मिथिला मे जैविक कृषि पर आधारित औद्योगिक क्रान्तिक संभावनाः मनीष आनन्द

साक्षात्कारः युवा उद्यमी मनीष आनन्द संग

मिथिलाक भूमि देवभूमि एहि लेल मानल गेलैक अछि जे एतय दलदल सँ बसय योग्य भूमि निर्माण यज्ञक माध्यमे आ सेहो सिद्ध माधव विदेह द्वारा पृथ्वीक कल्याणक निमित्त ऋषि-मुनि-ज्ञानीजन केर निवास मे कोनो तरहक तकलीफ नहि हो ताहि परिकल्पनाक संग! जँ परिकल्पना ठोस हो, आधार यज्ञ समान त्यागपूर्ण हवन केर माध्यम स्वयं परमपिता परमात्मा केर आह्वान सँ राखल जायत – त ओतुका प्रकृति, क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा सब कतेक शुद्ध होयत ई स्वतः अनुमान लगायल जा सकैत छैक। हमर उमेर जेना-जेना बीतल जा रहल अछि, तेना-तेना भीतरक सूक्ष्म तत्त्व हमरा ई जनतब दय रहल अछि जे अहाँक जन्म मिथिला मे किछु खास प्रयोजन लेल भेल अछि, ताहि मे एकटा ई अछि जे मिथिला मे आइयो ३३ कोटि देवताक प्रतिनिधि सज्जन पुरुष ओ नारी मनुष्य सहित अन्य-अन्य रूप मे मौजूद छथि, अहाँ हुनका सब केँ ताकू। जतेक हम ताकि सकब से एक पक्ष होयत, बाकी हमर संतति, मित्र, बन्धु आदि ताकैथ यैह हमर आत्मा बेर-बेर कहैत अछि।

 
एम्हर नौकरी-चाकरी कय अपन जीवनयापन मे लागल रहबाक कारणे स्रोत सीमित अछि एहि खोज केँ पूरा करबाक, तथापि सोशल मीडिया आ इलेक्ट्रानिक मीडिया आदिक सहयोग सँ हमरा लोकनि गाम-गाम केर सब कर्मठ संतान केर योगदान पर विमर्श कय सकैत छी, हुनकर परिचय निकालि सकैत छी आर आगामी पीढी लेल एकटा अनुपम उदाहरणक रूप मे हुनक जीवन सँ सम्बन्धित विभिन्न पक्ष पर विस्तार सँ जानकारी दय सकैत छी। एहि क्रम मे काल्हि भेंट भेलाह अछि एक कर्मठ युवा – दक्ष आ विज्ञ युवा – खूब पढल-लिखल आ अनुभवी – उचित कार्यानुभवक संग आ सब सँ बेसी जे अपन माटि-पानि-मूल्य केँ सर्वोपरि माननिहार युवा मनीष आनन्द झा, ग्राम जरैल, हाल दिल्ली, स्वरोजगारी उद्योगी एवम् जैविक कृषि केर जानकार सर्जक सेहो। घंटों बात भेल मनीष आनन्द संग। विभिन्न पक्ष पर हिनका सँ नव-नव जानकारी सब भेटल। केन्द्र मे छल मिथिलाक मखान, एकर महत्व, विश्व परिवेश मे व्यवसायिक महत्व, प्रशोधित तैयारी खाद्यक रूप मे प्रयोग, पौष्टिक आहार केर रूप मे प्रयोग, धार्मिक आस्था सँ जुड़ल विभिन्न संप्रदायक सोच आर मखानक खेती, उद्योग, इत्यादि। आउ, पढैत छी हिनकर साक्षात्कार, मैथिली जिन्दाबादपर एक्सक्लुसिव।
 
हमः एखनहि फेसबुक पर अहाँक एक सार्थक जनतबवला पोस्ट पढलहुँ।
आर फेसबुक पर अहाँ सँ नम्बर लय साक्षात्कारक विषय मे किछु प्रश्न राखब, जेकर उत्तर पाबि एकटा साक्षात्कार प्रकाशित करब।
 
मनीषः जी खुशी केर बात।
 
हमः मैथिली संचारकर्म मे महत्वपूर्ण जनतब सब देब हमर उद्देश्य अछि, अपन लोक मे हेरायल आत्मविश्वास केँ लौटायब लक्ष्य!
 
