साक्षात्कार: मैथिली फिल्म हाफ मर्डर केर निर्माता एवं निर्देशक ‘रमानाथ झा’ संग

half murderमैथिली फिल्म क्रमश: अपन विकासक मार्ग पर अग्रसर होमय लागल अछि। एहेन बहुत कम देखल गेल अछि जे कोनो नीक बजट केर लगानी सँ मैथिली सिनेमाक निर्माण भेल हो – तथापि समय-समय पर किछु सपुत मे अपन मातृभाषा ओ संस्कृतिकेँ फिल्मक माध्यम सँ उच्चस्तर तक पहुँचेबाक जोश आ हिम्मत अबैत रहल अछि। एहि क्रम मे एकटा सिनेमा ‘हाफ मर्डर’ केर निर्माण कैल गेल। काफी उत्साहपूर्वक आ नीक लगानी सँ रामानाथ झा आ आदित्य मिश्र द्वारा एहि सिनेमा सँ मैथिली जगत् केँ उपस्कृत कैल गेल अछि। अनेको बाधा आ अवरोधक बावजूद ई सिनेमा एकटा नव सुरम्य वातावरण तऽ अवश्य बनेलक जाहि सँ अन्य लगानीकर्ताक ध्यान मैथिली सिनेमा मे आधुनिकताक प्रयोग करैत बजटस्तर बढेबाक प्रेरणा भेटैत छन्हि। नामक विलक्षणता सेहो किछु एहेन छैक जे एक बेर तऽ दर्शक देखय लेल आतुर होइते टा अछि। लेकिन कलाकार चुनाव आ फिल्मांकन मे बहुत रास तकनीकी कमी-कमजोरी पर ध्यान देबाक बात समीक्षक सब कहैत छथि। आउ, एहि फिल्मक निर्माण, निर्देशन आ प्रदर्शन सँ संबंधित अनेको पहलू पर निर्माता-निर्देशक रमानाथ झा संग भेंट-वार्ता करी।

प्रवीण: अपन बारे मे किछु बताउ। जीवन यात्रा मिथिलाधाम सँ हस्तिनापुर (दिल्ली) तक कोना-कोना भेल?

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रमानाथ: हम मधुबनी जिलाक हरिपुर गौरी दास टोल केर निवासी छी। हमर पिताजीक नाम श्री सर्बेश्वर झा जे पी.एच.इ.डी. रांची मे कार्यरत छलाह अतः हमर प्रारंभिक शिक्षा ओतहिये भेल और हम इंटरमीडिएट तक शिक्षा ओतहि लेलौं। अकष्मात् हमर माताजी श्रीमती मुन्द्रकला देवी केर निधन भेलाक बाद हम सब पटना चैल एलहुँ और पटना ए. एन. कॉलेज सँ अर्थशास्त्र (आनर्स) १९९१ ई. मे पूरा केलहुँ।

माताजीक निधन सँ शोकाकुल रहैत रही अतः पटना मे पढाई करैत-करैत कला-क्षेत्र दिशि आकर्षण भेल। तेकर फलस्वरूप  थिएटर और रंगकर्म सँ जुड़ि गेलौं। पटना मे बहुत रास नाटक, नुक्कर नाटक इत्यादि मे, विद्यापति पर्व समारोह केर नाटक मे भाग लेलौं। बहुत प्रशंशा भेटल। मुदा ओहि समय एहि विधा मे पाइ और भविष्य केर बहुत अभाव छलैक। तैँ १९९२ ई. मे हम रोजी-रोटीक जोगार मे दिल्ली चैल एलहुँ।
दिल्ली मे कुनू पैरवी नै छल और ने कुनू तकनिकी शिक्षाक डिग्री वा ज्ञान छल। लेकिन मोन मे संकल्प लेलौं कि जे करय पड़त से करब मुदा खाली हाथ वापिस नै जैब। बहुत संघर्ष सँ ७०० रु केर नौकरी भेटल और ७ साल बहुत दुखदायी छल। लेकिन हम हिम्मत नै हारलौं, नौकरी करैत-करैत कंप्यूटर केर शिक्षा लेलौं। एक्सपोर्ट मैनेजमेंट केलौ (MBA IN EXPORT) आ तकरा बाद धीरे-धीरे कनि स्थिति सुधरय लागल। एखनो वो बात सब मोन पडैत ऐछ त कना जैत ऐछ। हम किछु नै बिसरल छी और शायद यैह कारण ऐछ जे हम बहुत जमीन-स्तर केर लोक छी। ततेक कष्ट भोगने छी जे आबक कष्ट बहुत छोट बुझना जैत ऐछ। १९९८ ई. सँ हम इंटरनेशनल मार्केटिंग (एक्सपोर्ट) मे कार्य शुरू केलहुँ और धीरे-धीरे मार्केटिंग मेनेजर (एक्सपोर्ट) बैन गेलौं। सन २००६ सँ हम अपन लोहा लक्कर केर एक्सपोर्ट केर बिज़नेस शुरू केलहु जाहि सँ गुजर-बसर भऽ रहल अछि।

 

प्रवीण: मैथिली फिल्म बनेबाक विचार कोना आयल?

