रामायण केर प्रादुर्भाव आ रामकथाक लाभः रामचरितमानस सँ सीख – १७

रामचरितमानस सँ सीख केर शृंखलाबद्ध स्वाध्याय मैथिली जिन्दाबाद पर

स्वाध्यायः रामचरितमानस सँ सीख – १७

केना भेटल हमरा सबकेँ ई अति सरस रामायण – आउ ताकी एहि प्रश्नक समिचीन उत्तर। संगहि एहि रामकथा सँ हमरा लोकनि केँ कि-सब भेटैत अछि, देखी एक सँ बढिकय एक उपमा आ उपमेय – महाकवि तुलसीदासजी केँ हम बेर-बेर प्रणाम करैत छी जे साहित्यक रस सँ बोरिकय रामकथाक बारे – रामचरितमानस मे आख्यान सभ उद्धृत कएलनि अछि। मानव जीवनक महत्व बुझनिहार हरेक हिन्दू धर्मावलम्बी लेल राम केँ आदर्श मानबाक बात सर्वविदिते अछि, एतय रामकथाक महत्व पर जाहि तरहक प्रकाश देल गेल अछि तेकरा आत्मसात करैत हम सब बड़भागी बनब, ई निश्चित अछि।
 
१. रामायण मुनि याज्ञवल्क्यजी द्वारा मुनिश्रेष्ठ भरद्वाजजी केँ सुनायल गेल छल। सबसँ पहिने शिवजी एहि सुहाओन चरित्र केर रचना कएलनि। फेर कयकेँ ओ पार्वतीजी केँ सुनौलनि। तहिना शिवजी एहि सुन्दर चरित्र केँ रामभक्त व अधिकारी मानैत काकभुशुण्डिजी केँ देलनि। काकभुशुण्डिजी सँ याज्ञवल्क्यजी केँ प्राप्त भेलनि आर फेर ओ भरद्वाजजी केँ गाबिकय सुनौलनि। ई दुनू वक्ता आ श्रोता समान शीलवाला आ समदर्शी छथि एवम् श्रीहरि केर लीला केँ जनैत छथि।
 
२. याज्ञवल्क्यजी तथा भरद्वाजजी अपन ज्ञान सँ तिनू कालक बात केँ हथेलीपर राखल अमला जेकाँ प्रत्यक्ष जनैत छथि। आरो जे सुजान भगवान् केर लीलाक रहस्य जाननिहार हरिभक्त छथि ओ एहि चरित्र केँ नाना प्रकार सँ कहैत, सुनैत आ बुझैत छथि।
 
३. श्रीरामजीक कथाक वक्ता आ श्रोता दुनू ज्ञानक खजाना होएत छथिन, हम सब कलियुगक पाप सँ ग्रसित भेल महामूढ जड-जीव भले एकरा केना बुझि सकब! तथापि बेर-बेर सुनला सऽ थोड़-बहुत त बुझय मे आबिये जाएत अछि।
 
४. रामायण सन्देह, अज्ञान आ भ्रम केँ हरण करयवाली कथा थिक जे संसाररूपी नदी केँ पार करय लेल नाव समान अछि।
 
५. रामकथा पण्डित लोकनिकेँ विश्राम दयवाली, सब मनुष्य केँ प्रसन्न करयवाली आर कलियुगक पाप केँ नाश करयवाली होएछ। रामकथा कलियुगरूपी साँप लेल मोरनी (मयूर) होएछ आर विवेकरूपी अग्नि केँ प्रकट करबाक लेल अरणि (मंथन करयवाली लकड़ी) होएछ।
 
६. रामकथा कलियुग मे सब मनोरथ केँ पूर्ण करयवाली कामधेनु गौ थिक आर सज्जन सभक लेल सुन्दर संजीवनी जड़ी थिक। पृथ्वीपर ई अमृतक नदी थिक, जन्म-मरणरूपी भय (डर) केँ नाश करयवाली आर भ्रम (सन्देह) रूपी बेंग केँ खायवाली साँपिनी थिक।
 
७. रामकथा असुर सभक सेनाक नरक केँ नाश करयवाली आर साधुरूप देवताक कुल केर हित करयवाली पार्वती (दुर्गा) थिक। ई संत समाजरूपी क्षीरसागर केर लक्ष्मीजी केर समान थिक आर सम्पूर्ण विश्वक भार उठेबा मे अचल पृथ्वीक समान थिक।
 
८. यमदूत केर मुंहपर कारिख लगेबाक लेल ई एहि संसार मे यमुनाजीक समान अछि आर जीव केँ मुक्ति देबाक लेल मानू काशी समान अछि। ई श्रीरामजी केँ तुलसीक समान प्रिय अछि आर तुलसीदास केर लेल माय हुलसीक समान हृदय सँ हित करयवाली अछि।
 
९. ई रामकथा शिवजी केँ नर्मदाजीक समान प्रिय अछि, ई सब सिद्धि केर तथा सुख-सम्पत्तिक राशि थिक। सद्गुणरूपी देवता लोकनि केँ उत्पन्न आ पलान-पोषण करयवाली माय अदिति केर समान थिक।
 
१०. रामकथा मन्दाकिनी नदी थिक, सुन्दर (निर्मल) चित्त चित्रकूट थिक आर सुन्दर स्नेह टा एकर वन थिक, जाहि मे श्रीसीताराम जी विहार करैत छथि।
 
ॐ तत्सत्!!
 
हरिः हरः!!