मनिषः जी सही काज क़ रहल छी। हमर उद्देश्य अइछ मिथिला में उद्योग आबै। त अपने शुरू केलौ।
 
हमः सबसँ पहिने त अपन परिचय मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक केँ कोना देबैन?
 
मनीषः मिथिलाक बेटा छी। गाम जरैल, मातृक लोहा कप्सिया, पिता स्व. लीलाकान्त झा, रिजर्व बैंक अफ इंडिया मे अधिकारी छलाह, पहिने पटना आ १९९२ मे दिल्ली ट्रान्सफर भेलनि। हमर जन्म पटना मे आ प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा सेहो पटना मे भेल। एखन कर्मभूमि दिल्ली अछि। यूके बेस्ड एक एमएनसी पिलकिंगटन केर कन्ट्री मैनेजर बनि ८ वर्ष कार्य केलहुँ, लगभग ३५-४० देश मे घूमलहुँ। पुनः विभिन्न नौकरी आ पेशाक लेल यूके, यूएई, चीन, हँगकँग, आदि देश मे सेहो रहलहुँ। मुख्य रूप सँ बिजनेस डेवलपमेन्ट, लिगल इस्यूज, मार्केट डेवलपमेन्ट, आर्किटेक्ट & बिल्डर्स सँ जुड़ल परियोजना पर योगदान देनाय, ई सब कार्य कएने छी। जर्मन केर एक एमएनसी मे सेहो किछु दिन काज केलहुँ जतय आन्तरिक राजनीति बेसी देखि मोन टूटल आर फेर स्वतंत्र भऽ किछु समय लेल बाहरक कम्पनी सब केँ भारत मे लगानी करबा सँ पूर्व जे अध्ययन आ प्रतिवेदन सब चाही ताहि मे अपन नोडल एजेन्सी चलेलहुँ। संगहि, हमर अपन ट्रेडिंग केर काज जाहि मे नन-स्लिप प्रोडक्ट्स जे पैघ-पैघ बिल्डिंग सब मे सीढी, बाथरूम आ फर्श आदि पर ट्रीट करैत उपयोग कएल जाएछ से चलबैत छी।
 
हमः जैविक कृषि कि होएत छैक?
 
मनीषः अपना सब ओतय पहिने बाबू-बाबा लोकनि आलूक खेती करथिन, जे पूर्ण प्राकृतिक संसाधनक प्रयोग सँ जतबे उपजैत छलैक ओ जैविक पद्धति छलैक। ओहि समयक आलू केँ ओहिना घरे मे भंडारण कय देल जाएत छलैक जे सालों भरि प्रयोग करय योग्य रहैत छलैक। ओहि मे कीड़ा नहि लगैत छलैक, अथवा कहि सकैत छी जे बहुत कम संख्या मे सड़य-गलय। उपजाक मात्र भले कम होएक, मुदा गुणस्तर काफी उच्च होएक। आब जमीन तैयारी करय सँ लैत बीजक बोवाइ, सिंचाई, कटाई तक केर समय धरि विभिन्न प्रकारक खाद आ कीटनाशक दबाइ केर प्रयोग कएल जाएछ। यूरिया, पोटाश, सल्फेट आदि विभिन्न केमिकल फर्टिलाइजर्स केर सहारा सँ जमीनक प्राकृतिक उर्वरकता केँ प्रभावित कय केँ जे खेती कएल जाएछ आर ताहि सँ जे फसल उपजैत अछि एकर शेल्फ लाइफ अत्यल्प होएछ। उपजा बढल मुदा गुणस्तर घटल। मनुष्य मे एहि तरहक केमिकली मोडिफाइड उपजाक अन्न, तरकारी, फल सभक सेवन सँ बहुत अधिक बीमारीक प्रकोप से बढि रहल छैक। जैविक कृषि पद्धति पर धीरे-धीरे लौटबाक ट्रेन्ड विश्व भरि मे बनि रहलैक अछि।
 
हमः मखानक खेतीपर अहाँक ध्यान कोना गेल?
 