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रमानाथ: जेना हम बतेलौं, पटना मे पढाइ करय समय रंगमंच सँ जुड़ल रही और ओहि समय मैथिली नाटक मे भविष्य नै छल और बहुत तकलीफ सऽ चंदा एकत्रित कय हमसब नाटक करी। मैथिली सिनेमा सेहो नै बनैत रहय ओतेक, तऽ मोन मे कतहु न कतहु ई भावना छल जे अगर भगवान् कहियो सामर्थ्य देता त मैथिली फिल्म जरुर बनैब और मैथिली फिल्म इंडस्ट्री स्थापित होइ ताहि मे अपन योगदान देब।

प्रवीण: कि अहाँक पता नहि छल जे मैथिली फिल्म बनेबाक लेल बहुत रास गंभीर चुनौती सब छैक?

 

रमानाथ: हमरा पता छल कि मैथिली फिल्म बनेनाय १००% रिस्क केर बात छैक। किछु लोक कहला कि भोजपुरी फिल्म बनाउ, पाइ त उपर भऽ जैत। मुदा हम खुद मैथिल छी तऽ सोचलौं जे रिस्क लेब त मैथिली मे कियैक न लेब। ताहि लेल कम बजट केँ लैत हम फिल्म बनेबाक सोचने रही और सोचलौं जे कम बजट फिल्म रहत त मेहनत, प्रचार-प्रसार कय रिकवरी करबाक एकटा सार्थक प्रयास करब। मुदा विधिना केँ किछु आर मंजूर छल। बजट तीन गुना बढ़ि गेल। शुरू सऽ गलत व्यक्ति, गलत टीम, गलत आश्वासन, गलत भरोसाक शिकार होइत रहलौं। साफ़ कही त फिल्म बनबय लेल हमरा अनुभव नहि छल और दोसर पर भरोसा करय पड़ल। दुर्भाग्य रहल  जे हमर टीम छल हुनको कनिको अनुभव नहि छलैन। Simply you can say this was totally unprofessional deal, entire team was unprofessional and new. No one has experience of film making.

