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मिथिलाक मधुश्रावणी पाबनिक अन्तिम पूजा आइ

मिहिर कुमार झा ‘बेला’, मधुबनी। जुलाई २६, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!

आइ नवविवाहिता महिला केँ देल जेतनि टेमी

नागपंचमीक दिन सँ मधुश्रावणी पूजाक आरम्भ होएत छैक। मधुश्रावणीक पूजा विवाहक बाद पहिल सावन केर नागपंचमीक दिन शुरू होएछ, तेरह दिन धरि लगातार पूजा करैत हरेक दिन नव-नव कथा सुनैत मिथिलाक किछु जाति-वर्ग मे नवकनियाँ लोकनि अपन पतिक दीर्घायू होयबाक लेल ई पावन पूजैत छथि।

ई पाबनि परंपरानुसार अपन नैहर मे मनबैत छथि नवविवाहिता स्त्री – घर-गृहस्थी मे प्रवेश भेलाक बाद गृहिणीक रूप मे कर्तब्य बोध कराबयवला अनेको कथा-कहानी सुनबैत प्रशिक्षित होएत छथि आर एहि बीच अपन सासूर सँ प्राप्त अन्न मात्र ग्रहण करैत छथि। व्रत रखबाक संग-संग नवविवाहिता सब गौरी-पूजन आ मन्दिर-मठ मे पहुँचि महादेव आ गौरीक जोड़ी जेकाँ अपन जोड़ी बनय एहि परिकल्पनाक संग रंग-बिरंगक फूल-पाती सँ सजल डाली सजबैत अनेकों इच्छित वर हेतु ईश्वर-आराधना मे लागैत छथि। 

मधुश्रावणी मे भोर मे पूजा… दुपहर मे कथा आओर साँझ मे फूल लोढ़बाक – मठ-मन्दिर मे समूह मे गीत गबैत सखि-बहिनपा सब संग घूमबाक परम्परा छैक। भोरका पूजा बसिया फूल सँ होएत छैक आर ई फूल वैह रहैत छैक जे बितलहबा दिनक साँझ मे पाबनि पूजनिहाइर सब डाला सजाकय रखैत छथि। कहल जाएत छैक जे सावन मे बर्षाक कारण नागलोक सँ विभिन्न प्रकारक सांप अपन बाहर मर्त्यलोक मे विचरण हेतु अबैत छथि … और मर्त्यभूमि मे कतेको लोक सर्पदोष सँ ग्रसित होएत अछि जेकर मृत्यु सर्पदंश सँ संभव छैक, तैँ व्रतधारी नवविवाहिता नागदेवता सँ अपन पति केर प्राण रक्षा लेल ई पाबनि बिसहरिक पूजा करैत वर पबैत छथि।

मिथिलाक हरेक पाबनि-तिहार लोकजीवन सँ ज़ुड़ल प्रतीत होएछ, आर ओहि मे प्रयुक्त विध-विधान सेहो जीवनोपयोगी शिक्षा दैत छैक। मधुश्रावणी मे आरो-आरो विभिन्न विध-विधानक संग एकटा अति विचित्र परम्पराक निर्वाह करैत अछि जाहि मे पबनैती केँ टेमी (जरैत दीपक टेमी) सँ शरीर पर दागल जाएत छन्हि। एकरा ‘टेमी पड़ब’ कहल जाएत छैक। टेमी देबाक परम्परा – पूजाक अन्तिम दिन पूजा करनिहाइर लेल शरीर पाकबाक कारणे कठिन ‘अग्निपरीक्षा’ रूप मे देखल जाएत छैक। एहि टेमी सँ जुड़ल कतेको तरहक किंवदन्ति लोकमानस मे देखल-सुनल जाएछ। कियो एकरा नवविवाहिताक सन्तान उत्पन्न करबाक सामर्थ्यक जाँच मानैत अछि, कियो एकरा सीताजी समान अग्निपरीक्षा दय अपन सतीत्वक प्रमाण मानैत अछि, कियो एकरा पतिक संग प्रेम मे पड़यवला निशानी मानैत अछि – जेकरा जाहि तरहक आस्था होएत छैक से ताहि तरहें एकरा स्वीकार या कतेक लोक अस्वीकारो करैत अछि। आइ-काल्हि कनियाँ पाकि जेती से सोचिकय ‘शीतल टेमी’ बिना आगि लेसने सेहो कतेक ठाम लेल-देल जाएत छैक।  टेमीक दाग नवविवाहिता केर हाथ-पैर और ठेहुनपर आरतक पात और पान राखैत जरैत टेमी (बाती) सँ पकायल जाएत छैक। आर एना पकलाक बादो पबनैती ‘इस्स’ तक नहि कय सकैत छथि, एहि सँ हुनकर सहनशक्तिक कतेक अछि ई पता चलैत छैक। पूजाक अन्तिम दिन (टेमी पड़बाक दिन) १४ गोट पनपथिया और एक डाला मे चनाक औंकरी, फल-मधुर, दही आदिसँ सजाकय १४ गोट अहिबाती स्त्रीगण केँ देल जाएत छैक।

समस्त मिथिलावासी “नवविवाहिता” जे मधुश्रावणी पूजि रहली अछि तिनका सब लेल आजुक एहि विशेष दिन हम समस्त मैथिली जिन्दाबाद टीम हार्दिक बधाई आर ढेरो शुभकामना दय रहल छी। जय मिथिला – जय मैथिली॥

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