मनीषः – अपन माटि-पानि-संस्कार पर आत्मगौरव अछि। जन्म हलांकि पटना मे भेल, बाबूजी रिजर्व बैंक अफ इंडियाक अधिकारी छलाह। मुदा गाम सँ जुड़ाव भले आम खाय के बहन्ने लेकिन लागल रहल। वर्तमान समय मे अपन व्यवसाय करैत छी। जैविक कृषि एवं उद्योग-व्यवसाय मे लागल छी। हाल दिल्ली मे कर्मक्षेत्र अछि। गाम जरैल मे सेहो अपन औद्योगिक प्रतिष्ठानक संग मखानक खेती एवं प्रशोधन कार्य करैत छी। अपन मिथिलाक अन्य कृषि उत्पाद जाहि मे तीसी एवं मूंग केर उपजा सँ लैत प्रशोधन कार्य करब हमर लक्ष्य अछि।
 
हम जाहि मल्टी नेशनल कंपनी मे काज करैत रही ओतय एहि तरहक बहुत रास प्रोजेक्ट सब चलैत छलैक। बिजनेस डिवलपमेन्ट लेल जैड़ सँ सोचय पड़ैत छैक। गाँव एबा-जेबा के क्रम मे बिजनेस प्रोस्पेक्ट्स देखलहुँ – ३ टा प्रोडक्ट मखान, तीसी (अलसी) मिथिलाक विशिष्ट – न्युट्रीशनल वैल्यू हाई, मुंग सेहो देखय मे नीक नहि मुदा न्युट्रीशनल वैल्यू बहुत उच्चस्तरीय – अपन मिथिलाक विभिन्न उत्पाद मे सेहो बहुत पैघ सामर्थ्य देखलियैक। मखानक पौष्टिकता आ प्रयोगक विविधता, स्वादक स्वीकार्यता बहुत प्रभावित केलक। वर्तमान युग मे विशुद्धताक कमी तेजी सँ खाद्य वस्तु केँ प्रभावित करैत देखिये रहल छी। एहेन युग मे मिथिलाक मखान विश्व समुदाय लेल उत्कृष्ट उदाहरण बनतैक ई बात दिमाग मे आयल। आर नौकरी-चाकरी लोक कतेक करय! बस, अपन काज शुरु करबाक निर्णय लेलहुँ आर ताहि मे मखानक जैविक खेती करैत पैघ-पैघ फूड कंपनी केँ बल्क मे सप्लाइ आरम्भ केलहुँ।
 
हमः मिथिला मे अहाँ सनक पढल-लिखल आ अनुभवी युवा शहरक सुख-सुविधापूर्ण जीवनशैली केँ छोड़ि वापस एबाक सोच केना बनेलियैक?
 
मनीषः पहिने मिथिलाक महत्व बेसी नहि बुझलियैक, मुदा बाद मे बाबूजीक सिखायल बहुत रास बात हुनका बाद आर माय केर प्रेरणा सँ बुझय मे आयल। २००८ मे पिताजीक असामयिक देहान्त भेलनि, माँ सदैव गामक विपन्नता दिशि प्रभावित करयवला शिक्षा दैत रहली। आर बाबा छलाह जे संन्यासी जीवन मे प्रवेश कय गेल छलाह। जनकपुरधाम मे तीर्थ करैत संन्यासीक रूप मे रहैथ। बाबूजी व ग्रामीण सब केँ बुझेलाक बाद गामहि मे लौटलाह मुदा घर-समाज सँ दूर एकटा आश्रम बनाकय अपन जीवन बितौलनि। माँ केर प्रेरणा सँ ओहि कुटी केँ जीर्णोद्धार करबाक विचार हमरा तिनू भाइ केँ भेटल। आर एहि क्रम मे २०११ सँ गाम-समाज सँ नजदीक होयबाक अवसर प्राप्त भेल। २०१४ धरि ओतय आश्रम बनिकय तैयार भऽ गेल। संगहि अपनो मकान शहरी परिवेश मे रमल धिया-पुताक सब आवश्यकता केँ ध्यान मे रखैत बनेलहुँ। एहि बीच गामक आर्थिक अवस्था मे छुपल रहल कतेको संभावना पर सेहो ध्यान गेल। अपना पास रहल बौद्धिकताक समुचित प्रयोग जँ मिथिलाक भूमिपर कएल जाय त मिथिलाक आर्थिक अवस्था मे उल्लेखनीय प्रगति हेतैक, लोक जे आइ १५-२० हजार टकाक नौकरी करय लेल अपन घर सँ हजारों किलोमीटर दूर जा कय काज करैत अछि, ओकरा गामहि मे रोजगारक कमी नहि रहतैक, ई हमर मोन बेर-बेर कहि रहल अछि आर हम ताहि जोगार मे लागलो छी।
 
