एहि सभागाछी मे पहुँचल वर आ वरक कुल-परिवार, गुरुजन व अन्य समाजक लोक सभक लागल सभा सँ कन्यापक्ष (कन्याक पिता ओ परिजन) सब अपन बेटी-बहिन लेल योग्य, अनुकूल आ जोड़ी मिलाकय वरक चयन करथि आ बड़ा सहजता सँ बेटी-बहिनक घर-गृहस्थी हुनक जीवनसाथी संग बसायल जाइत छल। मतलब पहिले लोकसब मिथिला मे अपन बेटीक लेल लड़का एतहि सँ ताकिकय लऽ जाइत छलथि, जिनका जेहेन चाही।
 
सौराठ सभागाछी सँ मिथिला केँ विश्व प्रसिद्धि प्रदान करयबला मिथिला चित्रकलाक प्रशिक्षण संस्थान एवं संग्रहालय बनल देखलहुँ, भव्य मकान ओ परिसर छल। हम जतेक दिन गाम मे रहलहुँ, रोज भोरे निकलि पड़ी कपिलेश्वर महादेवक दर्शन लेल। हिनका बारे मे प्रचलित अछि जे ई कपिल मुनि द्वारा स्थापित महादेव छथि। मधुबनी सँ सौराठ सभागाछी होइत पोखरौनी चौक सँ बायाँ मुड़ि रहिका आ रहिका-दरिभंगा मार्गहि पर अवस्थित अछि बाबा कपिलेश्वरक स्थान। कपिलेश्वरक दर्शनोपरान्त हम पहुँचि गेलहुँ दरिभंगा नगर।
 
एतय पहुँचि पहिले देखलहुँ दरभंगा महाराजाधिराजक परिसर, कामेश्वर सिंह केर राजक किला। कनिये आगू बढि परिसरक भीतर मे दर्शन भेली श्यामा माइ। सुन्दर मन्दिर, राज परिसरहि मे स्थित प्रसिद्ध मन्दिर अछि श्यामा मायक। कहल जाइत छैक जे ई मन्दिर महाराजा कामेश्वर सिंह अपन पिता रामेश्वर सिंह केर चिता पर बनबेने छथि। श्मशान मे बनलाक बादो ई मंदिर बहुत विख्यात अछि। एतय सँ आगू हम पहुँचि चुकल छलहुँ अहिल्यास्थान। ईहो दरभंगे जिला मे स्थित अछि, कमतौल स्टेशनक आसपास मे। मानल जाइत अछि जे अहिल्या अपन पतिक श्राप सँ पाथर बनि गेल छलीह, तऽ भगवान राम हुनका अपन चरण सँ स्पर्श कय उद्धार कएने रहथि, वैह जगह के नाम पड़ल अछि अहिल्यास्थान।
 
ओहि सँ आगू प्रस्थान कयलहुँ कुशेश्वरस्थान लेल। कुशेश्वरस्थान केँ मिथिलाक बाबाधाम मानल जाइत अछि। कहल जाइछ जे हिनकर स्थापना भगवान राम केर छोट पुत्र कुश द्वारा कयल गेल अछि। आगाँ बढि एलहुँ नवादा भगवतीस्थान, बड़ प्रसिद्ध छथि ईहो भगवती। सिद्धपीठ कहबैत छथि। कहल जाइत छैक जे माता शतीक शव केर टुकड़ा जतय-जतय खसल रहैक ओहि जगह सबपर सिद्धपीठ भगवती विराजैत छथि। बावन टा शक्ति पीठ अछि पुरे भारत मे, जाहि मे सँ किछु मिथिलो मे पड़ैत छथि। जेना – उच्चैठ भगवती, नवादा भगवती, उग्रतारा भगवती, आदि।
 
ओतय सँ सीधा आबि गेलहुँ सहरसा जिला। एतय आबि कऽ केलहुं सूर्य मंदिर आर उग्रतारा भगवतीक दर्शन। हिनका बारे मे जानकारी प्राप्त भेल जे माँ सतीक शव केर आँखि एतहि खसल छलन्हि जाहि सँ हिनकर नाम उग्रतारा पड़ल छन्हि। आर एहि ठाम महान् विद्वान पंडित मंडन मिश्रक पत्नी भारतीदेवी आर आदिगुरु शंकराचार्य बीच शास्त्रार्थ होयबाक बात घटित भेल छल। जाहि मे भारतीदेवी शंकराचार्य पर जीत हासिल कएने रहथि।
 
आब हम पहुँचलहुँ मुजफ्फरपुर। एहि ठाम बाबा गरीबनाथ केर दर्शनक सौभाग्य प्राप्त भेल। आगू भागलपुर तक के यात्रा पर निकलि गेलहुँ। ओतय जाय केँ मनसा देवीक दर्शन कयलहुँ। आबैत काल सिमरिया घाट सेहो चलि गेलहुँ। सिमरिया मे गंगा स्थानक लाभ भेटल। कुलदेवीक पूजा-पाठ लेल मिथिलाक लोक एतहि सँ गंगाजल भरि आनैत छथि। वापसी मे मधुबनीक गंगासागर घाट पर काली जीक दर्शन करैत, आगू आबि जीबछधार मे सेहो नहेलहुँ। ओतय सँ कनी आगाँ बढिकय झंझारपुर परिसर मे बिदेश्वरनाथ बाबा आर हर्री के चण्डेश्वर बाबाक दर्शन करैत, बेनीपट्टी लग ब्रम्हपुरा गाम मे हरिहर बाबाक दर्शन कय अपन घर आबि गेलहुँ।
 
बहुत किछु देखलहुँ ओहि यात्रा मे मुदा एखनहुँ बहुत किछु देखय लेल बाकी अछि। जेना जागेश्वरनाथ, भुवनेश्वरनाथ, सिंघ्नेश्वरनाथ, सखड़ा भगवती, छिन्नमस्तिका भगवती आदि। ऐगला बेर मिथिलाक यात्रा मे ई सब पवित्र भूमिक दर्शन करय अवश्य जायब, से संकल्पित छी।
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(दहेज मुक्त मिथिला परिवार मे एक सँ बढिकय एक प्रतिभावान सदस्य/सदस्या लोकनिक उपस्थिति अछि। एहि सप्ताह ‘लेखनीक धार’ कार्यक्रम अन्तर्गत मिथिलाक पर्यटकीय स्थलक यात्रा सम्बन्धी लेख लिखबाक वन्दनाजीक आग्रह पर बहुत रास उपयोगी लेख-रचना सब लिखल गेल अछि। हमरा जे रचना काफी आकर्षित कयलक से थिक श्रीमती रिंकू झा, ग्रेटर नोएडा द्वारा लिखल ई लेख। एकर सम्पादित रूप अपने सभक लेल हम सेहो राखि रहल छी, आ मैथिली जिन्दाबाद पर सेहो प्रकाशित कय रहल छी।

 
प्रवीण नारायण चौधरी
सम्पादक, मैथिली जिन्दाबाद वेब पत्रिका
www.maithilijindabaad.com)
 

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