विशिष्ट युवा परिचयः जयराम यादव यदुवंशी
जयराम यादव यदुवंशी – मैथिली भाषा, मिथिला संस्कृति तथा कलाक संग मैथिली फिल्म मे विशेष अभिरुचि रखनिहार – वर्तमान समय एक आस्ट्रेलियन मेडिसीन कंपनीक पूर्व क्षेत्रक बिक्री प्रतिनिधि होयबाक संग-संग समाज सेवा मे सेहो रुचि लेनिहार युवा स्रष्टा छथि। पूर्व मे शिक्षण पेशा आ राजनीतिक क्षेत्र मे सेहो विभिन्न स्तर पर कार्य कय चुकल छथि। नेपालक मधेश आन्दोलन सँ प्रभावित छात्र नेताक रूप मे सेहो कार्य कय चुकल छथि। हाल, मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी द्वारा संचालित विभिन्न भाषिक-सांस्कृतिक-सामाजिक कार्यक्रम सब मे सेहो बैढ-चैढकय हिस्सा लैत रहनिहार जयराम यादव यदुवंशीक वैचारिक साक्षात्कार हिनकहि समान आरो युवा सब मे एकटा प्रेरणाक विशेष संचरण हेतु एतय प्रकाशित कएल जा रहल अछि।
जानकीजीक नैहरा के हम बासिन्दा छी, मातृभाषा मैथिली आ मातृभूमि हमर मिथिला छी – एखन धरि हमर अपन समाज मे अनेकानेक विकृति आ कमजोर मानसिकता हावी रहबाक कारण हम सब पिछड़ल वर्ग मे गनाइ योग्य मात्र छी – एहि पिछड़ापण केँ दूर करबाक लेल हमरा लोकनि खासकय युवावर्ग अपन-अपन गाम-समाज मे बेसी सँ बेसी जनजागरण आनबाक काज करी। – ई सब विचार थिक युवा मैथिल अभियानी जयराम यादव यदुवंशी केर।
छात्र जीवन सँ नेपाल केर चर्चित मधेश आन्दोलन मे नेपालक राजसत्ता द्वारा – शासक वर्ग द्वारा मधेसी जनता केँ दोसर वर्गक नागरिक मानि नेपाल मे सरकारी जागिर खेबा सँ लैत सेना तक मे भर्ती नहि होबय देबाक कुटिल आ कुत्सित उत्पीडण विरुद्ध क्रान्ति मे सजग बनल युवक आइ मधेश आन्दोलन मे खुद मधेशी नेता द्वारा मधेशी जनमानस ठकल जेबाक बात कहैत छथि। २०६३ सालक मधेशी जनाधिकार फोरम मे छात्र नेता छलाह जयराम। जनकपुर केर क्रान्ति भूमि पर जन्म सँ सम्पूर्ण छात्र जीवन बितेनिहार ई युवा पहिने जाहि जोशक संग मधेश केर मुक्ति आन्दोलन मे सक्रिय भेलाह तहिना वर्तमान समय सही नेतृत्वक अभाव मे मधेश आन्दोलन भटैक जेबाक कारण सँ ई निष्क्रिय मानैत छथि, हलांकि भीतर मे बैसल क्रान्तिक लहर एखनहु यदा-कदा ज्वार-भाटा जेकाँ जोर मारैत अछि कहैत छथि – लेकिन आब राजनीतिक सक्रियताक बदला सामाजिक आन्दोलन आ सुधार कार्यक्रम मे एकर प्रयोग करैत छी आर चाहैत छी जे बेसी स बेसी युवा सेहो राजनीति मे सक्रिय होइ सँ पहिने अपन समाज मे विद्यमान बहुते रास कमी-कमजोरी केँ दूर करबाक लेल समाज स्तर पर काज करय, जयराम कहैत छथि।