हमः कि बहुउद्देश्यीय कंपनी सब सेहो गामे-घरक संस्कार सँ प्रभावित छैक?
 
मनीषः गाम-घर सभक मूल थिकैक। शहरक निर्माण त गामहि केर लोक विशेष प्रयोजन हेतु बाजार निर्माणक क्रम मे केलक। हमर अपन पेशा सँ बहुद्देश्यीय कंपनीक बिजनेस डिवलपमेन्ट मैनेजर होयबाक अनुभव गामक परिवेश केर अध्ययन मे बहुत काज आयल। जाहि विषय लेल लगभग ३५ टा देश घूमिकय अपन नियोक्ता कंपनी लेल काज केलहुँ, तेकर जैड़ अपने गाम मे भेटल हमरा आर आइ हम अपना केँ एक सफल उद्यमी बना सकलहुँ अछि से गामे-घरक मुख्य जुड़ावक कारण। एतय दिल्ली क्षेत्र मे फरीदाबाद मे सब सुविधा संपन्न घर मे रहबाक आदति हमरा धिया-पुता केँ पड़ि गेल छलैक, त गाम मे सेहो सब सुविधा सहितक मकान बनायब हमर बाध्यता अछि, नहि त धियापुता जाय लेल मानबे नहि करत। कहबाक तात्पर्य ई जे गाम-घर सँ बिना जुड़ने मल्टी नेशनल कंपनी केर अवधारणा नहि बनि सकैत छैक।
 
हमः बाबाक कुटी पर कि सब केलियैक?
 
मनीषः माँ केर उचित सल्लाह आ सुझाव, संगहि बाबा संग बाबू व परिवारक जुड़ाव आ हुनकर त्याग आदि सँ प्रेरित भऽ बाबाक कुटीक जीर्णोद्धार करबाक इच्छा छल। गाम गेनाइयो मूलतः यैह कारण सँ भेल। बाबूजी बाहरे रहि जेबाक कारणे गाम मे बहुत काज नहि कय सकल छलाह। हमरा तिनू भाइ केर शिक्षा-दीक्षा आ परिवारक भरण-पोषणक मुख्य दायित्वक निर्वाह एक सरकारी अधिकारी लेल काफी भेलैक। तखन हम सब बाबाक कुटीपर भव्य मन्दिर आ बेशकीमती – आकर्षक मूर्ति केर स्थापना करेलहुँ ओतय। एक दर्शनीय स्थल बनि गेल अछि ई कुटी जरैल मे। मन्दिर पर पुस्तकालय सेहो बनेबाक योजना अछि। निरन्तर किछु न किछु सार्थक योजनाक संग समाजक हित मे कार्य करैत रहब से प्रतिबद्ध छी।
 
हमः कय भैयारी छी? आर सब कतय छथि? माँ, बाबूजी, अहाँक धियापुता?
 
