विद्यानन्द बेदर्दीः संभवतः सबसँ कम उम्र के मैथिली गजलकार
मिथिला हमर महान देखु ई छातीमे,
शोणीत संग बहैत कलकल-छलछल,
बाजी त नितहुँ निकलए ठोरसँ मधु,
श्रद्धा-स्नेह केर छीयैक परम पूजारी,
के हिन्नु के मुसलमान हम नै जानी,
एकहकटा साँस समर्पण कऽ करैत,
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