वर्तमान समय विराटनगर मे रहैत जयराम यादव यदुवंशी वृहत् मधेशी नागरिक समाज केर सदस्य रहैत सामाजिक-राजनीतिक मंच पर सेहो अपन प्रखर विचार सब रखैत रहैत छथि। हिनकर कहब छन्हि जे सब सँ पहिने मनुष्य केँ अपन भाषा प्रति पूर्ण सजग बनबाक चाही। यदि अप्पन भाषा केँ बाजय मे, लिखय मे आ संचारकर्म करय मे हम सब पाछाँ रहब त नेपाल सन देश जतय एकल-भाषा नीतिक कारण नेपाली खसभाषा छोड़ि आन केकरो समुचित विकास नहि भऽ सकलैत यैह यथास्थिति मे आगामी वर्ष मे सेहो लोक भाषिक गुलाम बनल रहि जायत। मधेश आन्दोलनक दिशाहीन होयबाक एक प्रमुख कारण ईहो छैक जे अप्पन निजी मातृभाषाक प्रयोग छोड़ि जबरदस्ती ‘सम्पर्क भाषाक नामपर’ हिन्दी केँ अपनायल गेल। जतेक मधेशी नेता छथि से सोशल मीडिया पर कोनो राजनीतिक विचार अपन भाषा मे नहि राखि पुनः खस नेपाली भाषा मे रखैत छथि। एहि सँ अप्पन लोकक भीतर सूतल स्वाभिमान कहियो नहि जागि पबैत अछि। यैह कारण मधेश आन्दोलन बेर-बेर अपन विषय आ मुद्दा अपनो लोकक बीच ढंग सँ नहि राखि पबैत अछि। जाबत जनमानस मे आ राज्य संचालक केर समक्ष स्पष्ट मांग नहि राखल जायत ताबत समाधानक मार्ग कोना प्रशस्त होयत, ओ आन्दोलन पर प्रश्न ठाढ करैत एकर पाछाँ हेबाक कारण मधेशक भाषा प्रति मधेशी नेतृत्वक उदासीनता केँ मानैत छथि। एक तरफ हम सब मुक्ति चाहैत छी, एकल-भाषा नीति सँ छूट चाहैत छी, मुदा दोसर तरफ हम सब स्वयं अपने सँ वैह एकल-भाषा केँ अपनेबा मे गर्व मानैत छी। अपने सँ अपन भाषा बाजल वा लिखल नहि एबाक बात स्वीकार करैत छी। एना मे आत्मगौरव आ निजताक भान केना होयत… खाली मधेश-मधेश माला जपि लेला सँ ई सत्ताक स्वाद मे मदमस्त शासकवर्ग अहाँक बात केँ कतेक मोजर देत… जयराम अपन विचार रखैत छथि।
सच छैक जे नेपाल मे मैथिली दोसर सर्वाधिक बाजल जायवला भाषा थिकैक। पैछला जनगणनाक आधार पर नेपाली बजनिहार लगभग ४०% केर बाद मैथिली बजनिहारक संख्या करीब १३% छैक, मुदा सरकारक बजट विनियोजन मे ९०% हिस्सेदारी नेपाली भाषा लेल आर १०% भाग मे बाकी करीब १०० गोट मातृभाषा प्रति थोड़-बहुत योजना सब भेटैत छैक। मैथिली भाषाक साहित्य और पौराणिकता नेपाली भाषा सँ काफी मजबूत स्थिति मे होयबाक बादो राज्यक उपेक्षाक संग-संग स्वयं मधेश-मधेश हल्ला कएनिहार नेतृत्वक उपेक्षा सँ आइ कोनो खास प्रगति नहि कय सकलैक अछि। मैथिली मे सिनेमाक निर्माण, गीत-एल्बम या टेलिविजन सीरियल आदिक निर्माण आ प्रदर्शन सब पर बड पैघ प्रश्न ठाढ होएत छैक। साहित्य-लेखन सँ लैत