मनीषः हम सब तीन भैयारी छी। सब सँ जेठ सीओओ, गार्मेन्ट मैनुफैक्चरिंग जोर्डन मे छथि। छोट भाइ केर एडवर्टाइजिंग एण्ड ब्रान्डिंग कंपनी छन्हि। सब कियो सुखी-सम्पन्न छी। अपन मूल गाम ओ परिजन संग सब केँ ओतबे जुड़ाव अछि। २००८ मे पापा स्वर्गवास भऽ गेलाह। पापा २ भाइ छलाह। माँ एखन गाँव मे छथि। पहिने गाँव मे घर नहि छल, घर नहि रहला स गाँव जेबाक इच्छा कम होएत छल। माँ कहली जे कम सँ कम २ टा कोठरीक घर बना लियऽ। एहि तरहें हम सब घर बनेबाक विचार केलहुँ आ गाम सँ जुड़ि सकलहुँ।
 
गाम सँ कटि गेला पर बाहरी लोकक मन मे भारी दारुण होएत छैक। बाबूजी बाद मे बहुत पछतेला जे गाम मे घर नहि बना सकलहुँ। तैँ हम अपन बच्चा सब केँ एखनहि सऽ गाम सँ जोड़ने छी। हमर बच्चा सब त जाइयो लेल नहि चाहय…. जे परिवेश शहर मे भेट गेलैक ताहि स कम नहि – फरीदाबाद मे रहैत छी ताहि हिसाबक घर बनेलहुँ… जेनरेटर, गाड़ी, रिसौर्ट्स जेकाँ बनेलहुँ बुझू।
 
हमः बहुत प्रसन्नता भेटल जे युवा श्रेणीक एक सफल उद्यमीक रूप मे सोशल मीडिया पर अपन उत्पादक प्रचार आ प्रसार करैत बिक्री-वितरण लेल सेहो उचित प्रयास कय रहल छी। सफलताक लेल कि सब करब आवश्यक छैक?
 
मनीषः सोशल मीडिया पर झूठो क जय मैथिली जय मिथिला कहनिहारक कमी नहि अछि। यथार्थतः जनक समान कर्मठ बनिये कय मिथिलाक जय-जयकार होयत। हम अपना सन-सन लाखों युवा केँ सोशल मीडियाक दुरुपयोग करैत देखि रहल छी, गप लंबा-लंबा देता मुदा छोटो-छोटो डेग बढबैत सच मे मिथिलाक जयकारा करता से नगण्य उदाहरण अछि।
 
सफल उद्यमी बनबाक लेल अन्डर करेन्ट तीक्ष्ण आ प्रभावकारी राखय पड़ैत छैक। काफी आर&डी – रिसर्च आर डेवलपमेन्ट करबाक जरुरत होएत छैक। पूँजी विनियोजन आजुक अर्थ युग मे बड पैघ चुनौती नहि छैक। मुदा निठल्ला संसार लेल खाली दोसरक प्रगति सँ डाह करब अपन मिथिलाक भयानक कमजोरी थिक। आजुक प्रतिस्पर्धी ग्लोबल वर्ल्ड मे अहाँ ई सब गप मारैत एक-दोसरक टांग घिचयवला प्रवृत्ति सँ एको डेग सफल मंजिल दिशि नहि जा सकैत छी।
 
अपन मिथिला मे बहुत रास सकारात्मक पक्ष सब भरल अछि। जरुरत छैक जे हम सब अपन रुचि अनुरूप किछु करबाक लेल दृढ-प्रतिज्ञ बनी। उदाहरण लेल जाउ मखनाहि केर। मखानक उपयोगिता अपन मिथिला मे बस किछेक अवसर जेना कोजगरा, व्रतक फलाहारी, पूजाक प्रसाद आदिक रूप मे देखल जाएछ। परञ्च अपन वृहद् मस्तिष्क सँ सोचला पर एकर व्यवसायिक स्तर पर उपयोगिताक पता चलैत छैक। उपभोक्ताक मांग आर ताहि मे मखानक उपयोगिताक विविधता – फ्लेवर्ड मखाना – इन्सटैन्ट मखाना मिल, आदि अनेक तरहें बाजार मे एकरा उतारल जा चुकल छैक।
 
हमः अहाँक उद्योग एखन मखानक कोन-कोन रूप मे बाजार करैत छैक?
 
