ज्योतिष मणि शंकर ठाकुर, वाराणसी। मैथिली जिन्दाबाद, अप्रैल ३०, २०१५.
हम सब जतय रहैत छी ओतय कतेको एहेन शक्ति होइत छैक जे देखाइ नहि पड़ैत अछि मुदा बेसीकाल हमरा सब पर प्रतिकूल प्रभाव पारैत रहैत अछि जाहि सँ हमरा लोकनिक जीवन अस्त-व्यस्त आ दिशाहीन भऽ जाइत अछि। यैह अदृश्य शक्तिकेँ आम भाषा मे ऊपरी बाधाक संज्ञा देल गेल अछि। भारतीय ज्योतिष मे एहेन किछु योगक उल्लेख अछि जेकर घटित होयबाक स्थिति मे ई शक्ति सक्रिय होइत अछि आर ताहि योगक जातकक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पारैत अछि। एतय ऊपरी बाधाक किछु एहने प्रमुख योग तथा ओहि सँ बचबाक उपायक उल्लेख प्रस्तुत अछि:
* लग्न मे राहु तथा चंद्र आ त्रिकोण मे मंगल व शनि हो, तऽ जातक केँ प्रेत प्रदत्त पीड़ा होइत अछि।
* चंद्र पाप ग्रह सँ दृष्ट हो, शनि सप्तम मे हो तथा कोनो शुभ ग्रह चर राशि मे हो, तऽ भूत सँ पीड़ा होइत अछि।
* शनि तथा राहु लग्न मे हो, तऽ जातक केँ भूत सतबैत अछि।
* लग्नेश या चंद्र सँ युक्त राहु लग्न मे हो, तऽ प्रेत योग होइत अछि।
* यदि दशम भाव केर स्वामी आठम या एकादश भाव मे हो और संबंधित भावक स्वामी सँ दृष्ट हो, तऽ ओहेन स्थिति मे सेहो प्रेत योग होइत अछि।
उक्त योग सबहक जातक केर आचरण और व्यवहार मे बदलाव आनय लगैत अछि। एना मे ओहि योग सबहक दुष्प्रभाव सँ मुक्ति हेतु निम्नलिखित उपाय करबाक चाही:
*संकट निवारण हेतु पान, पुष्प, फल, हरैद, पायस एवं इलाइचीक हवन सँ दुर्गासप्तशतीक बारहमा अध्याय केर तेरहम श्लोक
“सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः॥” एहि मंत्र सँ संपुटित नवचंडीक प्रयोग करी।
*दुर्गा सप्तशती के चारीम अध्यायक चौबीसम श्लोक:
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥
केर पाठ करैत पलाशक समिधा सँ घृत आर सीलाभिषक आहुत दी, कष्ट सँ रक्षा होयत।
*शक्ति तथा सफलताक प्राप्ति हेतु एगारहम अध्यायक एगारहम श्लोक:
सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तु ते॥
केर उच्चारण करैत घी केर आहुति दी।
*शत्रु शमन हेतु सरिसो, काली मिर्च, दालचीनी तथा जायफल केर हवि दैत एगारहम अध्याय केर उनचालीसम श्लोक:
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्॥
केर संपुटित प्रयोग तथा हवन करी।
किछु अन्य उपाय
*महामृत्युंजय मंत्र:
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
केर विधिवत् अनुष्ठान करी। जपक पश्चात् हवन अवश्य करी।
*महाकाली या भद्रकाली माता केर मंत्रानुष्ठान करी और कार्यस्थल या घर पर हवन करी।
*गुग्गुल केर धूप दैत हनुमान चालीसा तथा बजरंग बाण केर पाठ करी।
*उग्र देवी या देवताक मंदिर मे नियमित श्रमदान करी, सेवा आदि दी तथा साफ सफाई करी।
*यदि घरक छोटे बच्चा पीड़ित हो, तऽ मोरक पाँखि केँ पूरा जराकय ओकर बिभूत बना ली और ओहि बिभूत सँ बच्चा केँ नियमित रूप सँ तिलक लगाबी तथा कनेक बिभूत चटा सेहो दी।
*घर केर महिला यदि कोनो समस्या या बाधा सँ पीड़ित हो, तऽ निम्नलिखित प्रयोग करी:-
सवा पाव मेंहदी केर तीन पैकेट (लगभग सौ ग्राम प्रति पैकेट) बनाबी और तीनू पैकेट लैत काली मंदिर या शस्त्र धारण केने कोनो देवीक मूर्ति वाला मंदिर मे जाय। ओतय दक्षिणा, पत्र, पुष्प, फल, मिठाई, सिंदूर तथा वस्त्रक संग मेंहदीक उक्त तिनू पैकेट चढ़ा दी। फेर भगवती सँ कष्ट निवारण केर प्रार्थना करी और एक फल तथा मेंहदीक दुइ पैकेट वापस लऽ किछु धनक संग कोनो भिखारिन या अपन घरक आसपास सफाई करयवाली केँ दी। फेर ओकरा सँ मेंहदीक एक पैकेट वापस लऽ ली और ओकरा घोरिकय पीड़ित महिलाक हाथ व पैर मे लगा दी। पीड़िताक पीड़ा मेंहदीक रंग उतरबाक संग-संग धीरे-धीरे समाप्त भऽ जायत।
व्यापार स्थल पर कोनो तरहक समस्या हो तऽ ओतय श्वेतार्क गणपति तथा एकाक्षी श्रीफल केर स्थापना करी। फेर नियमित रूप सँ धूप, दीप आदि सँ पूजा करी तथा सप्ताह मे एक बेर मिठाई केर भोग लगाकय प्रसाद यथासंभव अधिक सँ अधिक लोक केँ बांटी। भोग नित्य प्रति सेहो लगा सकैत छी।
कामण प्रयोग सँ होयवला दुष्प्रभाव सँ बचबाक लेल दक्षिणावर्ती शंखक जोड़ाक स्थापना करी तथा एहि मे जल भरि कय सर्वत्र छिड़काव करैत रही।
हानि सँ बचाव तथा लाभ एवं बरकत लेल गोरोचन, लाक्षा, कुंकुम, सिंदूर, कपूर, घी, चीनी और शहद केर मिश्रण सँ अष्टगंध बनाकय ओकर स्याही सँ ऊपर चित्रित पंचदशी यंत्र बनाबी तथा देवीक १०८ नाम केँ लिखकय पाठ करी।
बाधा मुक्तिक लेल :
कोनो तरहक बाधा सँ मुक्तिक लिए मत्स्य यंत्र से युक्त बाधामुक्ति यंत्रक स्थापना करैत ओकर नियमित रूप सँ पूजन-दर्शन करी।
अकारण परेशान करनिहार व्यक्ति सँ शीघ्र छुटकारा पेबाक लेल:
यदि कियो व्यक्ति बगैर कोनो कारणोक परेशान कय रहल हो तऽ शौच क्रिया काल मे शौचालय में बैसल-बैसल ओतुके पानिसँ ओहि व्यक्तिक नाम लिखी और बाहर निकलबा सँ पूर्व जतय पानिसँ नाम लिखल छल ओहि स्थान पर अपन बायाँ पैरसँ तीन बेर ठोकर मारी। ध्यान रहय, ई प्रयोग स्वार्थवश नहि करी, अन्यथा हानि भऽ सकैत अछि।
रुद्राक्ष या स्फटिक केर मालाक प्रयोग सँ प्रतिकूल परिस्थितिक शमन होइत छैक। एकर अलावे स्फटिक केर माला पहिरला सँ तनाव दूर होइत छैक।