कला-प्रदर्शन मे मैथिलीक हिस्सा ओतेक बलगर नहि बनि पाबि रहलैक अछि एहि उपेक्षा सभक कारण। स्वयं मैथिलीभाषी जनमानस मे बहुत पैघ सन्देह घर कएने छैक। माय-बाप केँ ईहो नहि पता छैक जे अपन बच्चा केँ भाषाक महत्व सिखा सकतैक। न विद्यालय मे पढाई करायल जाएत छैक, न कोनो पत्र-पत्रिका मैथिली मे प्रकाशित होएत छैक आमजनक पहुँच धरिक, आर एहि दिशा मे केकरो कोनो ध्याने नहि जाएत छैक। भाषा प्रति सन्देह एहेन छैक जे नीक-नीक पढल-लिखल मैथिल युवा सब अपन मातृभाषा मगही, ठेंठी, आदि कहैत छैक मैथिली कहबाक स्थान पर। युवा अभियानी जयराम यादव अपन वैचारिक प्रस्तुति मे ओहेन अभिभावक सब पर व्यंग्य करब नहि बिसरैत छथि जे अपन मातृभाषा सँ अपना धियापुता केँ दूर रखैत अछि।
जानि-बुझिकय अपन भाषाक तौहीनी करब कियो मिथिलाक लोक सँ सीखय… धियापुता केँ कोनो तेहल्ला मैथिलीभाषी लोक सँ परिचय कराबय काल मे मैथिली छोड़ि दोसर भाषा मे बात कय केँ ई देखेबाक प्रवृत्ति जे देखू हमर बच्चा केँ हम बोर्डिंग स्कूल आ बाहरे राखि पढा रहलहुँ अछि, से आब ई अपन भाषा सँ ऊपर मात्र दोसरहि केर भाषा टा बाजब-लिखब-पढब जनैत अछि। ई प्रवृत्ति यथार्थतः हमरा लोकनिक कमजोरी थिक। जयराम कहैत छथि – एक तरफ हम सब पहाड़ी संस्कृतिक लोक सभक बराबर अधिकारक बात करैत छी, लेकिन ओकरा सभक संस्कार मे लैंगिक विभेद खत्म कएल जा चुकल छैक, ओ सब शत-प्रतिशत साक्षरता दिशि उन्मुख अछि, ओ सब कदापि अपन भाषा आ अस्मिता सँ समझौता नहि करैत अछि, ओकरा सब मे कोनो छोटो टा मुद्दा पर एकजुटता रहैत छैक - एहि सब तरहक अनेको गुण सँ भरल छैक ओकर समाज, त हमरा लोकनि ओकर नीक गुण केँ बिना अपनेने ओकर बराबरी करय चाहब से कतय सँ पार लागत। जायज शिकायत रखैत जयराम आगू कहैत छथि, भाषा, शिक्षा, संस्कृति आ अपन-अपन पहिचानक विशिष्टता केँ बिना रक्षा केने एतय कोनो राजनीतिक क्रान्ति अन्त-अन्त धरि असिद्धे रहत। ओछता केँ छोड़ि मर्यादा बढेबाक दिशा मे हम सब मधेश भूगोलहु केर नाम पर एक नहि रहि सकलहुँ। आखिरकार शासक वर्ग चलाकीपूर्वक मधेश केँ धकियाबैत-धकियाबैत प्रदेश २ जे विशुद्ध मिथिला थिक तेकरे टा ‘मधेश’ बनाबय मे सफल भेल आर हमरा लोकनिक नेतृत्व ‘एक मधेश – एक प्रदेश’ केर मुद्दा सँ हँटलाक बादो सैद्धान्तिक रूप सँ मधेशक समग्रता केँ होशियारीपूर्वक एकजुट नहि राखि सकलाह। मधेशहु केर भीतर अलग-अलग संस्कृति, भाषा आ समाज सब छैक। जँ ईहो सब पहिने सँ मधेशक भीतरो अलग-अलग प्रदेश रहितो ‘मधेश एवम् मधेशी’क