एक प्रयास तऽ करिकय देखू
– नारायण मधुशाला
घर घर सँ दहेज भगौने
अगर बचैत अछि घरक इज्जत
तऽ दहेज हँटाबय लेल हम सब कियैक पछुआयल छी
घर घर मे किया हमहीं सब नुकायल छी
आगा बढू यौ भैया आगा बढू
आगा बढू हे बहिना आगा बढू
सामाजिक कैंसर भगाबय लेल
शुभ काजक शुरुआत करु
बात अपन संकल्पक सुनि कियैक एना हुकहुकायल छी
घर घरमे किया हमहीँ सब नुकायल छी
चारुभर बुझा रहल यऽ
अन्धविश्वासमे भिजल-तितल
सभक ई मोनक अँगना
कतेक बहिनक घर उजैड़ गेल
फुटि गेल कतेक हाथक कँगना
एना लोथ भऽ बैसलमे कियैक सुसतायल छी
घर घरमे किया हमहीँ सब नुकायल छी
अल्प हँसी खुशीमेँ जिबैत
ओकरा सबहक अछि दम फरफराइत
पुरुष केना सब हँसि रहल छी
महिलेक खातिर किया अन्हरिया राइत
जादुक करु किछु काज एहन जे बुझाय लोकोकेँ हमसब नहि पछुआयल छी
घर घरमे किया हमहीँ सब नुकायल छी