मनीषः सब सँ पहिने त मखानक खेती कएल जाएछ। एकर रीठा (कारी ठोस बियाक रूप) केँ फेर संग्रह कएल जाएत छैक। सफाई, छँटाई आ अलग-अलग आकार ओ स्तरक बोरी-बन्हाइ कएल जाएत छैक। आब मखानक बल्क डिमान्ड पैघ-पैघ एमएनसी द्वारा होवय लागल छैक। हमर प्रतिष्ठान मिथिला कन्ज्युमर गुड्स प्रा. लि. द्वारा आधा सँ बेसी बिक्री एहि फार्म मे अपन ग्राहक सब केँ कय देल जाएछ। बाकी, हम सब स्वयं मखान भूजैत छी आर ओकरा अलग-अलग फ्लेवर केँ बनेबाक लेल सिजनिंग (मसाला) ट्रीटमेन्ट करैत छी, फेर पैकिंग कय केँ उपभोक्ता लेल बाजार मे मांग अनुरूप आपूर्ति करैत छी।
 
हमः मखानक पैकेज्ड फूड कन्सेप्ट मे अन्य स्नैक्स जेकाँ लाइफ बढेबाक लेल प्रिजर्वेटिव आदि सेहो उपयोग करैत छी कि?
 
मनीषः ओना त मखान केर प्राकृतिक शेल्फ-लाइफ (खाय योग्य अबधि) काफी लंबा समय धरि रहैत छैक। परञ्च वातावरणीय आर्द्रता (म्वाइस्चर) गेन करबाक गुण रहबाक कारणे कीड़ा लगबाक संभावना सेहो रहैत छैक। ताहि हेतु एकरा फ्राई कय केँ क्रिस्पी बना फेर अलग-अलग मसाला (स्वाद) केर प्रयोग कयकेँ नाइट्रोजन फिल्ड रैपर मे पैक कएल जाएत छैक। एखन धरि हमरा लोकनि १२ महीनाक शेल्फ लाइफ तक सफल भऽ चुकल छी, ३६ महीना धरिक लक्ष्य अछि।
 
हमः मखानाक पैघ स्तर पर कोनो उपयोग कएल जेबाक उदाहरण दियौक त?
 
मनीषः आइपीएल मैच मे पुणे टीम केर एक लाभार्थी गोयंकाजी नया मखाना लांच केलनि अछि। खिलाड़ी सभक दाहिना कंधा पर लोगो प्रिन्ट छैक। १०-१५ हजार करोड़ लगानी कय रहला अछि। डीएस ग्रुप, हल्दीराम, जेहेन विशाल कंपनी सब एहि क्षेत्र मे प्रवेश कय चुकल अछि। हम स्वयं अमेरिकाक वालमार्ट आ फ्युचर ग्रुप संग सम्पर्क मे छी।
 
हमः मखानाक नव स्वरूप सब केहेन छैक?
 
मनीषः चोकोलेट मखाना, जेना कैडबरीक मिठाई ऊपर स चोकोलेट कोटिंग करैत छैक तहिना मखानक ऊपर चोकोलेट कोट केलियैक अछि। व्हाइट, मिल्क आ डार्क तीन कैटेगरी – क्रन्ची मखाना केर ऊपर ई सब ट्रीटमेन्ट खेनिहारक मुंह मे विलक्षण स्वाद दैत छैक।
 
हमः एकर कारखाना वृहत् स्तर पर सेहो खोलने छी कि?
 
मनीषः एखन उत्पादन क्षमता कम आ बेसी सेमी-फिनिश्ड बिक्री होयबाक कारण बड पैघ कारखाना नहि अछि। मुदा घरेलू स्तर मे नीक गतिविधि चलि रहल अछि। लार्ज स्केलपर फैक्ट्री सेट करबाक कोशिश कय रहल छी।
 
हमः मखानक खेती जतेक अपने करैत छी ताहि सँ सन्तुष्ट छी कि?
 
