मई ८, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!
काल्हि ७ मई २०१७ रवि दिन मैथिली जिन्दाबादक संपादक मिथिलाक केन्द्रविन्दु मधुबनी जिलान्तर्गत सिजौल मे नवस्थापित उच्च शिक्षा कैम्पस केर यात्रा पर गेल छलाह। मधुबनी जिला मुख्यालय सँ करीब २० किलोमीटर केर दूरीपर स्थित सिजौल गामक रस्ता रामपट्टी केर राजपथ सँ उत्तर माथे फूटल रस्ता मे कोइलख – मैलाम केर मेन रूट पर खुजल अछि ई नव शिक्षा केन्द्र। एकर बनौट आ आन्तरिक व्यवस्थापन सब पूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा पर बनल अछि। एखन धरि पोलिटेकनीक, बी.एड., आइटीआइ केर पढाई एतय कराओल जा रहल अछि। पोलिटेकनीक मे ३२० छात्र लेल सीट अछि। बी.एड. लेल १०० छात्रक सीट अछि। नासिक (महाराष्ट्र) मे करीब ३०० एकड़ मे स्थापित अति विशाल भौतिक पूर्वाधार आ गुणस्तरीय शिक्षा व्यवस्थाक संग एतय इन्जीनियरिंग, फार्मास्युटिकल, बायोटेक्नोलौजी, फैसन टेक्नोलौजी, कानून, मास कम्युनिकेशन, आदि विभिन्न नव-नव रोजगारोन्मुखी शिक्षण-संकायक संग सन्दिप विश्वविद्यालय सुस्थापित अछिये। मिथिलाक सिजौल केन्द्र मे आ नासिक मे नव प्रवेश हेतु समूचा इलाका केर छात्र सब केँ समुचित परामर्श उपलब्ध करेबाक संग-संग छात्रोपयोगी सुविधा आर भविष्य निर्माण हेतु व्यवसायक विकल्प सब पर प्रकाश देबाक कार्य सेहो विभिन्न स्तर पर एखन निरन्तर कएल जा रहल अछि। संयोजक धनंजय झा एहि सन्दर्भ बहुत सारगर्वित सम्पर्क अभियान चलेबाक क्रम मे मैथिली जिन्दाबादक संपादक संग भेंटघांट केला उत्तर काल्हि उपरोक्त कैम्पस जेबाक अवसर छल, संयोग सँ काल्हिये छात्र परामर्श सभाक आयोजन सेहो रहब आर सिजौल केन्द्रक प्राचार्य सहित सन्दिप युनिवर्सिटीक अध्यक्ष (चेयरमैन) डा. सन्दिप झा केर उपलब्धता एकटा सुवर्ण अवसर सिद्ध भेल।
अति प्राचीनकाल सँ यैह मान्यता रहल अछि जे मिथिला शिक्षागार छल। एतय हर गाम आ ठाम पर शिक्षा उपलब्ध करेबाक काज होएत छल। स्वयं राजा जनक बहुत योग्य आ प्रसिद्ध शिक्षक छलाह। कहल जाएत छैक जे गार्हस्थ धर्मक अनुपालन करितो चारि आवश्यक उपलब्धि – अर्थ, धर्म, काम ओ मोक्ष प्राप्तिक लेल राजा जनक सँ बेसी नीक शिक्षा दोसर कियो नहि दय सकैत छल। यैह कारण रहैक जे शुकदेव जे व्यासदेव सनक अगाध विद्वानक पुत्र छलाह हुनका राजा जनक सँ शिक्षा लैत गार्हस्थ जीवन आरम्भ करबाक वास्ते पिता व्यास उपदेश कयने छलाह। शिक्षा आ शिक्षालयक महत्व आदिकाल सँ आधुनिक युग धरि मिथिलाक्षेत्र मे स्पष्ट दृष्टिगोचर होएछ। जाहि गाम मे गुरु (शिक्षा देनिहार) नहि, गुरु द्वारा शिक्षा देबाक लेल एकटा पाठशाला (विद्यालय) नहि – ओहि गाम केँ बैकवार्ड (पिछड़ल) गामक सूची मे जानल जाएत रहल अछि एतय। ब्रिटिशकाल सँ पूर्व एहि क्षेत्र मे संस्कृत शिक्षाक परम्परा रहल आर गुरु केर आश्रम मे भैर गामक धियापुता शिक्षा ग्रहण करबाक पद्धति रहल। जेना-जेना अंग्रेजी शिक्षा पद्धति केर प्रचलन भेल, तेना-तेना मिथिलाक छात्र सब लेल मिथिला सँ बाहर – गाम सँ बाहर अन्य स्थानपर जाय शिक्षा लेबाक नव परम्परा प्रारंभ भेल। एकरा संक्रमण काल सेहो कहि सकैत छी जे एखन धरि चलि रहल अछि। लेकिन फेर सँ डा. सन्दिप झा समान शिक्षाविद् लोकनि मिथिलाक धरती पर एहेन सुनियोजित कार्ययोजनाक संग शिक्षालयक स्थापना कय रहला अछि ई मिथिलाक मौलिक सम्पदा केँ मानू फेर सँ समृद्धि प्रदान करय योग्य थिक।