एकजूटता पर जोर देने रहितैथ, ताहि तरहक सैद्धान्तिक नीति बनौने रहितैथ त आइ ‘विखंडनकारी तत्त्व’ केर तगमा सेहो नहि पहिरय पड़ितनि आर नेपालक संप्रभु-संपन्न राष्ट्र मे ई सब सम्मानजनक ढंग सँ मधेशी केँ अधिकारसम्पन्न बनबैत देशक समग्र विकास हेतु समुचित संविधान सहित आगाँ बढि चुकल रहितैथ। लेकिन जिद्द आ ओछ दृष्टिकोण केर कारण मधेशक मुद्दा कहियो डा. सी. के. राउत केर स्वराजक मांग मे, त कहियो यादवक बहुल्यक कारण एकल जातीय वर्चस्व सहितक मधेशवाद मे, त कहियो मोर्चा आ गठबंधनक अलग-अलग धार आ राग मे, कहियो चुनाव मे सहभागी बनब या नहि बनब ताहि द्वंद्व मे, अपनहि मे सैद्धान्तिक मतभेद आर खंड-खंड मे बँटल रहि अपने मैर-कैटकय मधेशक मुद्दा केँ एतेक लोक शहीद भेलाक बादो रक्षा नहि कय सकलाह अछि, आ नहिये कोनो उपलब्धिमूलक कार्य संपन्न भऽ सकल अछि। जयराम अपन प्रखर राजनैतिक सोच केँ मंच पर रखैत छथि।
राजनीति सँ वैराग्यता – खिन्नताक अवस्था मे समाज लेल कार्य करब हिनका पसीन पड़ैत छन्हि। वर्तमान समय दहेज मुक्त मिथिला लेल आयोजित कतेको राउन्ड केर मैराथन दौड़ मे स्वजन्य मैथिलीभाषी चाहे एहि पार (नेपाल) वा ओहि पार (भारत) मुदा अप्पन गाम-समाजक लोकक बीच कार्य करय मे आत्मसन्तोष प्राप्त होयबाक बात कहैत छथि जयराम। कम सँ कम एहि सँ अपन समाज सँ कूरीति प्रति लोक मे समर्थन या विरोधक कारण पता लगैत अछि, कोनो समस्याक जैड़ कतय छैक से अनुभव भेटैछ आर अपना संग-संग आरो बड़-बुजुर्ग सम्भ्रान्त सज्जन सब संग सत्संगत भेटैत अछि। मिथिला लेल कार्य करय मे परमानन्दक अनुभूति भेटैत अछि। एना लगैत अछि जे जनकपुर केर जानकीजी मन्दिर सँ सटले घर-अंगना होयबाक कारण कतहु-न-कतहु जानकी स्वयं हमरा प्रेरित करैत एहि तरहक माटि-पानि-संस्कार सँ जुड़ल कार्य सब करैत रहबाक आदेश दैत छथि। हमरा संसारक कोनो वस्तुक अभिलाषा नहि अछि, बस मिथिलाक सेवा मे अपन दिन-राति एक कएने रही, बाकी सब जानकीजी के हाथ मे छोड़ि देने छी। ई समर्पण संग मिथिला लेल युवा अभियानी जयराम यादव यदुवंशी कार्य कय रहला अछि। ओ अपनहि समान आरो युवा सब केँ प्रेरित कय समाज केँ आगू बढेबाक अपील सेहो करैत छथि। तस्वीर मे हालहि भेटल सम्मान – दहेज मुक्त मिथिलाक ट्रौफी जे मधुबनी केर मैराथन मे प्राप्त भेलनि तेकरा देखबैत एहि पोस्ट यैह उपयुक्त फोटो होयबाक बात कहलैन अछि। एहि मे मिथिलाक सेवासँ भेटल मेवाक आनन्द देखाएत अछि, अतः यैह फोटो उचित रहत, ओ भाव प्रकट कएलनि।
हरिः हरः!!