विचार
– प्रवीण नारायण चौधरी
तैयो मिथिला नीक लगैत अछि….
नरेन्द्र बाबू पहिनो कहैत रहला जे ई आन्दोलनक नाम पर कतेको रास लोक ढकोसला करैत अछि, ओ सब बस अपन स्वार्थ पूर्ति मे लागल मैथिली-मिथिलाक नाम बेचैत अछि। हमरो कालान्तर मे लगभग ७५% लोक तेहने छैक से अनुभूति भेल। अपनो पर शंका होबय लागल – कहीं हमहूँ केवल नामहि लेल त ई सब ढकोसला मे नहि लागि गेलहुँ…. लेकिन आत्मसंतोष ई भेल जे हम आन्दोलन मे पहिने स रही…. बस विश्वस्तरीय आन्दोलनी बनि अपन सनातन हिन्दू धर्म एवम् आध्यात्मक पक्ष केर वास्ते २००७ मे स्थापित ‘धर्म-युद्ध’ छोड़ि ‘धर्म-मार्ग’ होएत ‘मैथिली भाषा – मिथिला संस्कृति – मिथिला राज्य – मिथिलाक पौराणिक एवम् ऐतिहासिक पहिचान’ आदि पर जानि-बुझि प्रवेश कएने छी नाम लेल नहि, आध्यात्मिक अनुभूतिक क्रम मे सिर्फ वांछित कर्म लेल। हमरा हर हाल मे अपन मातृभूमि मिथिला नीक लगैत अछि।
काल्हियो नरेन्द्र बाबू भिलाई (मध्य प्रदेश) मे भेटल मैथिल सज्जन सब संग असली मैथिल आ नकली मैथिल केर दृष्टान्त रखलैन। हुनकर कहब कोनो बेजा नहि छन्हि जे असल मैथिल आपस मे बँटल मत रखैत अछि, आपस मे बाजा-भुक्की तक बन्द कएने रहैत अछि, टांग घिचबाक प्रवृत्ति अधिकांश मे रहैत छैक…. मुदा तैयो अपन लोक त वैह लगैत अछि आर हमहुँ या नरेन्द्र बाबू मे यैह सब गुण-दुर्गुण भरल अछि, तखन जँ केकरो दूसिकय अपन मातृभूमिक सेवा सँ पाछू जाएत छी त अकर्मण्यताक पाप करब जेकाँ अनुभव होमय लगैत अछि। बेसी नीक ई हेतैक जे अधिक रास दुर्गुण सँ अपना केँ बचाकय राखी आ दोसराक गुण-दोष बुझितो अपन नीक योगदान सँ समाज मे कृति स्थापित करैत चली। यैह मुइलाक बादो शेष रहत। दान-धर्म शेष रहि जाएत छैक मनुक्खक, बाकी त शरीर संग अछिया पर डहि गेल बुझू। सब कमायल सम्पत्ति, सखा, सम्बन्धी, अपन कहेनिहार ‘स्वजन’, समस्त संसारादिक सब बात एतहि रहि जाएत छैक आर ‘हम’ कतहु आन संसार मे पठा देल जाएत छी। देखू एक बेर पाछू आ सोचू – महान् पुरुष केर नाम, कर्म, योगदान, कृति सब किछु जिबैत छैक – बाकी सबटा आयल पानि गेल पानि आ बाटहि बिलायल पानि जेकाँ छैक।
हरेक विशिष्ट सभ्यताक वैशिष्ट्य अपन तरहक छैक। सभक गुण-अवगुण अपन तरहक छैक। कियो अवगुण टा देखि घृणा करत, मुदा गुणहि-गुण केर तकैया कएनिहार केँ मात्र नीके-नीक देखायत। संभवतः मिथिला हमरा तैँ बेसी नीक लगैत अछी। एतुका लोकचर्या हमरा एतेक पसीन अछि जेकर परावार जुनि पुछू। भोरे सुति-उठि पराती गान करैत बड़-बुजुर्ग केँ सुनब आ फेर नित्यकर्म आदि सँ फुर्सत पाबि जे किछु जलखय भेटल से केलहुँ, नहि भेटल नहि केलहुँ – आवश्यक कार्य मे लागि गेलहुँ। खेती-गृहस्थी मुख्य कर्म होयबाक कारणे भोरे सँ माल-जाल केँ कुट्टी काटि खुआ-पिया तैयार कय हर-हरबाह सभक संग खेत पर काज लेल चलि देलहुँ। खेत मे पानि लागल अछि, धनरोपनी भऽ जेतैक, चलू – रोपनी लेल आवश्यक जन-बोनिहार केँ साँझे कहने छी आब खेत मे रोपनी कय आबी। कहियो कमठौनी, कहियो पटौनी, कहियो खाद-कीटनाशक छीटनाइ, ई सब लागल रहैत अछि। दुपहरिया खाय समय धरि काज मे मस्त – शहरक फैक्ट्री मे ८ घंटाक