डा. सन्दिप झा केर व्यक्तित्व तथा दूरदृष्टिता
अत्यन्त स्पष्ट विचार आ पूर्णरूपेण मैथिलत्व सँ परिचित प्रभावकारी व्यक्तित्व – सुशिक्षित, सुसंस्कृत, समृद्ध, सामर्थ्यवान, सुप्रतिष्ठित आ सुमधुर एवम् स्पष्टवादी – स्वभाव सँ अक्खड़ आ मिथ्याचारक विरुद्ध क्रुद्ध सेहो – लोक, समाज, क्षेत्रक विकास यथार्थतः कोन काज कएला सँ होयत ताहि लेल जनक समान कर्म मे विश्वास रखनिहार छथि डा. सन्दिप झा। बहुत रास विन्दुपर बातचीत भेल। सैद्धान्तिक आ नैतिक वचनबद्धताक संग अपन योजना ओ क्रियान्वयन मे लागल छथि। सिजौल मे शिक्षाकेन्द्र हुनकर बहुत दिनक सपना पूरा भेल समान प्रतीत भेल, कारण अपन वृद्धप्रपितामह सँ लैत पिता ओ परिजनक नाम सँ बनाओल गेल भवन सँ भरल-पूरल अछि ८० बीघाक कैम्पस क्षेत्र जाहि मे निर्माण प्रविधि सेहो अत्याधुनिक तकनीकीक संग भव्य आर्किटेक्चरल डिजाइन मे सब काज पूरा कएल गेल अछि।
मात्र काज मे विश्वास कएनिहार, बात बड़का मुदा काज धरातल पर नहि कय सकबाक प्रवृत्ति आ प्रकृतिक घोर निन्दक-आलोचक डा. झा अपनो चरित्र मे एहेन मिथ्याचार ओ ढकोसलापूर्ण व्यवहारक कोनो प्रदर्शन स्वीकार नहि सकैत छथि। बहुत रास योजना छन्हि। शिक्षा आ जीवन बीच सिद्धान्त आ व्यवहार बीच सदिखन तादात्म्य बैसबैत आगू बढबाक नीति पर अग्रसर व्यक्तित्व मिथिला समाजक ढकोसलापर बेजोड़ प्रहार करय सँ नहि रुकैत छथि। सकारात्मक उर्जा सब केँ समन्वयपूर्वक एक ठाम आनू – योजनाबद्ध ढंग सँ काज करू – रिक्तवाणी सँ क्रान्तिक बदला जनसरोकारक छोट-छोट मुद्दापर संघर्ष करू – बहुत रास विचार रखलाह आर अत्यन्त व्यवहारिक ढंग सँ मिथिला लेल चलि रहल कोनो अभियान मे अपन योगदान केँ निरंतर बनेने रहबाक बात गछलाह।
एकटा छात्र द्वारा पूछल गेल प्रश्न जे लक (भाग्य) केर सेहो कोनो महत्वपूर्ण भूमिका होएत छैक कि – एकर जबाब मे डा. झा अपन निजी अनुभव केर आधार पर छात्र सब केँ संबोधित करैत बजलाज जे “Opportunities with preparedness is luck!” – मौका हर दिन, हर क्षण भेटैछ हमरा सब केँ, बस हम सब तैयार रही जे मौका आबि गेलाक बाद हाथ सँ जाय नहि देब, यैह थिक लक – भाग्य। एकटा उदाहरण दैत कहैत छथि, “हालहि संपन्न चुनाव मे मुख्यमंत्रीक पद खाली छलैक, बस हम-अहाँ तैयार नहि रही। नीतीश कुमार तैयार छलाह। ओ मुख्यमंत्री बनि गेलाह।” प्रसंगवश भोज-भातक बात चललैक। मिथिला मे दही, सकरौरी, मिठाई आदिक बात एलैक। ‘चुरा-दही’ आ ‘दही-चुरा’ केर सवाल एलैक। डा. झा एहि क्रम मे अपन किछु अति उपयोगी योजनाक सेहो रहस्योद्घाटन कएलनि। बात भेलैक जे दही लेल दूध पाउडर आ डेयरीवला लोक कियैक प्रयोग करत, जखन कि मिथिला मे पशुपालन केर उपयोग आदिकाल सँ गृहस्थ जीवन मे सिद्ध रहल अछि। सन्दिप युनिवर्सिटी द्वारा खोलल गेल एहि कैम्पस मे लगभग २० टा महींस ओहि विद्यार्थी ओ शिक्षक द्वारा पोसल जायत जे पशुपालन सम्बन्धी पढाई करत। एहि तरहें दूध बेचबाक लाभ सेहो हुनके सबकेँ भेटत आ लोक-समाज केँ भेटत खेबा योग्य शुद्ध दूध। युनिवर्सिटीक योजनानुरूप मत्स्य पालन केर मात्र थेसिस टा नहि देल जायत बल्कि व्यवहारिक रूप मे फिशेरीज (माछ पालन स्थल) केर निर्माण कराओल जायत आर एकर सम्पूर्ण लाभ छात्र-शिक्षक-व्यवस्थापक केँ लाभार्थी मानिकय देल जायत।