प्रवीण: खैर! हाफ मर्डर बनेबाक परिकल्पना पर अपन विचार कहू!
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रमानाथ: फिल्म हाफ मर्डर बनेलाक बाद और किछु भेल हुअऽ वा नहि, मुदा हम ई छाती ठोकि कय कहि सकैत छी जे फिल्म बनेबाक पूरा अनुभव भऽ गेल और हम एकरे अपन कमाइ बुझैत छी और भविष्य में कुनू प्रोजेक्ट बहुत कम लागत मे बहुत नीक ढंग सँ कय सकैत छी। सब तरहक अनुभव शुरू सँ अंत तक भऽ गेल।
प्रवीण: कलाकार चुनाव मैथिली फिल्म लेल कोना कैल जाइत छैक? अपन ईमानदार अनुभव कहू।
रमानाथ: हम एहि फिल्म संग शुरू मे एकटा प्रोड्युसर केर रूप मे जुड़ल रही और एकटा निश्चित बजट मे फिल्म तैयार हैत एकर भरोसा संग जे टीम हमरा लग प्रोजेक्ट लऽ आयल छलाह हुनका सब द्वारा देल गेल छल। अतः कलाकार केर चयन, लोकेशन केर चयन, शूटिंग कोना, ई सब मे शुरू मे हमर भागीदारी नहि के बराबर छल। हम सक्रिय तखन भेलौं जखन बजट जे कहल गेल छल ओतेक ख़तम भ गेलैक आर फिल्मक शूटिंग ५०% मात्र भेल छल। बाद मे धीरे-धीरे चीज सब पता लागल जे कि व्यवहारिक नहि छल और कुनू प्रक्रियाक तहत नै छल। साफ कही तऽ मुह देखौवैल और जान-पहचान सैह टा एकटा विधिवत् प्रक्रिया अपनायल गेल जे एकदम अव्यवहारिक आ घातक सेहो होइत छैक। पूर्णरूपेण प्रोफेसनल नहि बनब तऽ ई रिस्क समूचा लगानीकेँ ब्यर्थ कय सकैत अछि। नीक योजना आ ओहू सँ नीक क्रियान्वयन, एकर कमी सऽ सबटा गड़बड़ होइत छैक।
प्रवीण: अहाँक फिल्म मे हिरोइन किनका आ कोना लेल गेलनि?हुनकर अभिनय आ स्क्रीनक अनुभव सेहो देखल गेल छल आ कि कोनो अन्य विन्दु पर निर्णय लेल गेल?
रमानाथ: एकर जबाब एहि सँ पहिनुके प्रश्न मे कहि देने छी, हम शुरुआत मे सक्रिय नहि रही। आ व्यक्तिगत पहिचानक आधार सँ कोनो कलाकारक चुनाव उचित नहि। प्रोफेशनल होयब जरुरी छैक।
प्रवीण: अपनेक फिल्म मे के सब मुख्य भूमिका निर्वाह केने छथि? हिनका लोकनिक विषय मे मात्र किछुए शब्द मे बतायल जाउ।
रमानाथ: फिल्म के नायक छैथ कृष्णा मिश्रा, नायिका श्वेता वर्मा, और खलनायक नवीन चौधरी। एकर अतिरिक्त सहायक कलाकार सब मे अनेको रास लोककेँ भूमिका देल गेल छल।
प्रवीण: अहाँक फिल्मक बजट फाइनली कतेक रहल? कि सबहक पारिश्रमिकक भुगतानी समय सँ भऽ गेलैन?
रमानाथ: बजट लगभग ६५ लाख पहुँचि गेल। एहि मादे एकटा आरो खुलाशा करब बहुत आवश्यक अछि जे पूर्व प्रस्तावित बजट मे अप्रत्याशित वृद्ध भेलाक बाद एक बेर हम पूर्णत: हतोत्साहित भऽ गेलहुँ, मुदा ईश्वरक असीम कृपा सँ मित्र-स्वजन-परिजनक प्रेरणा भेटल जे बीच बाट मे जुआ पटकब ठीक नहि होयत। एहि समय भगवान् केर रूप मे भेट गेला सबसँ नजदीकक मित्र श्री आदित्य मिश्रजी। ओ जँ सहयोगक हाथ नहि बढबितैथ तऽ ई फिल्म आइ अहाँ सबहक सोझाँ बनिकय प्रस्तुत नहि रहैत। नहि सिर्फ आर्थिक सहयोग बल्कि दिन-राति एक करैत नैतिक आ शारीरिक सहयोग यानि तन-मन आ धन तिनू सँ आदित्य बाबु हाफ मर्डर केर डूबैत नाव केँ किनारा लगौलनि। हुनकर ई आभार हम कोनो जीवन मे नहि बिसैर सकब। जहाँ तक बात रहल पारिश्रमिक भुगतानीक, तऽ यथार्थ यैह अछि जे बहुत नाम मात्रक भुगतानी एखनहु बकियौता अछिये। प्री-प्रोडक्शन और पोस्ट-प्रोडक्शन केर कुल मिलाकय ३०-४० हजार ओहो हम आश्वाशन दैत छी जे निकट भविष्य मे जरुर चुकता कय देबैन।
प्रवीण: नितेश भारद्वाज नामक निर्देशक अपनेक फिल्म मे जुड़ल छलाह, हुनका कि तकलीफ भेलैन जे जहतर-पहतर बोकरी केने फिरैथ? आर तऽ आर, ओ मैथिल ब्राह्मण केँ सेहो फेसबुक पर गरियेने फिरैथ – एहेन कि तकलीफ देलियैन अपने लोकनि?
