स्वाध्यायः रामचरितमानस सँ सीख – १५
आइ पंद्रहम भागक रामचरितमानस सँ सीख मे महाकवि तुलसीदास अति रमणीय उपमा सहित भगवान राम केर नामक प्रभाव कहलैन अछि। भक्त व आस्थावान् लेल भगवन्नाम मात्र कल्याणक मार्ग थिक। नाम जप सँ किनका-किनका कोना-कोना लाभ भेटल, एहि तथ्य केँ उजागर करैत हमरो सब लेल कल्याणक मार्ग प्रशस्त करैत अछि आजुक ई महत्वपूर्ण स्वाध्याय सीख।
रामचरितमानस सँ सीख – १५
१. नामहि केर प्रसाद सँ शिवजी अविनाशी छथि आर अमङ्गल वेषधारी रहितो वैह मङ्गल केर राशि छथि।
२. शुकदेवजी और सनकादि सिद्ध, मुनि, योगीजन नामहि केर प्रसाद सँ ब्रह्मानन्द केँ भोगैत छथि।
३. नारदजी नामक प्रताप केँ जनैत छथि। हरि सम्पूर्ण संसार लेल प्रिय छथि। हरि केँ हर प्रिय छथिन, आर अहाँ (नारदजी) हरि आ हर दुनू लेल प्रिय छी।
४. नामहि केर जपला सँ प्रभुजी कृपा कएलनि आर प्रह्लाद भक्त शिरोमणि भऽ गेलाह। ध्रुवजी विमाता केर वचन सँ दुःखी भऽ हरिनाम केर जप कएलनि आर एहि जपक प्रताप सँ अचल-अनुपम स्थान प्राप्त कएलनि। हनुमान् जी यैह पवित्र नाम केर स्मरण कय केँ श्रीराम जी केँ अपना वश मे कय लेलनि।
५. नीच अजामिल गज और गणिका (वेश्या) सेहो श्रीहरि केर नाम प्रभाव सँ मुक्त भऽ गेल। हम (तुलसीदास) नामक बड़ाई कतय धरि कही, राम स्वयं नाम केर गुण केँ नहि गाबि सकैत छथि।
६. कलियुग मे रामक नाम कल्पतरु अर्थात् मनचाहा पदार्थ देबयवला आर कल्याणक निवास – मुक्ति केर घर थिक, जेकरा स्मरण कएला सँ भाँग सन निकृष्ट तुलसीदास तुलसीक समान बनि जाएत छथि।
७. मात्र कलियुगे केर बात नहि, चारू युग मे, तिनू काल मे आर तिनू लोक मे नाम केर जप कय केँ लोक शोकरहित भेल अछि। वेद, पुराण आ संत केर मत यैह छैक जे समस्त पुण्यक फल श्रीरामजीमे अथवा राम नाम मे प्रेम होयब छैक।
८. पहिने सत्ययुग मे ध्यान सँ, दोसर त्रेता युग मे यज्ञ सँ, तेसर द्वापर युग मे पूजन सँ भगवान् प्रसन्न होएत रहलाह, मुदा चारिम कलियुग मे मनुष्य एहि तीन चीज केँ करय नहि चाहैत अछि, अतः कलियुग मे नाम मात्र कल्पवृक्ष थिक जे स्मरण करिते समस्त जंजाल केर नाश कय दैत अछि।
९. कलियुग मे यैह राम नाम मनोवाञ्छित फल देबयवला अछि, परलोक केर परम हितैषी आर एहि इहलोक केर माता-पिता थिक। यानि परलोक मे भगवान् केर परमधाम दैत अछि आर एहि लोक मे माता-पिता समान सब तरहें पालन-पोषण आर रक्षण करैत अछि।
१०. कलियुग मे नहि त कर्म छैक, नहिये भक्ति छैक आर नहिये ज्ञान छैक, राम नाम केवल आधार छैक। कपट केर खान कलियुगरूपी कालनेमि केँ मारबाक लेल राम नाम टा बुद्धिमान आर हनुमान मात्र समर्थ छथि।
११. राम नाम श्री नृसिंह भगवान् छथि, कलियुग हिरण्यकशिपु थिक, आर जप कएनिहार प्रह्लादक समान अछि। यैह रामनाम देवताक शत्रु (कलियुगरूपी दैत्य) केँ मारिकय जप करनिहारक रक्षा करता।
हरिः हरः!!