ड्युटी सँ शायद कम्मे समय धरि एक शिफ्ट चलल। ब्रेक टाइम मे नहा-सोना, पूजा-पाठ कय अंगनावालीक हाथ सँ जैह किछु सुच्छा मिथिलाक स्वादवला भोजन केलहुँ आ तेकर बाद जमल कनीकाल तासक चौकरी – दुपहरिया बितल – बेरु पहर चैल देलहुँ चाह पिबाक बहन्ने चौक दिशि। ओम्हर सब दुनियाक समाचार सब सुनैत, कतहु बिबिसी, कतहु आल इंडिया रेडियो, कतहु रेडियो नेपाल, कतहु इलाकाक आन गाम-ठामक समाचार…. सबटा ओहि चाह दोकान पर सुनय लेल भेट गेल आ जन-बोनिहार संग सेहो ओत्तहि भेंट भऽ गेल, काल्हि लेल जेकरा जे अढेबाक अछि सेहो अढा देलहुँ। साँझ पड़ल, चलू मन्दिर। भगवानक दर्शन भेलैक। प्रार्थना कएलहुँ जे जीवनक सब किछु सही ढंग सँ पटरी पर चलैत रहय हे ईश्वर…! फेर दलान पर बैसल अछि १० गोटाक चौकरी। रेडियो पर प्रादेशिक समाचार, फेर बिबिसी हिन्दी आ लास्ट मे अल इंडिया रेडियो…. मोदीजी एना, नीतीशजी एना, लालूजी एना…. बाभन वोट ओतय, तिरपन वोट कतय, चौबन वोट ओम्हर…. आलतू-फालतू कि कहाँदैन सबटा भेल…. भोजनक बेर होएत देरी चौकरी समाप्त आ फेर निनियां देवी केँ गोर लागि काल्हिक भोर धरि लेल खिस्सा खत्तम। यैह न छैक मिथिलाक जीवन! एहि मे कनी तर, कनी ऊपर… ई सब चलिते रहैत छैक।
हमरा मिथिला बहुत नीक लगैत अछि। केकरो एहि मे कतेको रास बात दोषयुक्त भेट जेतैक। सभक स्वतंत्र विचार छैक। ताहि सँ खण्डन-मन्डन बेसी होएत छैक। एकरा स्वस्थ रूप मे ग्रहण करब त प्रवृत्ति टांग घिचयवला कम आ स्वस्थ आलोचना बेसी बुझायत, आगूक कंटक मार्ग आरो सुगम भऽ जायत…. बाद मे जे चुनौतीक सामना कष्टपूर्ण संघर्ष सँ करब तेकर काट अपन घरहि-परिवार या आसपासक लोक केर उलहन-उपराग सब सँ नीक जेकाँ भेट जाएत अछि। जेना देशक सेना…. सीमाक सुरक्षा पर एके-५६ या मशीन गन लय केँ तखन ठाढ होएत छैक जखन ओकरा रिगोरस ट्रेनिंग – अत्यन्त कठिन-कठिन शारीरिक अभ्यास आदि सँ ई सिखायल जाएत छैक जे तोरा ऊपर दुश्मनक बन्दूक सदिखन गोली बरसाबय लेल मुंह बौने रहतौक…. तोरा ओहि लेल तैयार रहय पड़तौक…. चोतबा बौआ बनमे त खून भेले बुझे…. खून करय लेल ओतय रहबाक छौक तखनहि तों देशक सुरक्षा कय सकबें… आर यैह बात मानसपटल मे ओकरा देशक बहादूर सेना मे शामिल करबैक छैक। ओ जनैत छैक जे अपन जान कखनहु जा सकैत अछि। मुदा ओ जान गमबय लेल नहि जान लय लेल ओतय तैयार, चुस्त-दुरुस्त आ होशियार बनिकय गेल छैक। मिथिलाक लोक जाहि दिनचर्या केँ जिबैत अछि, जतेक तरहक ट्रेनिंग ओकरा प्राप्त होएत छैक, हमरा से एकटा सेना सँ कम नहि बुझाएत अछि। हम २००% गारंटीक संग केकरो कहि सकैत छी जे मिथिलाक बच्चाक कुशाग्रता आ आन स्थानक बच्चाक कुशाग्रता मे बहुत फर्क होएत छैक। “प्राण हमर मिथिला” केर पोथी सँ एल्बम केर रूप मे निकलल एकटा गीत – हमर बौआ छै मिथिला के संतान गे बहिना, तोहर बौआ छौ अंग्रेजिया हैवान – एहि मे हम अपन यैह भाव केँ रखने छी। मिथिला मे बहुत बेजा आ दूसय योग्य बात रहितो एकर नीक बात आ गुण एतेक गहिंर आ चैतन्यपूर्ण छैक जे हमरा नीक लागब स्वाभाविके बुझाएत अछि। ओहिना याज्ञवल्क्य नहि कहने छथिन जे एतुका जीवनचर्या वेदविहित अछि।
हरिः हरः!!