“रविन्द्र भारती” मधुबनी, बिहार, दिनांक २२/०९/२०१७ दिन – शुक्र
मैथिलि – रचनाकार “बिभूति आनंद” जी केर कलम सँ,
गीते सन,
इ अति-सुन्दर प्रेरक रचना “मैथिलि जिंदाबाद” पs पहिल बेर प्रस्तुत अछि, पैढ उचित टिप्पणी करबाक कष्ट करू।
मैया के गेहूँ मिललै हय,
चावल मिललै हय मैया के
तेल के कारण दीया जललै,
अपन मड़ैया बाउ हो !

हमरो मिललै साइकिल,
मिललै हय बेरहट हमरो
इसकुल गेली बुद्धी खुललै,
पिय’ न दारू बाउ हो !
पढ़बै हमहूँ भैयो पढ़तै,
डिरेस पीन्ह के टुपटुप बोलबै
नोकरी करबै, मेम कहेबै
चेहरा खिलतो बाउ हो !
गेलो आब बितलाहा जिनगी,
निरबुद्धी जिनगी आब गेलो
सुन’ न तनिका कहै छियो जे,
तुहूँ न पढ़हो बाउ हो !