रमानाथ: एहि विषय पर हम ज्यादा नहि कहब। हाँ एतबा जरुर कहब कि फिल्म बनेनाए एकटा पैघ जिम्मेदारी छैक और बहुत कठिन काज छैक। एकरा हल्का मे नै लेबक चाही। ताहि लऽ कऽ ओकर अनुभव भेनाई जरुरी छैक। अतः एकर पढाइ और ट्रेनिंग लेनाइ परमवाश्यक, जे सब हुनका मे बिलकुल नै छल। गलती हमरो सँ भेल जे एतेक पैघ जिम्मेदारी देबय सँ पहिने हम जाँच-पड़ताल नै कय सकलौं। और किछु व्यक्ति केर बात पर भरोसा केलौ। निर्णय जल्दबाजी मे लऽ लेलौं। रहल हुनकर व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तऽ ओ हुनकर अपन सोच छैन्ह और शायद बाद मे हुनका उत्तर भेट गेल हेतैन और नीक बेजाय के एहसास सेहो भेल हेतैन।
प्रवीण: हालहि अहाँ नेपाल आयल रही, विराटनगर केहन लागल? कार्यक्रमक अनुभव पर कि कहब?
रमानाथ: विराटनगर जहिना नाम तहिना विराट दिल और जूनून वला लोक सब केँ अपना आप मे समेटने ऐछ। बहुत जगह तऽ घूमबाक अवसर नहि भेटल मुदा जतबा देखलहुँ, बहुत साफ़-सुथरा और सुंदर छल। जहाँ तक कार्यक्रय अंतर-राष्ट्रीय कवि सम्मलेन २०१५ केर बात कही तऽ एकटा सार्थक और सफल प्रयास छल। बहुत रास नवतुरिया कवि सबकेँ मंच पर मौका भेटलैन। अतः पूरा आयोजन टीम केँ हमरा तरफ सँ बहुत धन्यवाद और भविष्य मे सेहो एहेन कार्यक्रम सब आरो होइत रहय सैह निवेदन करब।
प्रवीण: नेपाल मे रिलीज करबाक लेल किनका-किनका सँ सम्पर्क केलहुँ अछि आ कहिया धरि एकरा नेपाल मे रिलीज कैल जायत?
रमानाथ: नेपाल मे मैथिली फिल्म हाफ मर्डर केँ रिलीज़ करबाक बहुत इच्छुक छी। किछु लोक सब सँ सकारात्मक बात भेल छल। प्रयास करैत छलहुँ जे कहुना बात बनि जाय। मुदा अचानक सँ आयल ई त्रासदी सँ बहुत आहत भेलौं। और ओतुका लोक सबहक परिस्थिति देखि बहुत चिंतित छी। आब एखन फिल्म रिलीज़ करबाक बारे मे सोचनाइ ज्यादती हैत। किछु मित्र सब मिलकय किछु राहत सामग्री हमहुँ सब पठेलौं ऐछ।
प्रवीण: विगत केर सीख आगाँ कतेक काज देत? कि मैथिली फिल्म मे भविष्य देख रहल छी? स्पष्ट कहू!
रमानाथ: सीख और अनुभव तँ हमेशा काज अबैत छैक और हमरा पूर्ण विश्वाश ऐछ आब नव प्रोजेक्ट पर बहुत विश्वाश और धैर्यक संग काज कय सकैत छी। जहाँ तक मैथिली फिल्मक भविष्य केर बात छैक, एखन बहुत परिश्रमक जरुरत छैक। एखनो बहुत काज करबाक छैक। सबसँ महत्वपूर्ण जे दर्शक केँ जोड़नाइ, ओकरा मे रूचि जगेनाइ, कम बजट मे नीक प्रस्तुति देनाइ, सिनेमाघर उपलब्ध करेनाइ, सिनेमा डिस्ट्रीब्यूशन करय लेल एकटा शसक्त डिस्ट्रीब्यूटर केँ भेनाइ; एहि तरहक बहुत रास समस्या पर काज करबाक आवश्यकता छैक। लेकिन ख़ुशी ऐछ जे जाहि तरह सऽ हर क्षेत्र मे मिथिला-मैथिली लेल काज भऽ रहल ऐछ, लोक सब जागरूक भऽ रहल छैथ, मैथिलि फिल्म इंडस्ट्री केर सेहो विकास हेतैक और इंडस्ट्री स्थापित हेतैक। मैथिली फिल्म केर भविष्य बढियां हेतैक।

प्रवीण: नव कोनो फिल्मक निर्माण भऽ रहल अछि? आ कि हाफ मर्डर केँ फूल मर्डर करबाक दिशि ध्यान अछि?
रमानाथ: एखन एकटा धार्मिक फिल्म पर काज चैल रहल ऐछ लेकिन समय लागत जखन होम वर्क पूरा हैत सूचना अवश्य देब।
प्रवीण: मैथिली जिन्दाबाद आ एकर पाठक लेल किछु संदेश देल जाउ।
रमानाथ: मैथिली जिंदाबाद वेब पोर्टल मिथिला-मैथिली लेल बहुत नीक शुरुआत ऐछ और हमर सबसँ विनम्र निवेदन जे पूरा दिन मे एक बेर अवश्य एकरा देखि अपन सुझाव दी और एकरा बढ़ाबय मे अपन सहयोग दी चाहे कुनू माध्यम सँ संभव हुअय। अंत मे हमरा अपन बात राखबाक मौका देलौं ताहि लेल धन्यवाद और सबकेँ नमस्कार।