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तृषित केर द्वंद्वात्मक दोलत्ती – परिप्रेक्ष्य नेपाल प्रदेश २ केर चुनाव मे टिकट बँटवारा

द्वन्दात्मक दोलत्ती

– कालीकान्त झा तृषित

अत्यन्त आतंकित, अपश्याँत एवम् चिन्तित स्वर मे मुसरी बाबू धारा प्रवाह कहि रहल छलाह, “हौ! कतऽ बेपत्ता भेल छह, बहुत पैघ बाढि आबि गेल छैक। नहि जानि ई कोना सम्हरतै? कनि मनि के बात रहितइ त ने चिन्ता नहि होइतै?” हम कहलिएन, “अहूँ अछछ करैछी, बेसी ठामक बाढि त कहिया सटकि गेलै, अवसर के फयदा उठौनिहार सब सेहो अगहनि उठा कऽ सुस्ता रहल छथि त आब अहाँ कोन दुनियाँ के बाढि केर बात पसारने छी?”

“तोरा बुद्धि के बलिहारी छौ। बाढि की खाली पानि के होइत छैक रे! अखनुक बाढि कर्मठ समाजसेवक के आबि गेल छैक। फेसबुक पलटा कऽ देखहक ने। नेता सब त बहुत पहिनहि स समाजसेवक छथि। कार्यकर्ता आब रहि ने गेल छैक से सब के पदोन्नति भऽ गेलै। सब नेता, सब समाजसेवी तइ पर स कर्मठ जुझारू आदि विशेषणयुक्त भऽ गेल छैक। सबहक लक्ष्य एकेटा चुनाव मे टिकट चाही। ठेलम-ठेला मचल छैक। टिकट नहि भेटने सब स्वतँत्र उमेदवार बनताह से गुप्त अकाशबाणी कानोकान प्रसारण भ’ रहल छैक। इ बाढि दछिन तरफ नहि बहि रहल छैक। सब दू नम्बर क्षेत्रमे घूमिए रहल छैक। एक-एकटा अध्यक्ष के दर्जन मे टिकटार्थी, राष्ट्रीय परम्परा केर निर्बहन करैत सब केओ राम्रो मान्छे के नहि तकैत हाम्रो मान्छे के आगा ठेल रहल छथि। अहू मे जे गोरखधन्धा मे अनुभवी छथि परिक्रमा मे पारँगत छथि जनवल स हीन रहितहुँ गप्प अँटाबऽ मे प्रवीण छथि से तेहने के टिकट भेटबाक सँभावना देखा रहल छैक। एहने जँ हालति रहतै त परिणाम की अओतै से सहजे अनुमानल जा सकैछ। मधेश के जे जतेक अपमानित होबऽ पड़ल छैक से नेताजी लोकनिक नेतृत्व गुण आ कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह उठा देने छनि।”

ई यथार्थ अकाट्य सत्य छैक जे रा ज पा नेपालक गठन बहुत ठाम गाम स आएल बहुतरास गुण दोष सँ मिझरायल, मुदा परिस्थिति स ठकाएल, किछु लोक धीर गम्भीर परिवेश मे पलायल मुदा बहुतो तुरते फल पएबाक हेतु अगुताएल अर्थात बहुतरास बिरोधाभाषक सम्मिश्रण ई पार्टी छैक समेटि कय चलब जतेक जरूरी ततबे कठिन। आन्दोलनक चलते बिशेष समय काठमाँडू मे बीतैत रहलनि तैँ वर्तमान जमीनी यथार्थ सँ किछु समय स हटल कटल रहल छथि से एहसास हएबैक चाहिएन। लोकक अपेक्षा आकाँक्षा बिशेष छैक युवा जमात मे आक्रोश बहुत छैक जे पहिनहुँ स घिनायल छथि (हुनका लोकनिक कूद फान कने बेसिए देखा रहल छैक)। एखनो हुनके लोकनि के अगुएबै त बड महग पड़त। लोक मे जागरूकता सेहो बढि गेल छैक आ ने केओ अहाँ सबहक पछुलगुआ अछि से अवश्य ध्यान राखब। आबक राजनीति ओतेक सहज सरल नहि छैक। लोक एक एक बातक हिसाब राखि रहल अछि। तथापि ओ आस उमीदो त अहीँ लोकनि सब सँ छैक। नवछुहिया जे करए मुदा प्रौढ एवम् चौथापन मे पहुँचल नेताजी लोकनि सब सँ आग्रह, “अन्तिम अवसर अछि। इतिहास बनाउ कलँक बचाउ।”

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