मनीषः एखन पुर्णियां, कटिहार मुख्य केन्द्र अछि मखान आपूर्तिक। दरभंगा-मधुबनी अपन अकड़ मे नोक्सान कय रहल अछि। सरकार द्वारा मखाना केँ सूपर फूड केर कैटेगरी मे मान्यता देल गेल अछि आर सामुदायिक स्तरपर एकर खेती मे बढावा देबाक जरुरत अछि। मखानाक विस्तृत प्रयोग पर डा. अनिल बड नीक शोधपत्र लिखने छथि। भगवानक खाना – बच्चाक जन्म सँ लैत मनुष्यक मृत्यु धरि मे एकर प्रयोग वृहत् अछि। मुसलमान सब सेहो खाएत छथि। अमेरिका एकरा हर्बल फूड केर क्लास १ प्रोडक्ट मानने अछि। बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, आसाम, यूपी, नर्थ ईस्ट, – चारि टा मुख्य केन्द्र – भारत भरि मे एकर खेती लोकप्रियता हासिल कय रहल अछि। एहि दिशा मे मिथिलावासी अकड़ छोड़ि खेतीक मात्रा बढेबाक दिशि ध्यान देता त ई उद्योग आरो बढत।
 
हमः मिथिलाक लोकमानस मे एहि दिशा मे जनजागरणक आवश्यकता अछि कि?
 
मनीषः मिथिलाक लोक केँ अपने बुझबाक चाही जे हमरा लोकनि मिथिलादेश कहाइत रही। हमरा सभक माछ, मखान आ पान ओहिना नहि लोकप्रियता हासिल केने अछि। आइ रोजगार लेल पलायन कय रहल छी। एक गाम मे जयवारी भोज करय लेल पहिने जतेक मन लगैत रहैक ततबे अन्न मे आइ कतेको गाम केर लोककेँ जयवारी भोज खुआयल जा सकैत अछि। मतलब साफ छैक। पलायन सँ बचेबाक लेल आर्थिक समृद्धिक सब संभावनापर काज करय पड़त।
 
हमः अहाँक भविष्यक योजना कि सब अछि?
 
मनीषः भविष्यक योजना, गाम मे रोजगारीक अवसर, गामक लोक सँ नकारात्मकता केँ हँटेबाक लेल संघर्ष। वर्तमान प्रतिष्ठानक गतिविधि केँ आरो विस्तार दैत आगू बढब।
 
हमः अन्त मे मैथिली जिन्दाबाद केर पाठक लेल किछु सन्देश देबैक? 
 

मनीषः गाम में व्यापार केनाइ हमर मजबूरी नै वरण रुचि थिक। हमर मत अछि जे खेती स नीक व्यापार अखनो नहि छैक। Change mindset to change your future. मिथिला क्षेत्र में हम कृषि आधारित व्यापार केर बहुत संभावना देखैत छी। जहिया तक जे नै शुरू केने छैथ, तहिये तक देर छैक। हमर कंपनी – Mithila Consumer Goods Pvt Ltd केर फ़ूड प्रोडक्ट्स डिवीज़न मखान केर व्यावसायिक उत्पादन क रहल अछि।मखान बिज़नेस केर हम सब 4 हिस्सा में देखैत छी। 1. Farming 2. Processing 3. Flavouring 4. Branding & Retailing. सम्प्रति मात्र हमर कंपनी इ चारु काज क रहल अछि। मिथिलाक आदिकाल सँ जे परंपरा अध्ययन करैत छी ताहि मे जैविक कृषि – आर्गेनिक फार्मिंग केर महत्व विश्व समुदाय लेल अनुकरणीय अछि। यदि राज्य सरकार चाहय त एहि ठामक युवा केँ दक्ष बनाकय एहि क्षेत्र मे क्रान्ति आनल जा सकैत अछि। एतुका भौगोलिक बनावट आ हिमालय सँ आबि रहल प्रचूर जलस्रोत, पाँक माटिक खेत मे वितरण, आदिक जे इतिहास अछि ताहि दिशा मे सेहो काज करबाक बड पैघ आवश्यकता अछि। एहि ठामक जल-कृषि, फल-कृषि आ अन्न-कृषि सब किछु अनुपम अछि। हताशा केँ दूर करू, अपन गाम केँ फेर सँ सजाउ। एतय औद्योगिक क्रान्तिक सब पूर्वाधार उपलब्ध अछि, बस इच्छाशक्तिक घोर कमी, ताहि तरफ युवा तुरक सक्षम लोक ध्यान दैथ।