अपन मिथिलाक पिच्छड़ भाषाक सेहो बीच-बीच मे प्रयोग करैत रहनिहार डा. झा महाराष्ट्रक शैली मे हिन्दी ठोकब आ सबकेँ हँसेनाय नहि छोड़ैत छथि। मिथिलाक लोकपर तंज कसैत कहलाह, “धियापुता केँ पोसू, पढाउ-लिखाउ आ बाद मे दोसराक पास पोसियाँ लगाउ – एतबे मे लोक रमि गेला अछि।” सच्चाई छैक जे आइ लाखों छात्र केँ हमरा लोकनि शिक्षित बनबैत छी मुदा ओ आन राज्य मे काज करय लेल जाएत अछि। अपन क्षेत्र मे संभावना रहितो ओकरा हिम्मत नहि भऽ पबैत छैक जे किछु स्वाबलंबन लेल अपने करी। डा. झा केर मानल जाय त अधिकांश लोक अपन स्वाभिमान केँ बाजार मे लीलाल कय चुकल अछि। मिथिलाक पंडित समुदाय पर त आरो कसगर झटहा मारैत डा. झा कहलैन जे बकरीक बच्चा छागर भोग लगायब मुदा बकरी पोसय मे अपन हिनताई केर बोध करब, ई मिथ्याचार थिक। पूर्वकाल मे एहि तरहक मिथ्याचार नहि छल। लोक गृहस्थीक धर्म मे ओ सब काज करय जाहि सँ ओकरा परनिर्भरता कम रहैक। एहि द्वारे पहिने एतेक विशाल स्तरक लोकपलायन नहि छलैक। एखन तऽ लोक मनिआर्डर आ चन्दा-सहयोगक बले बेसी जिबैत देखा रहल अछि। पोसियाँ लगायल बच्चाक मनिआर्डर केर इन्तजार छैक आर जे कनेक तगतगर बनि गेल ओकरा सँ चन्दा माँगि अपन मनक अनेक शख पूरा करय मे बेहाल अछि। गोटेक उदाहरण सँ निजी अनुभव सेहो शेयर कएलनि। सन्दिप युनिवर्सिटी मार्फत दूरगामी योजना सब पर कार्य करबाक छैक आर मिथिलाक विकास लेल ओ प्रतिबद्ध छथि, एहि मे कतहु दुइ मत नहि।
मिथिला लेल सिजौल कैम्पस एक विलक्षण उपहार
उपरोक्त चर्चित संपूर्ण जनतब आ दूरदृष्टिताक संग सोचल गेल योजना सब सँ स्पष्ट अछि जे मिथिलावासी आ पड़ोसी मित्रराष्ट्र नेपालक छात्र सब लेल सिजौल केन्द्र एकटा अनुपम उपहार सिद्ध होयत। वर्तमान युग मे रोजगारसम्पन्न बनबाक लेल सब कियो जाग्रत रहैछ, एहेन स्थिति मे सन्दिप युनिवर्सिटी ओ सन्दिप फाउन्डेशनक विभिन्न योजनाक उपयोगिता एहि क्षेत्र लेल वरदान सिद्ध होयब सुनिश्चित अछि। यथार्थ रूप मे ई विकासक नव परिचय भेल जे फेरो कोनो सामर्थ्यवान मिथिलाक अपनहि सपुत सँ संभव भेल अछि। एहि योजना केँ पूरा करबाक लेल सहयोग मे ठाढ सम्पूर्ण क्षेत्रवासी सेहो धन्यवादक पात्र बुझेला जे ८० बीघा जमीन संस्थान खोलबाक लेल सामूहिक एकता सँ जुटेलनि। हलाँकि टेढ लोक आ विकास सँ वंचित राखयवलाक कमी नहि छैक, परञ्च सिजौल मे एहि संस्थानक स्थापना एहि नकारात्मक मानसिकता केँ हरेलक अछि, ओ सब नमन योग्य छथि जे एतेक भव्य संस्थानक स्थापना एहि स्थानपर करौलनि।
नोटः ऐगला लेख सँ क्रमिक रूप मे आरो बेसी जानकारी सब देल जायत। यात्रा मे दि इम्पल्स कोटाक संचालक राजेश झा, मार्गदर्शक डा. रंगनाथ ठाकुर, सन्दिप युनिवर्सिटीक सह-संयोजक (नेपाल) जयराम यादव यदुवंशी ओ हिन्दुस्तान दैनिक पत्रिकाक जोगबनी प्रतिनिधि बरुण कुमार मिश्र सहभागी छलाह।